लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर home science part – 2 (20 Marks)
31. रजोनिवृत्ति (Menopause)
उत्तर⇒ रजोनिवृत्ति काल प्रायः स्त्रियों में 40 वर्ष के बाद ही होता है। इस अवस्था में स्तन के ऊतक ढीले हो जाते हैं, डिम्बग्रंथियों (overies) में जराकालीन परिवर्तन (Senile changes) आ जाता है, वह छोटा हो जाता है और उससे रक्त स्राव होना बंद हो जाता है।
32. विभिन्न प्रकार की असमर्थता/विकलांगता बताइए।
(Describe the different types of disability/handicap.)
उत्तर⇒ विकलांगता शारीरिक, वाणी दोष तथा तंत्रिकीय दोष संबंधी होता है
(i) अपंगता, (ii) दृष्टि क्षति, (iii) श्रवण शक्ति में क्षति, (iv) हकलाने या दोषमुक्त वाणी वाले बालक तथा (v) मानसिक न्यूनता।
33. बच्चों में विकलांगता के कारण।
(Reasons of disability among children.)
उत्तर⇒ शारीरिक विकलांगता/असमर्थता के निम्नलिखित कारण हैं-
(i) वंशानुक्रम
(ii) माता-पिता का अरुचिपूर्ण व्यवहार
(iii) जन्म के समय चोट लगना
(iv) शैशव काल में किसी दुर्घटना के कारण हड्डियों की समस्या
(v) शल्य चिकित्सा के कारण शरीर के किसी अंग का कटना
(vi) मानसिक तथा भावात्मक तनाव के कारण हकलाना और वाणी संबंधी दोष
(vii) कान में किसी संक्रमण अथवा दुर्घटना के कारण सुनने में दोष।
34. शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता से युक्त बालक
(Physically handicapped and mentally handicapped children.)
उत्तर⇒ शारीरिक अक्षमता से युक्त बालक-ऐसे बालक जिनमें कोई शारीरिक दोष होता हैं और यह दोष उन्हें सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता हैं, उन्हें शारीरिक रूप से अक्षम बालक कहते हैं। जैसे- अंधता, अपंगता, गंगापन, बहरापन आदि शारीरिक अक्षमता के अंतर्गत आते हैं।
मानसिक अक्षमता से युक्त बालक- ऐसे बालक जिनका मानसिक विकास किन्हीं कारणों से सामान्य बालकों की तरह नहीं हो पाता या सीमित रह जाता हैं, जो उन्हें सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है, उन्हें मानसिक अक्षमता से युक्त बालक कहते हैं।
35. प्राकृतिक या जन्मजात रोधक्षमता (Natural Immunity.)
उत्तर⇒ प्राकृतिक रोधक्षमता को प्राकृतिक रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं। यह क्षमता शरीर में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले विरोधी तत्त्वों के कारण होती है। शरीर में रोग प्रतिरोधी तत्त्व निम्नलिखित कार्य करते हैं
(i) रोगाणुओं का शरीर में प्रवेश रोकते हैं।
(ii) यदि रोगाणु शरीर में प्रवेश हो जाय तो उनसे संघर्ष करते हैं।
(iii) रोगाणुओं को नष्ट कर देते हैं जिससे वह रोग के बाहय लक्षणों को प्रकट न कर सके।
36. मंदबुद्धि बालक (Mentally retarded children.)
उत्तर⇒ इस प्रकार के बालकों में सीमित मानसिक विकास पाया जाता है। यह बालक प्रशिक्षण द्वारा पूर्णतया ठीक नहीं किये जा सकते हैं। इनको विशेष रूप से बनाये गये मंद बुद्धि विद्यालयों म शिक्षा देनी चाहिए। ऐसे बालकों के लिए प्रशिक्षित शिक्षक तथा विशिष्ट कार्यक्रमों का किया जा सकता है। सामान्य बालकों के विद्यालय में विशिष्ट कक्षाएँ खोलकर भी इनको प्रशिक्षित किया जा सकता है।
37. मंदबुद्धि बालक की क्या आवश्यकताएँ हैं ?
(What are the needs of imbecile child ?)
उत्तर⇒ मंदबुद्धि बालक की निम्नलिखित आवश्यकताएँ हैं
(i) इनकी शिक्षा विशेष मंदबुद्धि विद्यालय में करायी जाती है।
(ii) इनकी शिक्षा का प्रबंध सामान्य स्कूलों में होती है ।
(iii) इसके लिए प्रशिक्षित शिक्षक एवं विशिष्ट कार्यक्रमों का प्रबंध किया जाता है।
38. प्रतिभाशाली बालक (Gified children)
उत्तर⇒ इन बालकों की बौद्धिक क्षमताएँ सर्वोत्तम होती है। ये बालक देश तथा समाज के प्रत्येक क्षेत्र में पाये जाते हैं। ये विशिष्ट बालक होते हैं परंतु सामान्य बालकों से पृथक आवश्यकताएँ रखते हैं। इन बालकों का समायोजन सामान्य बालकों के साथ नहीं हो पाता है।
39. वैकल्पिक शिशुपालन का क्या अर्थ है ?
(What is meaning of substitute child care ?)
उत्तर⇒ माता-पिता अथवा माता की अनुपस्थिति में बच्चे की मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए उसकी देखभाल करना है। उसकी देखभाल या पालन की सुविधा घर में (भाई-बहन तथा संबंधियों द्वारा) व घर के बाहर क्रेच व डे केयर केन्द्रों (Day care centres) दोनों जगह प्राप्त हो सकती हैं।
40. बाल अपराध में बालक का व्यवहार क्या है?
(What is child behaviour in child crime ?)
उत्तर⇒ जो बालक समाज द्वारा तथा कानून द्वारा बनाये गए नियमों की अवहेलना करते हैं और एक निश्चित आयु से कम आयु वर्ग के होते हैं। बाल अपराधी कहलाते हैं। बाल-अपराध में बालकों का निम्नलिखित व्यवहार सम्मिलित होता हैं
(i) अवज्ञा,
(ii) चोरी,
(iii) मारपीट,
(iv) यौन अपराध,
(v) आत्महत्या,
(vi) झूठ बोलना,
(vii) मद्यपान,
(viii) हड़ताल करना,
(ix) विद्यालय से भागना,
(x) धोखा देना,
(xi) बेईमानी करना,
(xii) आवारागर्दी,
(xiii) तोड़फोड़ करना,
(xiv) कक्षा में हँसना और सीटी बजाना इत्यादि।
41. सुपोषण एवं कुपोषण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(Differentiate between good Nutrition and malnutrition.)
उत्तर⇒ सपोषण- जब भोजन द्वारा मनुष्य को अपनी आवश्यकतानुसार सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा में मिलते हैं तो ऐसी स्थिति को सुपोषण या उत्तम पोषण की स्थिति कहते हैं। उत्तम पोषण द्वारा ही व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य ग्रहण करता है।
कुपोषण- कुपोषण का शाब्दिक अर्थ हैं “अव्यवस्थित पोषण”। जब मनुष्य को इसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल उपयुक्त मात्रा में सभी पौष्टिक तत्त्व नहीं मिलते या आवश्यकता से अधिक मिलते हैं तो उसे कुपोषण कहते हैं। कपोषण के कारण मनुष्य के शरार की वृद्धि, विकास एवं कार्य पर कुप्रभाव पड़ता है।
42. पूर्ण पोषक तत्त्व एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्व
(Macronutrients and Micronutrients)
उत्तर⇒ पूर्ण पोषक तत्त्व- शरीर द्वारा बड़ी मात्रा में आवश्यक पोषक तत्त्व। जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, वसा तथा प्रोटीन।
सूक्ष्म पोषक तत्त्व- शरीर द्वारा छोटी मात्रा में आवश्यक पोषक तत्त्व। जैसे- विटामिन तथा खनिज लवण।
43. अतिपोषण से क्या समझते हैं ?
(What do you understand by over nutrition ?)
उत्तर⇒ अत्यधिक आहार ग्रहण करने की पोषण की वह अवस्था है जिसमें मोटापा हो जाता है, उच्च रक्तचाप, पथरी तथा हृदय संबंधी अन्य रोग हो जाते हैं। अतिपोषण कहलाती है। यहाँ तक कि आयोडीन व लौह तत्त्व अधिक मात्रा में लेने से एकसोपथैलमिया तथा हाइपरसाईथिमिया हो जाता है। अतिपोषण के कारण निम्नलिखित हैं-
(i) अधिक भोजन ग्रहण करना,
(ii) उच्च आर्थिक स्तर,
(iii) खाने की त्रुटिपूर्ण आदतों का होना।
44. पोषक तत्त्व क्या है ? इसके क्या कार्य हैं ?
(What is Nutrient Element ? What are its functions ?)
उत्तर⇒ पोषक तत्त्व- तत्त्व, जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं के अनुरूप पोषण प्रदान करते हैं अर्थात् अपेक्षित रासायनिक ऊर्जा देते हैं उसे पोषक तत्त्व कहते हैं।
प्रमुख पोषक तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(i) कार्बोहाइड्रेट- यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
(ii) प्रोटीन- यह शरीर की वृद्धि करता है।
(iii) वसा- इससे शरीर को तीन प्रकार के अम्ल प्राप्त होते हैं।
(i) लिनोलीन, (ii) लिनोलोनिक तथा (iii) अरकिडोनिक। शरीर में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण के लिए इसकी उपस्थिति आवश्यक है।
(iv) कैल्शियम- यह अस्थि के विकास एवं मजबूती के लिए आवश्यक है।
(v) फॉस्फोरस- यह भी अस्थि के विकास के लिए आवश्यक है।
(vi) लोहा- यह शरीर की रक्त-अल्पता, हिमोग्लोबिन और लाल रक्तकण प्रदान कर दूर करता है। गर्भावस्था एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अति आवश्यक है।
(vii) विटामिन- यह दो प्रकार के होते हैं (i) जल में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन-B, विटामिन-C तथा (ii) वसा में घुलनशील विटामिन जैसे- विटामिन-A, विटामिन-D, विटामिन-E, विटामिन-K। यह शरीर के लिए अति आवश्यक है।
यह कई रोगों से बचाता है।
45. सुपोषण किसे कहते हैं ?
(What do you understand by good nutrition ?)
उत्तर⇒ सुपोषण के अंतर्गत वैसे भोज्य पदार्थ ग्रहण किये जाते हैं जिनमें सभी पौष्टिक तत्त्व शरीर की आवश्यकतानुसार उचित अनुपात एवं मात्रा में मौजूद होते हैं। सुपोषण में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण तथा जल आवश्यक होते हैं। इस प्रकार के भोजन से भी क्रियाओं को समुचित संचालन की क्षमता रहती है। शरीर की सभी कोशिकाओं का पोषण होता है। रोग-निरोधन क्षमता बढ़ती है।
46. स्तनपान क्यों जरूरी है ?
(Why does breast feeding essential ?)
उत्तर⇒ शिशुओं के लिए निम्नलिखित कारणों के कारण माँ का स्तनपान जरूरी है-
(i) माँ के दूध में सभी पोषक तत्त्व उपस्थित होते हैं तथा
(ii) माँ का दूध शुद्ध, स्वच्छ तथा प्रतिद्रव्य यक्त होने के साथ-साथ रोगाणुओं की प्रतिकारिता होती है।
47. स्तनपान के चार लाभ लिखिए।
(Write the four advantages of breast feeding.)
उत्तर⇒ स्तनपान से लाभ निम्न हैं
(i) माता के दूध में लैक्टोएल्बयुयमिन नामक प्रोटीन होता है जो कैसीन की अपेक्षा अधि क सुपाच्य होता है।
(ii) माता के दूध में बाह्य कीटाणुओं के प्रवेश की गुंजाइश नहीं होती।
(iii) क्लोस्ट्रम (माँ के स्तन से निकला पहला दूध) में एंटीबाडी होती है जो प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है।
(iv) माता का दूध सामान्य तापक्रम पर उपलब्ध होता है। इसे न गर्म करने की जरूरत होती और न ही ठंडा।
48. क्रेच क्या है ? (What is a Creche ?)
उत्तर⇒ क्रेच में बच्चों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था होती है। क्रेच एक ऐसा सुरक्षित स्थान है जहाँ बच्चे की सही देख-भाल में तब तक छोड़ा जा सकता है जब-तक माता-पिता काम में व्यस्त रहते हैं। क्रेच में तीन वर्ष तक के बच्चों को रखा जाता है।
49. अनौपचारिक शिक्षाएँ (Non-Formal Education)
उत्तर⇒ वे महिलाएँ जो ग्रामीण क्षेत्रों व पिछड़ी जनजाति की हैं उन्हें औपचारिक शिक्षाएँ प्रदान की जाती हैं। उन्हें ऐसे तरीके सिखाये जाते हैं जो परिवार की आय बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।
50. वृद्धि तथा विकास को परिभाषित करें।
(Define Growth and Development.)
उत्तर⇒ वद्धि आकार, लम्बाई एवं वजन में होने वाला प्रत्येक परिवर्तन वृद्धि कहलाता है। इसकी माप की जाती है । यह सामान्यतः शरीर के आकार, लम्बाई तथा वजन में वद्धि हेतू प्रयोग होता है।
विकास- स्वभाव में परिवर्तन जैसे त्वचा का कठोर होना, बालों का शरीर पर उगना, बालों का सफेद होना आदि क्रियाएँ विकास के अंतर्गत आती हैं। मानसिक, भावात्मक. नैतिक एवं सामाजिक आदि पक्षों में विकास होते हैं। विकास की विभिन्न अवस्थाएँ होती हैं, जो एक दूसरे से संबद्ध होती हैं।
51. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से आप क्या समझते हैं?
[What do you mean by World Health Organisation (WHO) ?]
उत्तर⇒ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)- विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 1948 ई० में कुपोषण-निवारण हेतु की गयी, जिसके 148 देश सदस्य हैं। इसके द्वारा भारत को 220 स्वास्थ्य योजनाओं के लिए सहायता प्रदान की गयी है। बीस मेडिकल कॉलेजों में नये विभाग खोलने के लिए 20 विजिटिंग प्रोफेसर भेजे गये हैं। इसने सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 1300 से अधिक शिक्षा-वृत्तियाँ प्रदान की हैं।
52. संक्रामक रोग किसे कहते हैं ? इसके फैलने के कारण लिखें।
(What is called Infected disease ? Write cause of its expansion.)
उत्तर⇒ संक्रामक रोग-ऐसे रोग जो एक रोगी से दूसरे व्यक्ति को हो जाते हैं इसे संक्रामक रोग कहते हैं। यह सूक्ष्म रोगाणुओं द्वारा होते हैं तथा तीव्रता से फैलते हैं। संक्रामक रोग निम्नलिखित माध्यमों द्वारा फैलते हैं
(i) वायु द्वारा,
(ii) जल द्वारा,
(iii) भोजन द्वारा,
(iv) संपर्क द्वारा,
(v) कीड़ों द्वारा तथा
(vi) अन्य स्रोतों द्वारा।
53. नि:संक्रामक से आप क्या समझते हैं ?
(What do you mean by disinfectants ?)
उत्तर⇒ नि:संक्रामक वैसे पदार्थ नि:संक्रामक कहलाते हैं, जो रोगों के जीवाणुओं तथा उसके विष को नाश करने के लिए व्यवहृत होते हैं। वैसे पदार्थों में जीवाणुओं के समूह को नष्ट करने की शक्ति होती है, जैसे- फिनायल, फार्मेलिन, कार्बोलिक अम्ल, मरकरी वाट्नक्लोराइड, क्रीसोल, ब्लीचिंग पाउडर, ताजा चूना आदि।
54. एक अच्छे कैच की चार सुविधाएँ क्या हैं ?
(What are the four facilities of good a creche ?)
उत्तर⇒ एक अच्छे कैच की चार सुविधाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) यह बच्चों को निश्चित समय तथा तापमान पर दूध तथा आहार प्रदान करते हैं।
(ii) यह बच्चों को मेज पर बैठकर खाने के तरीके सिखाते हैं।
(iii) यह प्रत्येक छोटे बच्चों को चारपाई प्रदान करते हैं।
(iv) यह बच्चों को साफ तथा सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं।
55. अस्थायी दाँत (Temporary Teeth)
उत्तर⇒ बालक में छ: से आठ माह के बीच दाँत निकलना प्रारंभ हो जाता है और पाँच वर्ष से टूटने लगता है। इनकी संख्या 20 होती है। स्थायी दाँतों को तुलना में यह छोटे एवं गुण में हीन होते हैं।
56. गर्भवती माता (Pregnant Women)
उत्तर- जब बच्चा महिला के गर्भ में रहता है तो उसे गर्भवती माता कहते हैं। इस समय इसे विशेष देखभाल, पोषण, आराम, हल्का व्यायाम तथा चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता होती है। साधारण अवस्था की तुलना में इस समय 300 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है।
57. स्तन्यमोचन (Weaning)
उत्तर⇒ स्तन्यमोचन का अर्थ हैं बच्चे को माता के दूध के अतिरिक्त अन्य भोज्य पदार्थों से परिचित कराना। शिशु माता के दूध पर पूर्णतया निर्भर रहता है। इस अवस्था में उसे अन्य ठोस तथा अर्द्धठोस एवं पाचक भोज्य पदार्थ खिलाये जाते हैं जिससे धीरे-धीरे वह माता का दध पीना बंद कर देता है।
58. रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)
उत्तर⇒ प्रकृति ने व्यक्ति को रोगों से लड़ने की स्वाभाविक क्षमता प्रदान की है, जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं
(i) प्राकृतिक प्रतिरक्षण- इसके अंतर्गत श्वेत रक्ताणु द्वारा जैसे- एंटी टॉक्सिन का निर्माण होता है जो संक्रमण से बचाता है। माता का दूध, त्वचा, नाक की बाल तथा अंगों के श्लेष्मा से प्रतिरक्षण होता है।
(ii) कृत्रिम प्रतिरक्षण- कृत्रिम प्रतिरक्षण टीकाकरण द्वारा किया जाता है।
59. कोलस्ट्रम (Colustrum)
उत्तर⇒ कोलस्ट्रम माता का प्रथम दूध है जो शिश के लिए अमृत के समान होता है, यह शिशु को विभिन्न रोगों से सुरक्षा एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है। कोलस्ट्रम में इमुनोग्लोब्यूलिन्स (immunoglobuline) की मात्रा दध की अपेक्षा अधिक होती है जो शिशु को विभिन्न सूक्ष्म जीवाणु-विषाणुओं के संक्रमण से बचाता है तथा रोगों से रक्षा करता है।
60. जीवन रक्षक घोल क्या है? इसे कब प्रयोग करते हैं?
(What is ORS ? When does it used ?)
उत्तर⇒ जीवन रक्षक घोल ओरल डिहाइडेशन साल्ट सोल्यूशन (ORAL DEHYDRATION SALT SOLUTION) को जीवन रक्षक घोल कहा जाता है। जब हैजा या अतिसार होने से या वमन होने से शरीर में जल की कमी हो जाती है तो डिहाइड्रेशन हो जाता है। जिसके अधिक होने से शरीर में जलापानी चदाना पडता है। उसके अभाव में रोगी की जान भा जा सकता है। इसलिए शरीर में जल की मात्रा बढाने हेत सर्वप्रथम जीवन रक्षक घोल जो कि ओरल डिहाइड्रेशन साल्ट घोल जल मिला कर तैयार किया जाता है। बच्चों को या वयस्कों को भी दिया जाता है। वस नमक तथा चीनी को जल में मिलाने से जो घोल बनता है उसे जीवन रक्षक घोल कहते हैं।