12. तिरिछ प्रश्न ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
12. तिरिछ प्रश्न
1. तिरिछ क्या है ? कहानी में यह किसका प्रतीक है ?
उत्तर ⇒ ‘तिरिछ’ छिपकली प्रजाति का जहरीला लिजार्ड है जिसे विषखापर भी कहते है। कहानी में ‘तिरिछ’ प्रचलित विश्वासों और रूढ़ियों का प्रतीक है।
2. “तिरिछ’ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आपको रोक नहीं पाता. था। यहाँ परिचित आंखों से क्या आशय है ?
उत्तर ⇒ हमारे यहाँ प्रचलित विश्वास है कि तिरिछ काटने के लिए तभी दौड़ता है, जब उससे नजर टकरा जाए। अगर तिरिछ को देखो तो उससे कभी आँख मत मिलाओ। आँख मिलते ही वह आदमी की गंध पहचान लेता है और फिर पीछे लग जाता है। फिर तो आदमी चाह पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा ले तिरिछ पीछे-पीछे जाता है। लेखक के सपने में तिरिछ आता था, वह कोशिश करता था कि उससे नजर न मिलने पाये। तिरिछ लेखक को इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक को उसकी आँखों में परिचय की जो चमक नजर आती थी उससे लगता था कि वह लेखक का शत्रु है और उसे लेखक के दिमाग में आनेवाले हर विचार के बारे में पता है।
3. तिरिछ को जलाने गए लेखक को पूरा जंगल परिचित लगता है। क्यों ?
उत्तर ⇒ लेखक को पूरा जंगल परिचित इसीलिए लगता है कि इसी जगह से कई बार सपने में तिरिछ से बचने के लिए भागा था। लेखक गौर से हर तरफ देखता है कि और उसके सपने के बाद थान को बताया भी था कि एक सँकरा-सा नाला इस जगह बहता है। नाले के ऊपर जहाँ बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं, वहीं कीकर का एक बहुत पुराना पेड़ है, जिस पर बड़े शहद के छत्ते हैं। लेखक को एक भूरा रंग का चट्टान मिलता है जो बरसात भर नाले के पानी में आधी डुबी रहती थी। लेखक को उसी जगह तिरिछ की लाश भी मिल जाती है। सपने में आयी बातों का सच होना लेखक को जंगल से परिचित कराता है। इसीलिए लेखक को जंगल परिचित लगता है। क्योंकि इन सब चीजों को वह सपने में देख चुका था।
4. लेखक को अब तिरिछ का सपना नहीं आता, क्यों ?
उत्तर ⇒ लेखक को अब तिरिछ का सपना नहीं आने का कारण लेखक को सपना सत्य प्रतीत होना था। परन्तु अब लेखक विश्वास करता है कि …… मैं विश्वास करना चाहता हूँ कि यह सब सपना है। अभी आँख खोलते ही सब ठीक हो जायेगा।
इससे पहले लेखक को सपने की बात प्रचलित विश्वास सपने सच हुआ करते सत्य प्रतीत होती थी। लेखक फैंटेसी में जीता था परन्तु अनुभव से यह जान गया कि सपना बस सपना भर. है। लेखक ने जटिल यथार्थ को सफलतापूर्वक अभिव्यक्त करने के लिए दुःस्वप्न का प्रयोग किया है। परन्तु जैसे ही लेखक का भ्रम टूटता है तो उसे डर नहीं लगता और तिरिछ के सपने नहीं आते।
5. लेखक के पिताजी ने एक पत्र लिफाफे में देकर लेखक को शहर के डॉक्टर के पास भेजा, उसके बाद क्या हुआ, उन बातों पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ लेखक ने स्कूल फीस की बात पिताजी से कही थी। दो दिनों तक वे गम रहे। इसपर लेखक और उसकी माँ को लगा कि पिताजी फीस की बात भूल गए हैं। लेकिन तीसरे दिन लिफाफा युक्त एक पत्र लेखक को देते हुए शहर के डॉ. पंत के पास भेजा तब लेखक अचरज में पड़ गए क्योंकि पत्र प्राप्ति के बाद डॉ. पंत ने लेखक को शरबत पिलाकर घर के अंदर प्रेमपूर्वक ले गए। अपने बेटे से परिचय कराकर सी-सी के तीन नोट भी दिए।
6. लेखक पिताजी को किस रूप में देखता था ?
उत्तर ⇒ लेखक अपने पिताजी के गंभीर, मितभाषी स्वभाव से परिचित था। अतः वे स्वयं तथा परिवार के अन्य लोग पिताजी पर गर्व करते थे। परिवार के सभी लोग पिता जी से डरते भी थे। वें अपनी आवश्यकता और कठिनाई को किसी पर प्रकट नहीं करते थे। वे ग्रामीण परिवेश के सीदे-सादे इन्सान थे। इन्हीं गुणों के कारण लेखक एवं परिवार के लोग पिताजी पर गर्व करते थे एवं सम्मान की दृष्टि से देखते थे।
7. “तिरिछ’ क्या होता है, क्या उसके काटने से आदमी बचता है ?
उत्तर ⇒ ‘तिरिछ’ एक विषैला और भयानक जन्तु है। इसके काटने पर मनुष्य इसक विष के प्रभाव से बच नहीं पाता है। ठीक उस जंत ‘तिरिछ’ के समान ही हमारे समाज में भी विषैले ‘तिरिछ’ रूपी मनुष्य हैं जिनके दुर्व्यवहार से कोई बच नहीं सकता। वे भी भयानक एवं खतरनाक होते हैं। उनके विष-वाण से बचना मुश्किल होता है।
8. ‘तिरिछ’ ज्यादा कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर ⇒ ‘तिरिछ’ प्रायः पहाड़ की कन्दराओं, जंगलों अथवा घनी झाड़ियों में पाया जाता है। आदमी को देखते ही तथा नजर मिलते ही उसका पीछा कर काटकर ही दम लेता है। ठीक उसी के सदृश समाज में भी विषैले ‘तिरिछ’ रूपी मनुष्य पाए जाते हैं।
9. लेखक किन-किन जीव-जंतुओं से डरता था ?
उत्तर ⇒ लेखक ने अपने बचपन के अनुभव को व्यक्त किया है। वह सामान्य बच्चों की तरह ‘तिरिछ’ से बहुत डरता था। वह सपने में दो चीजें बराबर देखता था-एक हाथी और दूसरी ‘तिरिछ’। लेखक प्रायः हमेशा कोशिश करता था कि इन दोनों से कभी भेंट न हो इन दोनों के देखते ही लेखक नजर बचाकर भागता दौड़ता था। अपनी जान बचाने की कोशिश करता था।
10. सपने में लेखक क्या-क्या करता था ?
उत्तर ⇒ लेखक के लिए सबसे खौफनाक, यातनादायक, भयाक्रांत और बेचैनी से भरा सपना था कि हाथी और ‘तिरिछ’ से प्राण को कैसे बचाया जाय। वह जब भी सपने में या सामने हाथी या ‘तिरिछ’ को देखता था तो प्राण रक्षा के लिए बेदम हो जाता था। भागते-भागते उसका पूरा शरीर थक जाता था। फेफड़े फूल जाते थे। शरीर पसीने से लथ-पथ हो जाता था। एक डरावनी, सुन्न कर डालने वाली मृत्यु बिल्कुल करीब दिखाई पड़ती थी। वह चीखने, चिल्लाने और रोने लगता था।
11. साँप के बारे में लोगों की एवं लेखक की क्या धारणा है, लिखें ?
उत्तर ⇒ लेखक एवं आम लोगों की धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति साँप को मार रहा हो तो अपने मरने के पूर्व वह साँप अंतिम बार अपने हत्यारे के चेहरे को पूरी तरह से, बहुत गौर से देखता है। आदमी उसकी हत्या कर रहा होता है, और साँप टक-टकी बाँधकर उस आदमी के चेहरे की एक-एक बारीकी को अपनी आँख के भीतरी पर्दे में दर्ज कर रहा होता है। बाद में, आदमी के जाने के बाद साँप का दूसरा जोड़ा उस मरे हुए साँप की आँख में झाँककर हत्यारे की पहचान कर लेता है। वह हत्यारा कहीं भी चला जाए साँप बदला लेने की फिराक में रहता है।
12. थानू कौन था ? लेखक के साथ क्या संबंध था ?
उत्तर ⇒ थानू लेखक का मित्र है। थानू लेखक का प्रिय एवं विश्वसनीय मित्र होने के नाते ‘तिरिछ’ के बारे में बता रहा था। जब लेखक के पिता को ‘तिरिछ’ जैसा विषैला जंत काट लेता है तब वह (थान) कहता है कि ‘तिरिछ’ द्वारा काटा गया व्यक्ति जीवित नहीं रह पाता तथा उसकी मृत्यु चौबीस घंटे के भीतर हो जाती है। अब चूँकि उनकी (पिताजी की मृत्यु हो चुकी है इसलिए थानू अपने पूर्व कथन की पुनः पुष्टि कर रहा है।
S.N | हिन्दी ( HINDI ) – 100 अंक [ गध खण्ड ] |
1. | बातचीत |
2. | उसने कहा था |
3. | संपूर्ण क्रांति |
4. | अर्धनारीश्वर |
5. | रोज |
6. | एक लेख और एक पत्र |
7. | ओ सदानीरा |
8. | सिपाही की माँ |
9. | प्रगीत और समाज |
10. | जूठन |
11. | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
12. | तिरिछ |
13. | शिक्षा |