Class 12th Psychology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5
Q. 101. पूर्वधारणा को परिभाषित करें।
Ans ⇒ पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह अंग्रेजी शब्द Prejudice का हिन्दी रूपान्तर है। Prejudice लैटिन भाषा के Prejudicium से निकला है, जिसका अर्थ होता है। मुकदमा से पहले न्यायालय में परीक्षा हो जाना है। इसका तात्पर्य हुआ कि बिना परीक्षा किए ही किसी समस्या का निर्णय द दिया जाना। आधुनिक युग में द्वन्द्वों, संघर्षों इत्यादि का मुख्य कारण पूर्वधारणा ही है।
पूर्वधारणा की परिभाषा अनेक विद्वानों द्वारा दी गई। यंग (Young) ने इसे परिभाषित करते हुए कहा है, “पूर्वधारणा एक व्यक्ति की अन्य व्यक्तियों के प्रति पूर्वनिर्धारित अभिवत्तियाँ या विचार है जो कि सांस्कृतिक मूल्यों और अभिवृत्तियों पर आधारित होते हैं।”
किम्बल युंग ने पूर्वधारणा को निम्नलिखित शब्दों में परिभाषित किया है, “पूर्वधारणा में सद प्रक्रियाओं, किवदन्तियों एवं पौराणिक कथाओं इत्यादि का प्रयोग जिसमें एक समुह लेबल या चिन्ह का प्रयोग किया जाता है ताकि एक व्यक्ति या समूह जो कि पूर्ण रूप से समझा जाता ९ उसका वर्गीकरणं, विशेषीकरण किया जा सके एवं उसे परिभाषित किया जा सके।”
जेम्स डेवर (James Drever) के शब्दों में, “पूर्वधारणा एक अभिव्यक्ति है बहुधा जो. संवेगात्मक रंग की होती है। जो प्रतिकूल या अनुकूल होती है जो विशेष प्रकार के कार्य या वस्तुओं के प्रति कुछ विशेष व्यक्तियों के प्रति विशेष सिद्धान्तों के प्रति होती है।”
इस प्रकार, उपयुक्त परिभाषाओं को देखते हुए पूर्वधारणा की एक समुचित परिभाषा निम्न प्रकार से दी जा सकती है-‘पूर्वधारणा एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति के प्रति पहले निर्धारित मनोवृत्ति या विचार है जो सांस्कृतिक मूल्यों और मनोवृत्तियों पर आधारित है।”
Q. 102. योग के आठ अंग कौन-कौन से हैं ?
Ans ⇒ योग के आठ यंग निम्नलिखित हैं –
(i) यम
(ii) नियम
(iii) आसन
(iv) प्राणायाम
(v) प्रत्याहार
(vi) धारणा
(vii) ध्यान
(viii) समाधि।
Q. 103. असामान्य व्यवहार क्या है ?
Ans ⇒ असामान्य व्यवहार व्यक्ति के वैसे व्यवहार को कहा जाता है। जिसमें अचेतन का प्रभाव रहता है। यानि इस व्यवहार की चेतना व्यक्ति को नहीं रहती है। असामान्य व्यवहार का अध्ययन असामान्य मनोविज्ञान में किया जाता है। सभी अच्छे लोग जो व्यवहार करते हैं।
उनसे अलग नए ढंग को ही असामान्य व्यवहार कहा जाता है। अर्थात् व्यक्ति का वैसा व्यवहार जो सामान्य से अलग होता है, असामान्य व्यवहार कहलाता है।
असामान्य व्यवहार की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) असन्नता से ग्रसित – असामान्य व्यक्तित्व वाले व्यक्ति हर समय निराश, परेशान, चिंता से घिरे हुए रहते हैं।
(ii) मनोरंजन के प्रति कम रूचि – असामान्य व्यक्तित्व वाले व्यक्ति ज्यादातर दुखी ही रहता है।
(iii) दक्षता की अपेक्षाकृत कम कार्यक्षमता – असामान्य व्यवहार वाले व्यक्तियों में क्षमता की बहुत कमी होती है।
Q. 104. मनोवृत्ति के कौन-कौन से घटक हैं ? चर्चा करें।
Ans ⇒ समाज मनोविज्ञान में मनोवृत्ति की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। सचमुच में मनोवृत्ति भावात्मक तत्त्व का एक तंत्र या संगठन होता है। इस तरह से मनोवृत्ति ए. बी. सी. तत्त्वों का एक संगठन होता है। इन घटकों को निम्न रूप से देख सकते हैं।
(i) संज्ञानात्मक तत्त्व – संज्ञानात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति वस्तु के प्रति विश्वास से होता है।
(ii) भावात्मक तत्त्व – भावात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में वस्तु के प्रति सुखद या दुखद भाव से होता है।
(ii) व्यवहारपरक तत्त्व – व्यवहारपरक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति के पक्ष में तथा विपक्ष में क्रिया या व्यवहार करने से होता है।
मनोवृत्ति की इन तत्त्वों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
(i) कर्षणशक्ति – मनोवृत्ति तीनों तत्त्वों में कर्षणशक्ति होता है। कर्षणशक्ति से तालिका मनोवृत्ति की अनुकूलता तथा प्रतिकूलता की मात्रा से होता है।
(ii)बहविधता – बहुविधता की विशेषता यह बताती है कि मनोवृत्ति के किसी तत्त्व में कितने कारक होते हैं। किसी तत्त्व में जितने कारक होंगे उसमें जटिलता भी इतनी ही अधिक होगी। जैसे सह-शिक्षा के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति को संज्ञा कारक, सम्मिलित हो सकते हैं-सह-शिक्षा किस स्तर से आरंभ होना चाहिए। सह-शिक्षा के क्या लाभ हैं, सह-शिक्षा नगर में अधिक लाभप्रद होता है या शहर में आदि। बहुविधता को जटिलता भी कहा जाता है।
(iii) आत्यन्तिकता – आत्यन्तिकता से तात्पर्य इस बात से होता है कि व्यक्ति को मनोवृत्ति के तत्त्व कितने अधिक मात्रा में अनुकूल या प्रतिकूल है।
(iv) केन्द्रिता – इसमें तात्पर्य मनोवृत्ति की किसी खास तत्त्व के विशेष भूमिका से होता है। मनोवृत्ति के तीन तत्त्वों में कोई एक या दो तत्त्व अधिक प्रबल हो सकता है और तब वह अन्य दो तत्त्वों को भी अपनी ओर मोड़कर एक विशेष स्थिति उत्पन्न कर सकता है जैसे यदि किसी व्यक्ति को सह-शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत अधिक विश्वास है अर्थात् उसका संरचनात्मक तत्त्व प्रबल है तो अन्य दो तत्त्व भी इस प्रबलता के प्रभाव में आकर एक अनुकूल मनोवृत्ति के विकास में मदद करने लगेगा।
स्पष्ट है कि मनोवृत्ति के घटकों की कुछ विशेषताएँ होती हैं। इन घटकों की विशेषताओं मनोवृत्ति की अनुकूल या प्रतिकूल होना प्रत्यक्ष रूप से आधारित है।
Q.105. मनोदशा विकृति क्या है ? इसके मुख्य प्रकार क्या हैं ?
Ans ⇒ मनोदशा विकृति में व्यक्ति की संवेगात्मक अवस्था में रूकावट उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति में सबसे ज्यादा अवसाद भावदशा विकार होता है। इसमें व्यक्ति के अंदर नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न हो जाती है।
मुख्य भावदशा विकार में तीन प्रकार के विकार होते हैं –
(i)अवसादी विकार – इस प्रकार के रोगियों में उदास होने, चिंता में डूबे रहने, शारीरिक तथा मानसिक क्रियाओं में कमी, अकर्मण्यता, अपराधी प्रवृति आदि के लक्षण पाये जाते हैं।
(ii)उन्मादी विकार – उन्मादी विकार में रोगी हर समय खुश दिखाई देता है।
(iii) द्विधवीय भावात्मक विचार – इसमें उत्साह और अवसाद दोनों के आक्षेप होते हैं।
Q.106. प्रतिबल के संप्रत्यय का अर्थ स्पष्ट करें।
Ans ⇒ शब्द की उत्पति लैटिन के शब्द (Strictus) से हुई है। इसका अर्थ है जकड़ना या कसा हुआ। प्रतिबल प्रतिस्थति व्यक्ति में घातक या हानिकारक आशंका के भाव उत्पन्न करती है।
अर्थात् प्रतिबल शब्द से उन परिस्थितियों का बोध होता है जिसमें व्यक्ति यह अनुभव करता है कि वह द्वंद्व के दौर से गुजर रहा है। उस द्वंद्व की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि संवेगात्मक तथा आंगिक प्रतिक्रियाओं के साथ-साथ अपनी क्षमताओं की निष्क्रियता का भी उसे अनुभव होने लगता है।
Q.107.व्यक्ति के विकास में अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की भूमिका का वर्णन करें।
Ans ⇒ अंत:स्रावी ग्रंथियों का मनुष्य के व्यक्तित्व विकास पर विशेष उसकी शारीरिक क्रियाओं और शारीरिक रोग पर पड़ता है। वे व्यक्ति के संवेग एवं चिंतन को भी प्रभावित करते हैं। इन ग्रंथियों का प्रभाव व्यक्ति के जन्म के पहले और बाद के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। इन ग्रंथियों का एक साथ विकास नहीं होता है। यदि किसी व्यक्ति के अन्तःस्रावी ग्रंथि में उनके बाल्यकाल में कोई विकास या असंतुलन होता है तो उसका कुप्रभाव उसके आगे के जीवन पर भी पड़ेगा।
अन्तःस्रावी ग्रंथियों के अन्तर्गत थायराइड ग्रंथि, परा थायराइड ग्रंथि, मूत्र ग्रंथि जनन ग्रंथि, पीयूष ग्रंथि आदि आते हैं। इनमें कुछ स्राव होता है। इस स्राव से व्यक्ति की पाचन क्रिया, क्रियाशीलता स्तर, उत्तेजना प्रकृति प्रभावित होती है।
Q.108. अभिक्षमता के स्वरूप का वर्णन करें।
Ans ⇒ किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र का ज्ञान अथवा कौशल के अधीन की क्षमता को प्रदर्शित करता है जैसे यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढ़ना होता है तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी कविता (हिन्दी) में कोई कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यता तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।
Q.109.बुद्धि क्या है ? इसके स्वरूप का वर्णन करें।
Ans ⇒ बुद्धि व्यक्तियों के मानसिक शक्तियों या क्षमताओं का वह समुच्चय है जिससे वह उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है। इससे स्पष्ट है कि बुद्धि में कोई एक तरह की क्षमता नहीं बल्कि कई तरह की क्षमताओं का समावेश होता है। इन क्षमताओं में तीन तरह की क्षमता अर्थात उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने की क्षमता, विवेकशील चिंता करने की क्षमता तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजित करने की क्षमता सम्मिलित होती है।
Q.110. निरीक्षण विधि के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
Ans ⇒ निरीक्षण विधि के दो प्रमुख अवस्थाएँ हैं –
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण – यह प्राथमिक तरीका है जिससे हम देखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में कैसे व्यवहार करते हैं।
(ii) सहभागी प्रेक्षण – इसमें प्रेक्षक की प्रक्रिया में सक्रिय सदस्य के रूप में संलग्न होता है। इसक लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है। इस तकनीक का मानवशास्त्री बहुतायत से उपयोग करते हैं जिनका उद्देश्य होता है कि उस सामाजिक व्यवस्था का प्रथमतया दृष्टि से एक प्ररिप्रेक्ष्य विकसित कर सके जो एक बाहरी व्यक्ति को सामान्यता उपलब्ध नहीं होता है।
Q.111. कुले के समूह विभाजन का वर्णन करें।
Ans ⇒ कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है।
(i) प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है जैसे परिवार, जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है जैसे राजनीतिक दल।
(ii) प्राथमिक समूह को सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है। जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।
(iii) प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध होता है जबकि गौण समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध नहीं होता है।
Q.112. मानव व्यवहार पर पड़ने वाले प्रदूषण के प्रभाव लिखें।
Ans ⇒ पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है जो मानव व्यवहार को प्रभावित करता है।
(i) मानव व्यवहार पर प्रदूषण का प्रभाव – वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइडं तथा अन्य वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। जिसका प्रभाव-मानव के स्वास्थ्य व व्यवहार पर पड़ता है।
(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव – जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध, स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। जल प्रदूषण से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग जैसे पीलिया, हैजा, टायफाइड आदि फैलते हैं।
Q.113. अंतर समूह द्वंद्व के क्या कारण हैं ?
Ans ⇒ अंतर समूह द्वंद्व के निम्नलिखित कारण हैं –
(i) किसी छोटे से छोटे विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
(ii) दोनों पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण संप्रेक्षण।
(iii) पूर्व में किए गए किसी नुकसान का बदला लेने की भावना।
(iv) पूर्वाग्रही प्रत्यक्षा
(v) प्रत्यक्षित असमता आदि।
Q.114. सेवार्थी केन्द्रित चिकित्सा को संक्षेप में बताएँ।
Ans ⇒ कार्ल रोजर्स द्वारा प्रतिपादित इस चिकित्सा में स्व के सम्प्रत्यय की अहम भूमिका है। सेवार्थी के अनुभवों के समक्ष, उसके प्रति सहृदय होना उनमें सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना आदि महत्त्वपूर्ण बातें हैं ताकि समाकलित होने में सहायक सिद्ध होती है। समायोजन बुद्धि के साथ ही व्यक्तिगत संबंधों में सुधार आता है। जो कि सेवार्थी को अपनी वास्तविकता का ‘स्व’ होने में सहायता प्रदान करती है जिसमें चिकित्सक की भूमिका एक सुगमकर्ता के रूप में जानी जाती है।
Q.115.समाजोपकारी व्यवहार की विशेषता को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
Ans ⇒ समाजोपकारी व्यवहार से तात्पर्य है कि किसी हित के भाव से दूसरों के लिए कुछ करना या उनके कल्याण के बारे में सोचना।।
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) इसमें व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने या उनका भला करने का लक्ष्य होना चाहिए।
(ii) इस व्यवहार को नि:स्वार्थ करना चाहिए।
(iii) व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से करे न कि किसी प्रकार के दबाव के कारण।
(iv) इसमें व्यक्ति को सहायता करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पडता है।
उदाहरणार्थ यदि कोई धनी व्यक्ति अवैध तरीके से प्राप्त किया हुआ बहुत सारा धन इस आशय से दान करता है। कि उसका चित्र एवं नाम समाचारपत्रों में छप जाएगा तो उसे समाजोपयोगी व्यवहार नहीं कहा जा सकता है।
Q.116. वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में क्या अन्तर हैं ?
Ans ⇒ वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित अंतर है –
S.N | वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण | समूह बुद्धि परीक्षण |
1. | इस परीक्षण के आयोजन में श्रम एवं समय अधिक लगता है। | समूह परीक्षण में पूरे समूह का परीक्षण एक साथ किया जाता है। |
2. | इस परीक्षण का परिणाम विश्वसनीय होने के साथ-साथ शुद्ध भी होता है। | इस परीक्षण का परिणाम कम विश्वसनीय होता हैं। |
3. | ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ है। | ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए जटिल होते हैं। |
4. | इस पद्धति में परीक्षक का प्रशिक्षित होना अत्यधिक आवश्यक है। | इस परीक्षण में परीक्षक का प्रशिक्षण होना अनिवार्य नहीं है। |
5. | इनमें प्रयोगकर्ता तथा छात्र का सीधा संबंध होने के कारण उनमें घनिष्ठता अत्यधिक होती है। | इस परीक्षण में प्रयोगकर्ता तथा छात्र का संबंध न होकर पूरे समूह के साथ होने के कारण घनिष्ठता नहीं होती है। |
Q.117. प्रेक्षण के लाभ एवं हानि का संक्षेप में वर्णन करें।
Ans ⇒ प्रेक्षण के निम्नलिखित लाभ एवं हानि है –
(i) प्रेक्षण के माध्यम से प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने तथा उसका अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होता है।
(ii) अन्य लोगों को प्रेक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है अथवा किसी स्थिति में निवास करनेवाले लोगों के लिए भी इस प्रयोग का प्रेक्षण उपयोगी है।
(iii) प्रेक्षण से संबंधित दैनिक क्रियाएँ नित्यकर्म की भाँति होती है जो प्रायः प्रेक्षणकर्ता की दृष्टि से चूक जाती है।
(iv) प्रेक्षणकर्ता अनेक बार भावनाओं के अधीन होकर पूर्वाग्रह की भावना का भी समायोजन कर लेता है जिसके कारण परिणाम उचित प्राप्त नहीं होते हैं।
(v) वास्तविक अनुक्रियाएँ एवं व्यवहार प्रेक्षणकर्ता की अनुपस्थिति में प्रभावित हो सकता है जो कि प्रेक्षण की दृष्टि से अनुपयोगी सिद्ध होता है।
Q.118. साक्षात्कार कौशल का संक्षेप में वर्णन करें।
Ans ⇒ मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे -परामशी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनसंधान साक्षात्कार आदि।
Q.119.व्यक्ति समूह में क्यों शामिल होता है बताएँ ?
Ans ⇒ व्यक्ति निम्न कारणों से समूह में शामिल होते हैं –
(i) प्रतिष्ठा या हैसियत की दृष्टि से।
(ii) सुरक्षा की दृष्टि से।
(iii) व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि।
(iv) लक्ष्य की प्राप्ति।
(v) ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना।
(vi) आत्म सम्मान।
Q.120. दबाव के प्रकार का वर्णन करें।
Ans ⇒ दबाव के प्रकार निम्नलिखित हैं –
(i) भौतिक एवं पर्यावरणीय दबाव – भौतिक दबाव वे कहलाते हैं जिनके कारण हमारी शारीरिक अवस्था में परिवर्तन पैदा होता है। पर्यावरणीय दबाव हमारे परिवेश की ऐसी अवस्थाएँ होती है जो मूलतः अपरिहार्य होती है। उदाहरणार्थ, शीतकाल की सर्दी, ग्रीष्मकाल की गर्मी आदि।
(ii) मनोवैज्ञानिक दबाव – मनोवैज्ञानिक दबाव वे कहलाते हैं जो हमारे मन में उत्पन्न होते हैं।
(iii) सामाजिक दबाव – इस प्रकार के दबाव बाह्य होते हैं और अन्य लोगों के साथ हमारी अन्तक्रियाओं के कारण पैदा होते हैं। उदाहरणार्थ, तनावपूर्ण संबंध, लड़ाई-झगड़ा आदि सामाजिक दबाव के उदाहरण हैं।
Q.121. पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की किन्हीं दो विधियों की विवेचना करें।
Ans ⇒ पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं –
(i) पर्यावरण संबंधी परिवर्तन के लिए राजी करना – प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा भाषण एवं सभा के माध्यम से लोगों के आज के पर्यावरण के दुष्परिणाम को बताना और कैसे इसमें लाभदायक परिवर्तन किया जाए इसके लिए लोगों को न केवल जानकारी दें बल्कि राजी भी करें। यह काम जनसंपर्क के माध्यम जैसे समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन से किया जा सकता है।
(ii) पारितोषिक देना – पर्यावरण में समुचित परिवर्तन लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है। पर्यावरण परिवर्तन संबंधी अच्छे कार्यों के लिए उन्हें पारितोषिक देना जरूरी है यह इस तरह का हो सकता है। आर्थिक लाभ (नकद पुरस्कार) उपयोगी सामान देना, प्रशंसा एवं प्रशस्ति पत्र देकर उनको पर्यावरण संबंधी आवश्यक लाभदायक परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
Q.122. मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के पुनर्वास की प्रविधियों का वर्णन करें।
Ans ⇒ मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार के दो घटक होते हैं। पहला लक्षण में कमी आना तथा दूसरा जीवन की गुणवत्ता में सुधार आना। कम तीव्र विकारों जैसे सामान्यीकृत दुश्चिता प्रतिक्रियात्मक दुर्भीति के लक्षणों में कोई कमी आना जीवन की गुणवत्ता में सुधार से. संबंधित होता है। जबकि मनोविद्लता जैसे गंभीर तथा खतरनाक मानसिक विकारों के लक्षणों में कमी आना रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित नहीं हो सकता। क्योंकि कई रोगी नकारात्मकता के लक्षणों से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार के रोगियों में आराम निर्भरता लाने के लिए पुनःस्थापना की आवश्यकता होगी। पुनःस्थापना में मुख्यतः रोगियों को व्यावसायिक चिकित्सा, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता पनःस्थापना का उद्देश्य रोगी को सशक्त तथा समाज का एक उत्पादक सदस्य बनाना है व्यावसायिक चिकित्सा में रोगियों को कागज की थैली बनाना, मोमबत्ती आदि बनाना सिखाया जाता है जिसे वे कार्य अनुशासन आसानी से बना सकें। सामाजिक प्रशिक्षण रोगियों को भूमिका निर्वाह, अनुकरण तथा अनुदेश के लिए दिया जाता है। जिसके आधार पर वह अंतर्वैयक्तिक कौशल विकशित कर सके।
Q.123. भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं का वर्णन करें।
Ans ⇒ वंचना, असुविधा या अहित और भेदभाव हमारे जीवन की महत्वपूर्ण समस्याएँ हैं जो व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन एवं सामाजिक जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं।
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं में निर्धनता, अशिक्षा, असमानता, बेरोजागारी बढ़ती हुए महंगाई, स्वास्थ्य, पेयजल आदि प्रमुख हैं।
Q.124. समूह संघर्ष क्या है ? इसके कारणों का वर्णन करें।
Ans ⇒ समूह संघर्ष के अन्तर्गत एक व्यक्ति या समूह या प्रत्यक्षण करते हैं कि अन्य व्यक्ति उनके विरोधी हितों को रखते हैं तथा दोनों पक्ष एक दूसरे का खण्डन करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
समूह संघर्ष के निम्नलिखित कारण है –
(i) जब एक समूह के सदस्य स्वयं की अपेक्षा दूसरे समूहों के सदस्यों से करते हैं और यह महसूस करते हैं कि वे जो भी चाहते हैं वह उसके पास नहीं है। किंतु वह दूसरे समूह के पास है।
(ii) संघर्ष का दूसरा कारण किसी एक के पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से श्रेष्ठ हैं और वे जो कर रहे हैं उसे होना चाहिए। जब ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोष लगाते हैं।
(iii) दोनों ही पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण सम्प्रेषण संघर्ष का एक मुख्य कारण है।
(iv) पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकतर संघर्ष के कारण होते हैं।
Q.125.संचार की बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
Ans ⇒ संचार में प्रथम कठिनाई भाषा की जटिलता होती है। पारस्परिक समझ के लिए शब्दों का भेद एक बड़ी बाधा है। संचार की बाधाओं को दूर करने में निम्न तत्व सहायक होते हैं। संचार स्पष्ट, प्राप्तकर्ता के प्रत्याश के अनुरूप, समुचित, समयानुसार, एकसमान, लोचदार तथा स्वीकार्य होना चाहिए।
अफसरशाही व लाल फीताशाही से संचार माध्यमों को पूर्णतः मुक्त होना चाहिए।