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10. तरंग प्रकाशिकी ( Short Answer Type Question )

 


Q.1. प्रकाश के प्रकीर्णन से क्या तात्पर्य है ? किस रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सर्वाधिक तथा किस रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन न्यूनतम है ?

Ans ⇒ जब प्रकाश ऐसे कणों पर पड़ता है जिसका आकार, प्रकाश के तरंगदैर्ध्य की तुलना में छोटा है तो प्रकाश विभिन्न दिशाओं में प्रकीर्णित हो जाता है। इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं। वैज्ञानिक रेले के अनुसार, प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता प्रकाश की तरंगदैर्घ्य के चतुर्थघात के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अर्थात्
प्रकाश के प्रकीर्णन से क्या तात्पर्य हैचूँकि बैगनी प्रकाश का तरंगदैर्घ्य सबसे कम तथा लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य सबसे अधिक है। अतः बैगनी प्रकाश का प्रकीर्णन सर्वाधिक तथा लाल प्रकाश का प्रकीर्णन न्यूनतम है।


Q.2. तरंगाग्र क्या है ? हाइजेन का द्वितीयक तरंगिका-सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ तरंगाग्र – प्रकाश के किसी बिन्दु-स्रोत से समान दूरी पर चारों तरफ ईथर के कणों के कंपन की कलाएँ समांगी माध्यमों में समान होती हैं। वैसे समान-कंपन कला वाले कणों को स्पर्श करती हुई काल्पनिक सतह को तरंगाग्र कहा जाता है। समांगी माध्यमों में बिन्दु-स्रोतों के लिए तरंगाग्र गोलाकार होते हैं। बिन्दु सोतों से तरंग के संचरण को उस स्रोत से उत्पन्न गोलाकार तरंगाय के प्रसार के रूप में व्यक्त किया जाता है।
तरंगाग्र क्या है

चित्रानुसार समय के बढ़ने के साथ स्रोत से निकला तरंगाग्र आगे की तरफ प्रसारित होता जाता है और इसके पहले वाले स्थानों पर दूसरे तरंगाग्र प्रसारित होकर आते-जाते हैं। बिन्दु–स्रोत से निकली किरणें गोलाकार तरंगाग्रों की त्रिज्याएँ हैं। अतः प्रकाश की किरणें इसके तरंगारों पर अभिलम्ब होती हैं। गोलीय तरंगाग्रे संकेन्द्री वृत्तों द्वारा प्रदर्शित हैं।
माना कि एक गोलीय सतह है σ जिसका केन्द्र बिन्दु स्रोत S है जो प्रकाश का पल्स उत्साहित करता है। t = 0 समय में 6 पर प्रकाशीय विक्षोभ का कण पहुँचता है तथा कम समयावधि के लिए अन्त करता है जिसमें धनात्मक तथा ऋणात्मक विक्षोभ उत्पन्न होता है। σ पर के ये कणें तब गोलीय तरंगिकाएँ भेजते हैं जो σ के चारों तरफ फैल जाते हैं। t समय में इन तरंगिकाओं में प्रत्येक की त्रिज्याएँ vt होती है। गोलीय ∑ सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के ज्यामितीय आरेख हैं जो प्राथमिक तरंगाग्र से σ = 0 समय में उत्सर्जित हुए थे।
यह स्पष्ट है कि ∑ के बगल के बिन्दु पर बहुत-से द्वितीयक तरंगिकाएँ केवल धनात्मक विक्षोभ पर मिलती हैं। इसलिए σ से द्वितीयक तरंगिकाएँ, इस प्रकार अध्यारोपित होती हैं कि वे द्वितीयक तरंगिकाओं के ज्यामितीय आरेख पर नये तरंगाग्र उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार सतह के बहुत-से बिन्दुओं जो कि तरंगाग्र द्वारा पहुँचते हैं, द्वितीयक तरंगिकाओं के स्रोत हो जाते हैं। किसी दिये गये बाद के समय में इन तरंगिकाओं के ज्यामितीय आरेख उस समय के तरंगाग्र के नया स्थान द्वारा प्रदर्शित होता है।


Q.3. प्रकाश के व्यतिकरण से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ प्रकाश के व्यतिकरण – समान तरंग-लम्बाई के दो या दो से अधिक प्रकाश-तरंगों के अध्यारोपण के कारण किसी स्थान पर उत्पन्न परिणामी प्रदीपन-तीव्रता के अधिकतम तथा न्यूनतम होने की परिवर्तन की घटना प्रकाश का व्यतिकरण कहलाता है।
जब परिवर्तित प्रदीपन-तीव्रता अधिकतम होती है तब व्यतिकरण संपोषी व्यतिकरण तथा जब परिवर्तित प्रदीपन-तीव्रता न्यूनतम होती है तब व्यतिकरण विनाशी व्यतिकरण कहलाती है। जिसमें अवयवी तरंगें विपरीत कलाओं में संयोजित होती हैं किन्तु संपोषी व्यतिकरण में अवयवी तरंगें एक ही कला में संयोजित होती हैं।


Q. 4. प्रकाश का विवर्तन क्या है ? समझाएँ।

Ans ⇒ प्रकाश का विवर्तन – प्रकाश के ऋतरेखीय संचरण के सिद्धान्त क अनुसार किसी छोटे प्रकाश स्रोत से निकले किरण-पंज के सामने यदि अपारदर्शी अवरोध रख दी जाती है तो अवरोध के दूसरी तरफ रखे पर्दे पर अवरोध की जो ज्यामितीय छाया बनती है उसके अंधकारमय क्षेत्र की तरफ भी कुछ प्रकाशित किरणें मुड़ जाती हैं। अवरोध के किनारे से प्रकाश की तरगा के मुड़ जाने की घटना प्रकाश का विवर्तन कहा जाता है। तरंग के विवर्तन का प्रभाव अवरोध के आकार तथा तरंग की तरंग-लम्बाई पर निर्भर करता है। अवरोध का आकार तरंग की तरंग-लम्बाई से कम होने पर विवर्तन का प्रभाव काफी स्पष्ट होता है। छाया की सीमा से प्रकाशित क्षेत्र की तरफ धीरे-धीरे पहले अधिक प्रकाशित तथा कम प्रकाशित पट्टियों में टूटी हुई दिखती है। इन पट्टियों को विवर्तन फ्रिन्ज कहते हैं।
चित्रानुसार S स्रोत से निकली प्रकाश किरणें AB अवरोध आपतित होती है। YX पर्दा है जिस पर A’ B’ ज्यामितीय छाया बनते हैं। A’ के ऊपर तथा B’ के नीचे समान रूप से प्रकाशित होती है। किन्तु AB के किनारे से मुड़ने से प्रकाश किरणें A’B’ के कुछ भागों में A’ से ऊपर तथा B’ से नीचे भी कुछ फ्रिन्जे प्राप्त होती हैं। यह घटना प्रकाश का विवर्तन कहलाता है।
प्रकाश का विवर्तन क्या है


Q.5. प्रकाश के ध्रुवण से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ प्रकाश का धुवण – प्रकाश तरंग की प्रकृति अनुप्रस्थ होती है तथा प्रकाश के कंपन संचरण की दिशा के अभिलम्बवत् होती है। साधारण प्रकाश अध्रुवित प्रकाश कहलाते हैं। किसी बिन्दु पर किरण के सापेक्ष असंख्य अनुप्रस्थ दिशाएँ होती हैं। किसी विशेष दिशा में प्रकाश के कंपन को ले जाने की घटना प्रकाश का ध्रुवण कहलाता है। प्रकाश के कम्पन को किसी एक दिशा में ले जाने के क्रम में विभिन्न प्रकाश के रवा व्यवहार किये जाते हैं। वैसे रवा जो प्रकाश के कंपन को एक दिशा में ले जाते हैं, प्रकाशीय संक्रिया कहलाते हैं। जब अध्रुवित या साधारण प्रकाश प्रकाशीय संक्रिया रखा पर आपतित होता है तो संचरण के बाद प्रकाश का कंपन रवा के अक्ष से समानान्तर हो जाता है तथा इस प्रकार दिशा स्थित हो जाता है। इस तरह संचरित प्रकाश ध्रुवित प्रकाश कहलाता है।
प्रकाश का धुवण


Q.6. प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव क्या है ?

Ans ⇒ प्रकाश स्रोत एवं प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति के कारण आवृत्ति में होने वाले आभासी परिवर्तन को डॉप्लर प्रभाव कहा जाता है। यदि प्रेक्षक स्रोत की ओर चले तो प्रकाश तरंग की आवृत्ति में आभासी वृद्धि अर्थात् तरंगदैर्ध्य में आभासी कमी होती है और यह दृश्य प्रकाश के स्पेक्ट्रम के नीले वर्ण की ओर विस्थापित होगी। तरंगदैर्ध्य की इस कमी को Blue shift कहते हैं। इसके विपरीत यदि प्रेक्षक स्रोत से दूर चले तो प्रकाश की आवृत्ति में आभासी कमी के कारण तरंगदैर्ध्य में आभासी वृद्धि होती है और यह दृश्य प्रकाश के स्पेक्ट्रम के लाल वर्ण की ओर विस्थापित होगी। इसे Red shift कहते हैं। सिद्धान्तों के अनुसार प्रकाश के आभासी तरंगदैर्ध्य (λ) एवं यथार्थ तरंगदैर्ध्य (λ) के बीच निम्नलिखित सम्बन्ध है
प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव क्या हैजहाँ V = प्रकाश स्रोत की चाल तथा C = प्रकाश की चाल।


Q.7. किसी लेंस के विभेदन क्षमता से संबंधित किसी गोलीय द्वारक के विवर्तन के महत्त्व को समझाएँ।

Ans ⇒ गोलीय द्वारक पर विवर्तन के कारण किसी बिन्दु-वस्तु का प्रतिबिंब, बिन्द-प्रतिबिंब न होकर एक चकती की तरह केन्द्रीय अधिकता जिसके चारों तरफ दीप्त एवं अदीप्त छल्ले होते हैं।
लेंस का विभेदन क्षमता किसी लेंस के विभेदन क्षमता से संबंधित जहाँ D = लेंस का द्वारक, λ = तरंगदैर्ध्य।
अतः किसी लेंस के विभेदन क्षमता गोलीय, सतह (जैसे नेत्र लेंस) पर विवर्तन का उच्च सीमा निर्धारित करता है।


Q.8. व्यतिकरण एवं विवर्तन में अंतर स्पष्ट करें।

Ans ⇒ व्यतिकरण एवं विवर्तन में निम्नलिखित अंतर है –

S.Lव्यतिकरणविवर्तन
1.व्यतिकरण की घटना दो कला संबंध स्रोतों से आने वाले दो पृथक-पृथक तरंगाग्रों के अध्यारोपण से होती है।विवर्तन की घटना एक ही तरंगाग्र के विभिन्न बिन्दुओं से आने वाली द्वितीयक तरंगिकाओं के अध्यारोपण के कारण होती है।
2.व्यतिकरण फ्रिजें प्रायः समान चौड़ाई की होती है।विवर्तन फ्रिजें समान चौड़ाई की नहीं होती है।
3.सभी दीप्त फ्रिजें पर तीव्रता समान होती है।क्रमिक दीप्त फ्रिजें पर तीव्रता घटती जाती है।
4.सभी अदीप्त फ्रेजों पर तीव्रता एक-सी होती है।सभी अदीप्त फ्रिजें पर तीव्रता शून्य होती है अथवा प्रायःबढ़ती है।

 


Q. 9. ध्रुवित-प्रकाश उत्पन्न करनेवाला एक युक्ति का नाम लिखें। एक ग्राफ बनाएँ जो यह साबित करें कि पारगमित प्रकाश की तीव्रता ध्रुवक तथा विश्लेषक के बीच के कोण पर निर्भर करता है।

Ans ⇒ नाइकोल प्रिज्म ।
ग्राफ –
प्रकाश उत्पन्न करनेवाला एक युक्ति का नाम लिखें


Q.10. जब प्रकाश की किरणें विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है, तो उसकी गति घटती है। गति में यह कमी क्या प्रकाश ऊर्जा में कमी का द्योतक है ?

Ans ⇒ हम जानते हैं कि C = vλ
माध्यम में, V = vλ (जहाँ V < C क्योंकि λ घटता है)
ऊर्जा E = nv
ऊर्जा नहीं घटता क्योंकि प्रकाश का आवृत्ति (v) नहीं बदलता है।


Q.11. एकवर्णीय प्रकाश तथा श्वेत प्रकाश के कारण एकल-झिरी विवर्तन प्रतिरूप की तुलना करें।

Ans ⇒ श्वेत प्रकाश के लिए केन्द्रीय अधिकता (C.M.) दूसरे अधिकता तथा न्यूनता के साथ रंगीन हो जाता है, क्योंकि सभी की चौड़ाई तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है।


Q.12. (a) हाइगेन के तरंग सिद्धांत के अवधारणाओं को लिखें।
(b) (i) दूर से आती प्रकाशपूँज तथा (ii) किसी बिन्दु स्रोत से अपसारित प्रकाशपूँज के लिए तरंगाग्र के प्रकार को दर्शाएँ।

Ans ⇒ (a) हाइगेन के तरंग सिद्धांत के अवधारणाएँ–
(i) किसी स्रोत से निकले हुए तरंग जो की तरंग गति से आगे बढ़ता है, प्रकाश कहलाता है। (ii) प्रकाश जिस माध्यम में गमन करता है, उसे ईथर माध्यम कहा जाता है, जो कि अत्यधिक प्रत्यास्थ तथा कम घनत्व वाला होता है। (iii) प्रकाश का रंग उसके आवृत्ति पर निर्भर करती है।
हाइगेन के तरंग सिद्धांत के अवधारणाओं को लिखें।(b) (i) दूर से आती प्रकाशपूँज (ii) किसी बिन्दु स्रोत से अपसारित प्रकाशपूँज।


Q.13. जब एकवर्णीय प्रकाश दो माध्यमों को पृथक करने वाली सतह पर आपतित होता है, तब परावर्तित एवं अपवर्तित दोनों प्रकाश की आवृत्तियाँ समान होती है। स्पष्ट कीजिए, क्यों ?

Ans ⇒ जब एकवर्णीय प्रकाश दो माध्यमों को पृथक करने वाली सतह पर आपतित होता है, तब परावर्तित एवं अपवर्तित दोनों प्रकाश की आवत्तियाँ समान होती है, क्योंकि प्रकाश फोटॉन का बना होता है, तथा फोटॉन की ऊर्जा हमेशा समान होती है।


Q.14. जब प्रकाश विरल से सघन माध्यम में गति करता है तो उसकी चाल में कमी आती है। क्या चाल में आई कमी प्रकाश तरंगों द्वारा संचारित ऊर्जा की कमी को दर्शाता है।

Ans ⇒ जब प्रकाश विरल से सघन माध्यम में गति करता है तो उसकी चाल में कमी आती है, चाल में आई कमी प्रकाश तरंगों द्वारा संचारित ऊर्जा की कमी को नहीं दर्शाता क्योंकि प्रकाश तरंगों द्वारा संचारित ऊर्जा तरंगों के आयाम पर निर्भर करता है न कि उसके चाल पर।


Q.15. प्रकाश का एक संकीर्ण स्पंद एक माध्यम में भेजा जाता है। क्या आप आशा करते हैं कि स्पंद माध्यम में गति के साथ अपनी आकृति पूर्ववत् रखेगा ?

Ans ⇒ जैसा कि हम जानते हैं कि एक संकीर्ण स्पंद बहुत सारे छोटे-छोटे आवर्त तरंगों के मिलने से बना हो तथा सभी आवर्त तरंगों के पास विभिन्न तरंगदैर्ध्य है।
सुत्रानुसार, V = vλ अत: विभिन्न तरंगदैर्यों के स्पंद विभिन्न गति तथा विभिन्न आकृति के साथ गमन करेंगे।


Q.16. प्रकाश की तरंग आवधारणा में, प्रकाश की तीव्रता का आकलन तरंग के आयाम के वर्ग से किया जाता है। प्रकाश को फोटॉन अवधारणा में प्रकाश की तीव्रता का आकलन करता है ?

Ans ⇒ प्रकाश की तरंग अवधारणा में, प्रकाश की तीव्रता का आकलन तरंग के माध्यम के वर्ग से किया जाता है तथा फोटॉन अवधारणा में प्रकाश की तीव्रता किसी इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने वाले फोटॉन की संख्या से प्राप्त किया जाता है।


Q.17. स्थिर जल में प्रकाश की चाल c/n है, जहाँ n जल का अपवर्तनांक है। प्रेक्षक के सापेक्ष चाल v से गतिमान जलधारा में प्रकाश की चाल क्या होगी ?

Ans ⇒ चूंकि प्रकाश की चाल जलधारा की चाल पर निर्भर करता है। इसलिए प्रेक्षण के सापेक्ष चाल V से गतिमान जलधारा में प्रकाश की चाल पहले से मौजूद चाल से अधिक होगा (अर्थात् c/n + होगा)।


Class 12th physics Subjective question in hindi

भौतिक विज्ञान ( Physics ) Short Answer Type Question
1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र
2स्थिर विधुत विभव तथा धारिता
3विधुत धारा
4गतिमान आवेश और चुम्बकत्व
5चुम्बकत्व एवं द्रव्य
6विधुत चुम्बकीय प्रेरण
7प्रत्यावर्ती धारा
8विधुत चुम्बकीय तरंगें
9किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र
10तरंग प्रकाशिकी
11विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
12परमाणु
13 नाभिक
14अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
15संचार व्यवस्था

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