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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर Home Science Part – 4 (15 Marks)


31. व्यय को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विवरण दें।
(Describe the factors that influence expenditure.)

उत्तर⇒ व्यय को प्रभावित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं-

(i) परिवार ढाँचा- हमारे देश में गाँवों में सयुक्त परिवार व्यवस्था तथा शहरों में एकांकी परिवार व्यवस्था है। संयुक्त परिवार में कई मदों पर संयुक्त व्यय किए जाते हैं। जैसे मकान किराया, भोजन, बिजली तथा नौकर दाई आदि। इसलिए प्रत्येक सदस्य पर आर्थिक बोझ कम होता है। एकांकी परिवार को इन मदों पर शत-प्रतिशत व्यय करना पड़ेगा और उसे कम बचत होगी।

(ii) परिवार के सदस्यों की संख्या- एक परिवार में यदि कई व्यक्ति कमानेवाले हों तो वहाँ अधिक आमदनी होने के कारण शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद तथा विलासिता पर अधिक व्यय होगा। एकांकी परिवार में ऐसा संभव नहीं है।

(iii) व्यक्ति का पेशा- व्यक्ति का पेशा भी व्यय को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति नौकरी पेशावाला हो तो उसका रहन-सहन का स्तर उच्च रखना पड़ता है। वहीं मजदूर वर्ग के लोग अपने रहन-सहन पर कम व्यय करते हैं।

(iv) सामाजिक एवं धार्मिक परम्पराएँ- प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे आयोजन होते हैं जिन पर अन्य मदों पर कटौती कर अधिक खर्च करना पड़ता है। जैसे-छट्ठी, विवाह, गृह प्रवेश, श्राद्ध, जन्मदिन, दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद, क्रिसमस, वैशाखी,-ओणम आदि पर लोगों को अधिक व्यय करना पड़ता है।

(v) निवास स्थान एवं भौगोलिक स्थिति- गाँवों तथा कस्बों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, नगरों में बसने वाले लोगों की अपेक्षा निम्न स्तर का होता है। यदि निवास कार्यस्थल से बहुत दूर हो तो वहाँ तक यातायात से पहुँचने में भी अधिक खर्च करना पड़ता है।

(vi) परिवार के मुखिया की विवेकशीलता- परिवार का मुखिया विवेकशील है तो यह अच्छी तरह समझता है कि कब, किस मद में और कितना खर्च किया जाए ताकि परिवार के सभी सदस्यों को अधिकतम सुख-संतोष प्राप्त हो सके।


32. जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? जल को शुद्ध करने की विधि का वर्णन करें।

(What do you understand by water pollution ? Describe the method of water purification.)

उत्तर⇒ जिस जल में कुछ पदार्थों की भौतिक अशुद्धता के कारण जल के स्वाद, गंध आदि में परिवर्तन आ जाए तो उसे प्रदूषित जल कहते हैं।
शुद्ध जल एवं स्वच्छ जल में अवांछित पदार्थों का मिश्रण जल प्रदूषण कहलाता है।

शुद्ध जल प्राप्त करने के तरीके या विधियाँ-

(i) घरेलू विधि- घरेलू तौर पर पानी को शुद्ध किया जाता है जैसे-कपड़े से छानना उबालना, विशेष छन्नियों का प्रयोग करके किया जाता है।

(ii) रासायनिक विधि- रासायनिक विधि से जल को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन, पोटासियम परमैंगनेट, कॉपर सल्फेट, बुझा हुआ चुना इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।

(iii) यांत्रिक विधि- जल को साफ करने के लिए यह विधि सबसे प्रचलित हैं। इस विधि में जल शुद्ध करने के लिए फिल्टर, वाटर प्यूरिफायर, आर० ओ० आदि का प्रयोग किया जाता है।


33. पारिवारिक आय के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
(Describe the different types of family income.)

उत्तर⇒ पारिवारिक आय को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है

(i) मौद्रिक आय
(ii) वास्तविक आय और
(iii) मानसिक आय

(i) मौद्रिक आय- एक निश्चित समय में परिवार को मुद्रा के रूप में जो आय प्राप्त होती है उसे मौद्रिक आय कहते हैं। ग्रौस और कैण्डले के अनुसार “मौद्रिक आय से तात्पर्य उस क्रय शक्ति से हैं जो मुद्रा के रूप में एक निश्चित समय में एक परिवार को प्राप्त होती है। परिवार में मौद्रिक आय विभिन्न रूपों से प्राप्त की जा सकती है। जैसे-वेतन, मजदूरी, बोनस, पेंशन, ब्याज, लाभ, उपहार, लगान, किराया, रॉयल्टी आदि।

(ii) वास्तविक आय- यह दो प्रकार का होता हैं-

(a) प्रत्यक्ष वास्तविक आय- प्रत्यक्ष वास्तविक आय में वे सभी सेवाएँ तथा सुविधाएँ आती हैं जिनका उपयोग प्रत्यक्ष रूप से परिवार द्वारा बिना धन व्यय किए किया जाता है। इनके प्राप्त न होने पर परिवार को अपने मौद्रिक आय से व्यय करना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप कार्य स्थल पर मुफ्त मकान, नौकर की सुविधा, माली. की सुविधा, टेलीफोन की सुविधा, गाडी की सुविधा आदि।

(b) अप्रत्यक्ष वास्तविक आय- यह आय मुख्य रूप से परिवार के सदस्यों के ज्ञान, निपुणता और कौशल के कारण प्राप्त होने वाली आय हैं। जैसे-खाना बनाना, कपड़े सिलना, कपड़ा धोना, आयरन करना, बच्चों को पढ़ाना, घर में बागवानी कर सब्जियाँ प्राप्त करना, उपकरण की मरम्मत आदि।

(c) मानसिक आय- मौद्रिक आय एवं वास्तविक आय के व्यय से जो संतुष्टि प्राप्त होती हैं वह मानसिक आय हैं। यह पूर्ण रूप से व्यक्तिगत है। यह प्रत्येक व्यक्ति तथा परिवार की अलग-अलग हो सकती है।


34. घरेलू बजट का क्या महत्त्व है? परिवार के लिए बजट बनाते समय किन-किन न बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
(What is the importance of domestic budget ? What are the elements to be considered at the time of preparation of domestic budget?)

उत्तर⇒ प्रत्येक परिवार अपनी आय का व्यय बहुत सोच समझकर कर सकता है क्योंकि धन एक सीमित साधन है तथा यह प्रयास करता है कि अपनी सीमित आय द्वारा अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूर्ण करके भविष्य के लिए कछ-न-कछ बचत कर सके। यही कारण है कि गह स्वामी तथा गृहस्वामिनी मिलकर सोच समझ करके अपने परिवार की आय का उचित व्यय करने के लिए लिखित एवं मौखिक योजना बनाते हैं और उस योजना को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें अपने व्यय का पूरा हिसाब-किताब रखना पड़ता है। कोई भी परिवार घरेलू बजट बनाकर ही व्यय को नियंत्रित कर सकता है।

घरेलू बजट बनाने के निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) घरेलू हिसाब-किताब प्रतिदिन लिखने से हमें यह ज्ञात रहता है कि हमारे पास कितना पैसा शेष बचा है जो परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है जिससे पारिवारिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।

(ii) घरेलू हिसाब-किताब रखने से अधिक व्यय पर अंकुश रहता है।

(iii) विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य दिशा निर्देश का आभास होता है।

(iv) असीमित आवश्यकताओं और सीमित आय के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है।

(v) सही ढंग से व्यय करने के फलस्वरूप बचत व निवेश में प्रोत्साहन मिलती है।

(vi) इससे परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है।

परिवार के लिए बजट बनाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए

(i) आय और व्यय के बीच ज्यादा फासला न हो अर्थात् आय की तुलना में व्यय बहुत अधिक नहीं हो।

(ii) बजट से जीवन लक्ष्यों की पूर्ति हो यानी परिवार को उच्च जीवन स्तर की ओरं प्रेरित कर सके।

(iii) बजट बनाते समय अनिवार्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए।

(iv) सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखकर बजट बनानी चाहिए ताकि आकस्मिक खर्चों जैसे बीमारी, दुर्घटना तथा विवाह आदि के लिए धन की आवश्यकता की पूर्ति समय पर हो सके।

(v) व्यय को आय के साथ समायोजित होना चाहिए ताकि ऋण का सहारा न लेना पड़े।

(vi) बजट बनाते समय महँगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।


35. डाकघर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
(Write a brief note about post office.)

उत्तर⇒ डाकघर एक सरकारी संस्थान है। यह धन को सुरक्षित रखने का अच्छा माध्यम माना जाता है। डाकघर की सुविधा बैंकों से अधिक स्थानों पर उपलब्ध है। दूर दराज के क्षेत्रों में रहनेवालों के लिए डाकघर अधिक सुविधाजनक होते हैं। डाकघर प्रायः हर आवासीय कॉलोनी में होते हैं। डाकघर में विनियोग की सुविधा को बहुत ही सरल रखा गया है। एक अनपढ़ व्यक्ति भी थोड़े से ज्ञान से अपना धन जमा करा सकता हैं। डाकघर योजनाएँ बैंकों की योजनाओं से .. काफी मिलती जुलती हैं। डाकघरों द्वारा बहुत-सी योजनाएँ चालू की गयीं जो निम्नलिखित हैं –

(i) डाकघर बचत खाता
(i) डाकघर सावधि जमा योजना
(iii) रेकरिंग डिपॉजिट
(iv) मासिक आय योजना
(v) किसान विकास पत्र
(vi) राष्ट्रीय बचत पत्र
(vii) 15 वर्षीय जन भविष्य निधि
(viii) राष्ट्रीय बचत योजना खाता
(ix) सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए जमा योजना आदि।


36. बैंक खातों के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं ?
(What are the different types of Bank Accounts ?)

उत्तर⇒ बैंक वह संस्थान है जहाँ रुपये का लेन-देन होता है। कोई भी व्यक्ति अपने रुपये को बैंक में जमा कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर निकाल भी सकता है। बैंक इस धन राशि पर कुछ ब्याज भी देती है।

बैंक में खातों के प्रकार- बैक में निम्न प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं

(i) बचत खाता- अधिकांश बैंकों में यह खाता 500 रु० से खोला जा सकता है। इसमें कभी धन जमा करवा सकते हैं। बैंक इस धन पर कुछ राशि ब्याज के रूप में दे देता है। ये खाता एक, दो या अधिक व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से खोला जा सकता है।

(i) चालू खाता- चालू खाता व्यापारी वर्ग के लिए होता है। आवश्यकता पड़ने पर इस – खाते से जितनी बार चाहे धन निकाला जा सकता है। इस खाते में जमा राशि पर ब्याज नहीं मिलता।

(iii) निश्चित अवधि जमा योजना (F.D.)- इस खाते में धन राशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है। यह अवधि तिमाही, छमाही या वार्षिक या अवधि समाप्त होने पर ब्याज के साथ धन राशि ले सकता है। आवश्यकता पड़ने पर कुछ धन राशि कटौती के साथ निकाली जा सकती है।

(iv) आवर्ती जमा खाता (R.D.)- इस योजना के अंतर्गत एक निश्चित धनराशि एक निश्चित समय तक निरन्तर प्रतिमाह जमा करने पर ब्याज के रूप में मोटी रकम प्राप्त ‘कर सकते हैं। इस खाते में 12, 24, 36, 48, 60 माह तक एक निश्चित धनराशि जमा करनी होती है।

(v) संचयी सावधि जमा- संचयी सावधि जमा वह है जहाँ जमा की अवधि केवल अंत में न कि मध्य में आप बकाया ब्याज प्राप्ति के लिए चुनते हैं। प्राप्त होने वाली ब्याज आपकी जमा राशि में जुड़कर प्राप्त होती है।


37. चेक कितने प्रकार के होते हैं? चेक द्वारा भुगतान करने के लाभों का उल्लेख करें।
(How many types of cheques ? Points out the advantages of paying by cheques.)

उत्तर⇒ चेक तीन प्रकार के होते हैं

(i) वाहक चेक- इसमें प्राप्तकर्ता के सामने वाहक लिखा होता है। इसकी राशि कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, इसे खो जाने का खतरा रहता है।

(ii) आदेशक चेक- इसमें वाहक शब्द काटकर आदेशक लिखा होता है, जिस व्यक्ति के नाम से चेक लिखा होता है। भुगतान उसी को दिया जाता है अथवा वाहक जिसका नाम चेक के दूसरे तरफ लिखा होता है। बैंक वाहक काहस्ताक्षर लेकर ही भुगतान करता है।

(iii) रेखांकित चेक- इस चेक की बायीं ओर के ऊपरी सिरे पर दो तिरक्षी समानान्तर रेखाएँ खींची होती है। इसकी राशि का भगतान नहीं किया जाता है। व्यक्ति के नाम के खाते में राशि जमा कर दी जाती है। इस प्रकार के चेक खोने पर दूसरे व्यक्ति को राशि मिलने की संभावना कतई नहीं होती।

चेकों द्वारा भुगतान करने के लाभ निम्न हैं-

(i) सुरक्षित- केवल नामित प्राप्तकर्ता ही बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में चेक भूना सकता है। इसलिए यह सुरक्षित है।

(ii) विश्वसनीय- चेक द्वारा भुगतान का यह विश्वसनीय तरीका हैं जो पीढ़ी दर पीढी चलता आ रहा है।

(iii) संसाधित किया गयां बैच- इससे कॉल्टयूमर्स को पोस्ट डेटेड चेक बताने की अनुमति मिलती है जो उन्हें अपने खातों में फंड डालने के लिए समय देता है।


38. दाग-धब्बों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है ?

(In how many classes are the Stains divided ?)

उत्तर⇒ दाग-धब्बों को निम्नलिखित आठ श्रेणियों में बाँटा गया है-

(i) जान्तव धब्बे, उदाहरण—अंडे, दूध, मांस, रक्त आदि।

(ii) वानस्पतिक धब्बे, उदाहरण—चाय, कोको, कॉफी, फल, मधु आदि।

(iii) चिकनाईयुक्त धब्बे, उदाहरण—मक्खन, तेल, घी, पेंट, वार्निश, सब्जियाँ आदि।

(iv) खनिज धब्बे, उदाहरण—जंग, स्याही, दवाएँ आदि।

(v) रंगीन धब्बे, उदाहरण—रंग के धब्बे (आम्लिक एवं क्षारीय दोनों)

(vi) पसीने के धब्बे, उदाहरण—पसीने के धब्बे मात्र।

(vii) झुलसने के धब्बे, उदाहरण—गर्म इस्तिरी या गर्म धातु के छूने से प्राप्त धब्बे।

(vi) घास के धब्बे, उदाहरण—घास के धब्बे (क्लोरोफिलयक्त)।


39. पोषक तत्त्व क्या है? इसके क्या कार्य हैं ?
(What is Nutrient Element ? What are its functions?)

उत्तर⇒ पोषक तत्त्व- तत्त्व, जो हमार शरार का आवश्यकता तत्त्व, जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं के अनुरूप पोषण प्रदान करते हैं अर्थात् अपेक्षित रासायनिक ऊर्जा देते हैं उसे पोषक तत्त्व कहते हैं।

प्रमुख पोषक तत्त्व निम्नलिखित हैं-

(i) कार्बोहाइड्रेट- यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
(ii) प्रोटीन- यह शरीर की वृद्धि करता है।
(iii) वसा- इससे शरीर को तीन प्रकार के अम्ल प्राप्त होते हैं-

(i) लिनोलीन, (ii) लिनोलोनिक तथा (iii) अरंकिडोनिक। शरीर में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण के लिए इसकी उपस्थिति आवश्यक है।

(iv) कैल्शियम- यह अस्थि के विकास एवं मजबती के लिए आवश्यक है।
(v) फास्फोरस- यह भी अस्थि के विकास के लिए आवश्यक है।
(vi) लोहा- यह शरीर की रक्त-अल्पता, हिमोग्लोबिन और लाल रक्तकण प्रदान कर दर. करता है। गर्भावस्था एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अति आवश्यक है।

(vii) विटामिन- यह दो प्रकार के होते हैं- (i) जल में घुलनशील विटामिन, जैसे विटामिन- B, विटामिन- C तथा (ii) वसा में घुलनशील विटामिन जैसे-विटामिन- A, विटामिन- D, विटामिन-E, विटामिन-K। यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। यह
कई रोगों से बचाता है।


40. वस्त्र क्यों आवश्यक है? वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

(Why clothes are needed ? Wliat things should be kept in mind while purchasing clothes ?)

उत्तर⇒ वस्त्र मानव के लिए निम्न कारणों से आवश्यक है-

(i) शरीर की सुरक्षा- वस्त्र हमारे शरीर की सुरक्षा प्रदान करता है। वस्त्र हमें सर्दी, गर्मी तथा वर्षा से बचाते हैं।
(ii) व्यक्ति की पहचान- वस्त्र से ही व्यक्ति की पहचान बनती है। उदाहरण के लिए वर्दियों के आधार पर ही हम पहचानते है कि यह फौज का व्यक्ति है या पुलिस का या होटल का या वकील, डॉक्टर इत्यादि।

(iii) व्यक्तित्व निर्माण में- व्यक्ति को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने में वस्त्र का महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। सुन्दर परिधान शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक होकर सामाजिक जीवन को सुन्दर एवं सुखमय बनाते हैं। व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगता है।

(iv) शारीरिक सौन्दर्य एवं आकर्षण बढ़ाने में- आज हरेक व्यक्ति सुन्दर दिखना चाहता हैं। सभी व्यक्ति की शरीर की आकृति एक समान नहीं होती। कोई नाटा, लम्बा, कंधा चौड़ा आदि होती है। उचित परिधान के प्रयोग से बेढंग अंगों को छिपाया जाता है। यह काम परिधान ही करता है।

(v) सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए- आजकल वस्त्रों से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा का मूल्यांकन होता है।

(vi) मनोवैज्ञानिक सुरक्षा- सही परिधान हमें आत्मबल तथा आत्मविश्वास जागृत करता है। दूसरे के सामने आने में हीन भावना नहीं जागृत होती है। अच्छे एवं सुन्दर वस्त्रों को धारण करने से मन प्रसन्न एवं आनंदित रहता है।

वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) टिकाऊपन- वही वस्त्र अच्छा माना जाता है जो मजबूत तथा अधिक दिनों तक चलता है। अतः कपड़े खरीदते समय टिकाऊपन पर ध्यान देना चाहिए।

(ii) पसीना सोखने की क्षमता- जो कपड़ा पसीना आसानी से सोख लेता है वह अच्छे किस्म का माना जाता है। पसीना नहीं सोखने वाला वस्त्र मनुष्य को बेचैनी बढ़ा देता है। मिश्रित तंतओं से बने वस्त्र आसानी से पसीना सोख लेते हैं। इसलिए खरीदते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

(ii) सिलवट अवरोधक- कपड़ा खरीदते समय तन्तुओं को कुछ समय के लिए पकड़ कर रखें उसके बाद देखें कि उसमें सिलवटे तो नहीं पड़ रही है। जिन वस्त्रों पर शीघ्रता से सिलवटे पड जाती है उसे अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ती है।

(iv) धोने में सविधा- कपड़े खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए कि वस्त्र धोने में सुविधाजनक हो। जिन कपड़ों को धोना कठिन होता उन पर ड्राईक्लीन कराने में अधिक व्यय करना पड़ता है।

(v) रंग का पक्कापन- कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए। घटिया किस्म के कपड़ों का रंग पक्का नहीं होता वे एक दो बार धोने के बाद पहनने योग्य नहीं रहते। जबकि पक्के रंग का कपड़ों का आकर्षण अधिक समय तक बना रहता है।

(vi) प्रायोजन वस्त्र- का चुनाव प्रायोजन के अनुसार करना चाहिए। जैसे-सूती वस्त्र, परिध न के काम आते हैं। इसका उपयोग घरेलू उपयोग में जैसे-तौलिया, झाड़न, मेजपोश, चादर, बेडशीट आदि के लिए किया जाता है।

(vii) मौसम- मौसम के अनुकूल वस्त्रों को चुनने, खरीदने एवं पहनने की समझ सबको होनी चाहिए। गर्मी के मौसम के लिए हल्के रंग के सूती वस्त्र अच्छे रहते हैं क्योंकि इनमें ताप के संवहन . की क्षमता होती है। वर्षा ऋतु में जल अभेद्य, सर्दी के दिनों में गहरे रंग के ऊनी वस्त्रों का प्रयोग
करना चाहिए।

(viii) फैशन- फैशन समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं। कौन-सा फैशन किस तरह के व्यक्तित्व पर फबेगा किस पर नहीं फबेगा खरीदारी करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

(ix) मल्य- वस्त्र विभिन्न मूल्य के बाजार में उपलब्ध है। आवश्यक हैं सही मूल्य में सही वस्त्र खरीदे जाए। अच्छी चीज प्राप्त करने के लिए यदि थोड़े अधिक मूल्य चुकाने पड़े तो भी चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

(x) वस्त्रों की देखरेख एवं संचयन- वस्त्र की खरीदारी करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि कौन से वस्त्र फफूंदी के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं, कौन से वस्त्र को कीड़े खा सकते हैं, वस्त्र कितने समय के लिए बंद करके रखा जा सकता है, कीड़ों से बचाव कैसे करें आदि।


Home Science Class 12 question answer in Hindi

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