Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 6
Q.126. प्लासी का युद्ध (1757) किसके बीच हुआ था ?
Ans ⇒ प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 ई०को बंगाल का नबाब सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच प्लासी के मैदान में हुआ था। यह सही रूप में लडाई नहीं थी बल्कि अंग्रेजी सेनापति क्लाइव को कूटनीतिक चाल थी। इसने नबाब के सेनापति मीरजाफर को अपनी ओर मिलाकर लडाई का ढोंग रचा था। सेनापति मीरजाफर के विश्वासघात के कारण नबाब की हार हो गई और नबाब सिराजुद्दौला की हत्या कर दी गई। इस तरह क्लाइव का षड़यंत्र सफल रहा। वहीं से भारत में अंग्रेजी शासन की नींव पड़ गई।
Q.127. संक्षेप में रॉलेट एक्ट के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया का विवेचना कीजिए।
Ans ⇒ 1. माटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों (1919) से भारतीय राष्ट्रीय नेताओं में घोर निराशा व असंतोष देखकर सरकार बुरी तरह घबरा उठी। सरकार ने असंतोष को दबाने के लिए अपना दमनचक्र चला दिया।
2. सरकार ने 1919 ई० के प्रारंभ में रॉलेट एक्ट पास कर दिया। इस एक्ट में सरकार को दो व्यापक अधिकार मिले
(i) इस एक्ट के द्वारा सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए तथा दोषी सिद्ध किए जेल में बंद कर सकती है।
(ii) सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण । (Habeas Corpus) के अधिकार को स्थगित कर सकती थी।
3. इस एक्ट के कारण लोगों में रोष की लहर दौड़ गई। अतः देश में विरोध होने लगा। देश भर में विरोध सभाएँ, प्रदर्शन और हड़तालें हुई। सेंट्रल लेजिस्लेटिव कौंसिल से तीन भारतीय सदस्यों-मोहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय और मजहरूलहक ने इस्तीफा दे दिया। सरकार ने दमन शुरू किया। कई स्थानों पर उसने लाठी-गोली आदि का सहारा लिया। इस एक्ट के विरुद्ध गाँधीजी ने सत्याग्रह किया। पंजाब के जालियाँवाला बाग में इसी एक्ट के विरुद्ध शांतिपूर्ण जनसभा हो रही थी जिससे क्रुद्ध होकर जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियों की वर्षा करवा दी थी।
Q.128. 1931 के गाँधी-इरविन समझौते का क्या परिणाम निकला ?
Ans ⇒ 1. यद्यपि गाँधीजी दूसरे गोलमेल सम्मेलन में भाग लेने गए थे। जनवरी, 1932 ई. को गाँधीजी तथा अन्य नेताओं को बंदी बना लिया गया।
2. काँग्रेस को पुनः गैरकानूनी घोषित कर दिया गया।
3. एक लाख से अधिक सत्याग्रही बंदी बना लिए गये।
4. हजारों प्रदर्शनकारियों की भूमि, मकान तथा संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली।
Q.129.“सांप्रदायिक पंचाट” की घोषणा किसने की ? इसके प्रावधान क्या थे ?
Ans ⇒ 16 अगस्त, 1932 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री मेकडॉनल्ड ने एक घोषणा की जो मेकडॉनल्ड निर्णय या सांप्रदायिक पंचाट के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रावधान – इसके अनुसार दलितों को हिंदुओं से अलग मानकर उन्हें अलग प्रतिनिधित्व देने को कहा गया और दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया।
Q.130.“द्विराष्ट्र-सिद्धान्त’ का क्या अर्थ है ? यह किस प्रकार से भारतीय इतिहास की पूर्ण मिथ्या थी ?
Ans ⇒ द्विराष्ट्र-सिद्धान्त से अभिप्राय यह है कि हिन्दुओं एवं मुसलमानों के दो अलग-अलग राष्ट्र (देश) हैं, अत: वे एक होकर नहीं रह सकते। यह सिद्धान्त इस आधार पर मिथ्या था कि मध्यकाल में हिन्दुओं तथा मुसलमानों ने एक सांझी संस्कृति का विकास किया। सन् 1857 की क्रांन्ति में भी वे एकजुट होकर लड़े।
Q. 131. आजाद हिंद फौज की रचना और गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
Ans ⇒ 1. सुभाषचंद्र बोस ने ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन अंग्रेजों के साथ सशस्त्र संघर्ष के लिए किया था। दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होते ही सुभाषचंद्र बोस को उनके कलकत्ता (कोलकाता) स्थित निवास स्थान पर नजरबंद कर दिया गया था जिससे कि वे अपनी क्रांतिकारी गतिविधियाँ अंग्रेजों के विरुद्ध प्रयुक्त न कर सकें।
2. 1941 ई. में अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर वे अफगानिस्तान के मार्ग से जर गये। 1943 ई० में बर्मा पहुँच कर जापान द्वारा बंदी किए गये भारतीय सैनिकों को संगठित का हिंद फौज’ का गठन किया।
3. लोभ प्यार से सुभाषचंद्र बोस को नेताजी कहते थे। नेताजी ने युवकों को ललका कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकाला लिए विदेशों से भी सहायता ली।
4. 1945 ई. के बाद जापान की पराजय के बाद भारत की सीमा तक पहँची हई आज हिंद फौज के पाँव उखड गये। अतः आजाद हिंद फौज (Indian National Army) के कई बडे सैनिक अधिकारियों और सिपाहियों को अंग्रेजों ने पकड़ लिए।
Q.132. क्रिप्स मिशन कब भारत आया ? क्रिप्स वार्ता क्यों भंग हो गई ?
Ans ⇒ क्रिप्स मिशन मार्च, 1942 में भारत आया। यह वार्ता इसलिए भंग हो गई क्योंकि सरकार युद्ध के बाद भी भारत को स्वाधीनता का वचन देने के लिए तैयार न थी। क्रिप्स ने काँग्रेस का यह प्रस्ताव भी ठुकरा दिया था कि युद्ध के बाद एक राष्ट्रीय सरकार बनाई जाए।
Q.133. काँग्रेस ने क्रिप्स प्रस्तावों को क्यों अस्वीकार कर दिया ?
Ans ⇒ 1942 ई० के प्रारम्भ में ही ब्रिटिश सरकार को द्वितीय महायुद्ध प्रयासों में भारतीयों के सक्रिय सहयोग की पुरी तरह आवश्यकता महसूस हुई। ऐसा सहयोग पाने के लिए उसने कैबिनेट मंत्री पर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च, 1942 ई० सर स्टैफोर्ड क्रिप्स पहले मजदूर दल (लेबर पार्टी) के उग्र सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के पक्के समर्थक थे।
क्रिप्स ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश नीति का उद्देश्य यहाँ, “जितनी जल्दी सम्भव हो स्वशासन की स्थापना करना था” फिर भी उसकी एवं काँग्रेसी नेताओं की लम्बी बातचीत टूट गई। ब्रिटिश ने नेताओं की यह माँग मानने से इन्कार कर दिया कि शासन सत्ता तुरन्त भारतीयों को सौंप दी जाये। वे इस वायदे से सन्तुष्ट नहीं थे कि भविष्य में भारतीयों को सत्ता सौंप दी जायेगी और फिलहाल वायसराय के हाथों में ही निरकुंश सत्ता बनी रहनी चाहिए।
क्रिप्स मिशन की असफलता से भारतीय जनता रुष्ट हो गई। भारत में द्वितीय महायुद्ध के कारण वस्तुओं का अभाव हो रहा था। चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं। अप्रैल, 1942 से अगस्त 1942 ई. के मध्य लगभग 5 महीनों में ब्रिटिश सरकार तथा भारतीयों के मध्य तनाव बढ़ता ही गया। गाँधीजी भी अब जुझारू हो गये।
Q.134.पूना समझौता क्या था? इसमें महात्मा गाँधी की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
Ans ⇒ पूना समझौते का अर्थ (Meaning ofPoona Pact) – सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं – डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. मदनमोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, राजगोपालाचार्य और डॉ. भीमराव अंबेदकर ने पूना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ अंबेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया, जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।
समझौते की मख्य शर्ते (Main terms of the Poona Pact)-
(i) सांप्रदायिक पंचाट में दलितों के लिए प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में सभी राज्यों में निर्धारित 71 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया।
(ii) संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गई। दलितों के लिए चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई।
(iii) स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में दलितों के लिए उचित प्रतिनिधित्व निश्चित किया गया।
(iv) दलितों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई।
(v) यह योजना आरंभ में 10 वर्षों के लिए होगी। . पूना समझौते से अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक पंचाट के माध्यम से दलितों को हिंदुओं से अलग करने के षड्यंत्र में कमी आ गई। गाँधीजी ने पंचाट के विरुद्ध 20 सितंबर, 1932 ई. को आमरण अनशन शुरू कर दिया था। पूरा समझौते के बाद 26 दिसंबर, 1932 ई. को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया।
Q.135. भारत छोड़ो आंदोलन 1942 के बारे में लिखें।
Ans ⇒ क्रिप्स मिशन की असफलता ने भारतीयों में असंतोष का वातावरण बना दिया। इसी बीच द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों को कमजोर स्थिति के चलते भारत पर जापानी आक्रमण का खतरा बढ़ गया। भारतीयों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों के बाद यहाँ जापानी शासन कायम हो जायगा। इसाालय भारतीयों ने गाँधीजी के नेतृत्व में ‘अंग्रेजों भारत छोडों’ का नारा दिया और आंदोलन शुरू कर दिया तथा सत्ता भारतीयों के हाथों सौंप देने की माँग की । लेकिन सरकार ने इसे बर्बरतापूर्वक दबा दिया। इस तरह यह विद्रोह असफल सिद्ध हुआ।
Q.136. पूना समझौता क्या था ? इसमें महात्मा गाँधी की भमिका का परीक्षण कीजिए।
Ans ⇒ पूना समझौते का अर्थ Meaning of the poona pact) – सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं-डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. मदनमोहन मालवीय, घनश्याम पास बिड़ला, राजगोपालाचार्य और डॉ. भीमराव अंबेदकर ने पना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ. अंबेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया, जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।
समझौते का मुख्य शर्ते (Main terms of the Poona Pact) –
(i) सांप्रदायिक पंचाट में दलितों के लिए प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में सभी राज्यों में निर्धारित 71 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया।
(ii) संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गई। दलितों के लिए चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई।
(iii) स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में दलितों के लिए उचित प्रतिनिधित्व निश्चित किया गया।
(iv) दलितों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई।
(v) यह योजना आरंभ में 10 वर्षों के लिए होगी।
पूना समझौते से अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक पंचाट के माध्यम से दलितों को हिंदुओं से अलग करने के षड्यंत्र में कमी आ गई। गाँधीजी ने पंचाट के विरुद्ध 20 सितंबर, 1932 ई. को आमरण अनशन शुरू कर दिया था। पूरा समझौते के बाद 26 दिसंबर, 1932 ई० को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया।
Q.137. पाकिस्तान के लिए मुस्लिम लीग की माँग को स्पष्ट कीजिए। लीग ने यह माँग कब रखी थी ?
Ans ⇒ 1. जब देश में साम्प्रदायिक दल (लीग तथा हिन्दु सभा) बहुत मजबूत होने लगे थे तो मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग काँग्रेस के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई थी। अब उसने यह प्रचार करना शुरू कर दिया कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों का बहुसंख्यक हिंदुओं में समा जाने का खतरा है। उसने इस अवैज्ञानिक और अनैतिहासिक सिद्धांत का प्रचार किया कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। उनका एक साथ रह सकना असंभव है। 1940 ई० में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पास करके माँग की कि आजादी के बाद दो भाग कर दिए जायें और मुसलमानों के लिए पाकिस्तान नाम का एक अलग राज्य बनाया जाए।
2. हिंदुओं के बीच हिंदू महासभा जैसे सांप्रदायिक संगठनों के अस्तित्व के कारण मस्लिम लीग के प्रचार को बल मिला। ‘हिंदू एक अलग राष्ट्र है और भारत हिंदुओं का देश है।’ यह कहकर हिंदू संप्रदायवादियों ने मुस्लिम लीग. की ही की बात दोहराई।
3. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू और मुस्लिम संप्रदायवादियों ने काँग्रेस के विरुद्ध एक-दूसरे से हाथ मिलाने में संकोच नहीं किया। पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत, पंजाब, सिंध और बंगाल में हिंदू संप्रदायवादियों ने काँग्रेस के विरोध में मुस्लिम लीग तथा दूसरे सम्प्रदायवादी संगठनों का मंत्रिमंडल बनवाने में मदद की। सांप्रदायिक दलों ने पूर्ण निष्ठा के साथ स्वराज्य में चल रहे संघर्ष में भाग नहीं लिया तथा न ही उन्होंने जनता की सामाजिक, आर्थिक माँग उठाने में ही रुचि ली। वस्तुतः उन्हीं के कारण देश का विभाजन हुआ और आज हमें भारत के अलावा पाकिस्तान और बांगलादेश भी दिखाई पड़ रहे हैं।
Q.138. 1940 के अगस्त प्रस्ताव पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
Ans ⇒ इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल महोदय जर्मनी द्वारा ब्रिटिश घेराबंदी एवं विकास भागों में फासीवादी शक्तियों की विजय से चिन्तित थे। उसने भारत के वायसराय लिना भारतीय नेताओं से बातचीत करने का आदेश दिया ताकि युद्ध में भारत के सक्रिय सहयोग ” प्राप्त किया जा सके। वायसराय ने जो 8 अगस्त, 1940 को घोषणा की वह इतिहास में मात्र प्रस्ताव (August Offer) कहलाती है। इसकी प्रमुख बातें थीं –
(i) भारत को शीघ्र ही औपनिवेशिक स्तर (या स्वतंत्रता) (Dominion Status) दे दिया जा
(ii) भारत का नया संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया जा
(iii) नई संविधान सभा में भी सम्प्रदायों तथा दलों के प्रतिनिधि शामिल किये जायेंगे
(iv) भारत की सत्ता तब तक किसी ऐसी सरकार को नहीं सौंपी जाएगी जब तक इसमें मी सम्प्रदायों तथा तत्वों के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे।
(v) युद्ध सम्बन्धी मामलों पर विचार-विमर्श के लिए पृथक् समिति का गठन होगा जिससे भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देशी राजा – महाराजाओं के प्रतिनिधि भी शामिल किये जायेंगे।
(vi) महायुद्ध के दौरान वायसराय की कार्यकारिणी परिषद (कौंसिल) में इंग्लैण्ड सरकार कुछ स्थानों पर राष्ट्रवादियों को नियुक्त करेगी।
काँग्रेस ने अगस्त, 1940 ई. के प्रस्तावों को ठुकरा दिया, क्योंकि इसमें पूर्ण स्वतंत्रता की बात नहीं की गई थी। मुस्लिम लीग ने भी अगस्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि इसमें उसकी सर्वाधिक प्रवल माँग-पाकिस्तान बनाने की माँग का कोई जिक्र नहीं था। सन् 1942 ई. को ब्रिटेन
की सरकार ने क्रिप्स मिशन को भारत भेजा।
Q.139. वेवेल योजना क्या थी ? लार्ड वेवेल की भूमिका का महत्व एवं इस योजना की गतिविधियों के साथ-साथ शिमला सम्मेलन पर प्रकाश डालिए।
Ans ⇒ 14 जून, 1945 को लॉर्ड वेवेल ने एक योजना रखी, जिसे वेवल योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
1. भारत में व्याप्त जनाक्रोश को कम करना।
2. जापान के विरुद्ध भारत का सहयोग प्राप्त करना।
3. ब्रिटेन के आगामी चुनाव के लिए अनुदार दल के प्रति जनमत प्राप्त करना।
4. इससे स्वशासन की माँग और वायसराय की कार्यकारिणी समिति में मुसलमानों व हिंदुओं की संख्या को बराबर करने को कहा गया।
शिमला अधिवेशन – वेवेल ने देश के सभी दलों के प्रमुख नेताओं को शिमला में 25 जून, 1945 को आमंत्रित किया। यह सम्मेलन वेवेल योजना पर विचार करने के लिए बुलाया गया, इसमें 21 भारतीय नेता शामिल, थे। सम्मेलन अच्छे ढंग से चल रहा था, लेकिन जिन्ना इस बात पर अड़ गए कि केवल मुस्लिम लीग ही सारे भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है। अत: यह सम्मेलन असफल हो गया।
Q.140. भारत विभाजन के बाद सांप्रदायिक दंगे क्यों भडके ? “
Ans ⇒ सांप्रदायिक दंगे (Communal Riots) – भारत विभाजन में देश में होने वाले सांप्रदायिक दंगों का भी बहुत बड़ा हाथ था। पाकिस्तान की माँग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग की ‘साधा कार्यवाही’ के कारण सारा देश गृहयुद्ध की आग में जलने लगा था। हत्याएँ, लूटमार, आगजनी, बलात्कार जैसे शर्मनाक कार्य हर कूचे और हर बाजार में देखे जा सकते थे। ये घटनाएँ दिन-प्रतिदिन ब.ती. ही चली जा रही थीं। इन घटनाओं के प्रति नेहरूजी को संकेत करते हुए लेडी माउंटबटा ने कहा था, “सोचती हूँ कि हजारों मासूमों, बेगुनाहों का रक्त बहाने से क्या यह ज्यादा अच्छा ना कि मुस्लिम लीग की बात मान ली जाए।” दूसरी ओर माउंटबेटन ने पटेल को भी ये दंगे राक के लिए भारत-विभाजन पर राजी कर लिया। फलस्वरूप भारत का विभाजन कर दिया गया।
Q.141. संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ? इस सभा को कब प्रारूप समिति ने अपनी संस्तुतियाँ प्रस्तुत की थीं ?
Ans ⇒ संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेदकर थे। संविधान प्रारूप समिति ने संविधान निर्माण सभा को अपनी संस्तुतियाँ 4 नवम्बर, 1948 को प्रस्तुत की थीं।
Q.142. देशी रियासतों का एकीकरण किसने किया तथा एकीकरण की प्रक्रिया कैसे हुई ?
Ans ⇒ देशी रियायतों का एकीकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल (लौह पुरुष) ने किया। इस काम के लिए उन्होंने छोटी रियासतों को मिलाकर उनका एक संघ बनाया। कुछ बड़ी-बड़ी रियासतों को राज्य के रूप में मान्यता दी। कुछ पिछड़े हुए तथा शासन व्यवस्था ठीक न होने वाले राज्यों को केन्द्र की निगरानी में रखा गया।
Q.143. डॉ राजेन्द्र प्रसाद पर सक्षिप्त नोट लिखिए।
Ans ⇒ संविधान का निर्माण होने पर 26 नवम्बर, 1949 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, अध्यक्ष संविधान सभा, ने उस पर हस्ताक्षर करते हुए इन बिन्दुओं पर दुःख प्रकट किया था –
1. भारत का संविधान मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में है।
2. इसमें किसी भी पद पर कोई भी शैक्षणिक योग्यता नहीं रखी गई है।
3. भारत में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ही बनाए गये।।
Q.144. भारतीय संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्षता क्या है ?
Ans ⇒ निरपेक्ष शब्द को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन 1976 ई० में जोड़ा गया। इसका तात्पर्य यह है कि भारत किसी धर्म या पंथ को राज्य धर्म या पंथ को राज्य धर्म के रूप में स्वीकार नहीं करता तथा न ही किसी धर्म का विरोध करता है। प्रस्तावना के अनुसार भारतवासियों को धार्मिक विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतन्त्रता होगी। धर्म को व्यक्तिगत मामला माना गया है। अतः राज्य लोगों के इस कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगा।