3. संपूर्ण क्रांति ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
1. आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आंदोलन का नेतृत्व किस शर्त पर करते हैं ?
उत्तर ⇒ आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं मैं सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। छात्रों की बात जितना भी ज्यादा होगा, जितना भी समय मेरे पास होगा, उनसे बहस करूँगा समझूगा और अधिक से अधिक बात करूँगा। आपकी बात स्वीकार करूँगा, जनसंघर्ष समितियों की लेकिन फैसला मेरा होगा। इस फैसले को मानना होगा और आपको मानना होगा। जयप्रकाश आंदोलन का नेतृत्व अपने फैसले पर मानते हैं और कहते हैं कि तब तो इस नेतृत्व का कोई मतलब है, तब यह क्रांति सफल हो सकती है। और नहीं, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर बिखर जाएँगे और क्या नतीजा निकलेगा।
2. जय प्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हए ?
उत्तर ⇒ जय प्रकाश नारायण अमेरिका में घोर कम्युनिस्ट थे। वह लेनिन का जमाना था वह ट्राटस्की का जमाना था। 1924 में लेनिन के मरने के बाद वे मार्क्सवादी बन गये। वे जब भारत लौटे तो घोर कम्युनिस्ट बनकर लौटे, लेकिन वे कम्युनिस्ट पार्टी में नहीं शामिल हुए। वे काँग्रेस में दाखिल हुए।
जय प्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि उस समय भारत गुलाम था। उन्होंने लेनिन से जो सीखा था वह यह सीखा था कि जो गुलाम देश हैं, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं, उनको कदापि वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए। चाहे उस लड़ाई का नेतृत्व ‘बुर्जुआ क्लास’ करता हो या पूँजीपतियों के हाथ में उसका नेतृत्व हो।
3. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन-कौन सी बातें आपको प्रभावित करती हैं ?
उत्तर ⇒ जयप्रकाश नारायण बताते हैं कि 1921 ई० की जनवरी महीने में पटना कॉलेज में वे आई. एस. सी. के छात्र थे। उसी समय वे गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के आवाहन पर असहयोग किया। और असहयोग के करीब डेढ़ वर्ष ही मेरा जीवन बीता था की मैं फूलदेव सहाय वर्मा के पास भेज दिया गया कि प्रयोगशाला में कुछ करो और सीखो। मैंने हिंद विश्वविद्यालय में दाखिला इसलिए नहीं लिया क्योंकि विश्वविद्यालय को सरकारी मदद मिलती थी। बिहार विद्यापीठ से परीक्षा पास की। बचपन में स्वामी सत्यदेव के भाषण से प्रभावित होकर अमेरिका गया। ऐसे मैं कोई धनी घर का नहीं था परन्तु मैंने सुना था कि कोई भी अमेरिका में मजदूरी करके पढ़ सकता है। मेरी इच्छा थी कि आगे पढ़ना है मुझे। अमेरिका के बागानों में जयप्रकाश ने काम किया, कारखानों में काम किया लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जोते हैं उन कारखानों में काम किया। जब वे युनिवर्सिटी में पढ़ते ही, तब वे छुट्टियों में काम कर इतना कमा लेते थे कि दो-चार विद्यार्थी सस्ते में खा-पी लेते थे। एक कोठरी में कई
आदमी मिलकर रहते थे। रविवार की छुट्टी नहीं बल्कि एक घंटा रेस्ट्रां में, होटल में बर्तन धोया या वेटर का काम किया। बराबर दो तीन वर्षों तक दो-तीन लड़के एक ही रजाई में सोकर पढ़े थे। जब बी० ए० पास कर गये तो स्कॉलरशिप मिल गई, तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गये डिर्पाटमेंट के ट्यूटोरियल क्लास लेने लगे। इस तरह अमेरिका में इनका प्रवास रहा।
S.N | हिन्दी ( HINDI ) – 100 अंक [ गध खण्ड ] |
1. | बातचीत |
2. | उसने कहा था |
3. | संपूर्ण क्रांति |
4. | अर्धनारीश्वर |
5. | रोज |
6. | एक लेख और एक पत्र |
7. | ओ सदानीरा |
8. | सिपाही की माँ |
9. | प्रगीत और समाज |
10. | जूठन |
11. | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
12. | तिरिछ |
13. | शिक्षा |