Class 12th Geography लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर ( 20 Marks ) PART – 6
100. जमशेदपुर एवं पुणे शहर के महत्त्व का उल्लेख करें। (Describe the importance of Jamshedpur and Pune town.)
उत्तर – जमशेदपुर भारत का एक महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात उद्योग का केंद्र है। यह झारखंड. के पूर्वी सिंहभूम जिला में स्वर्ण रेखा और खरकई नदी के संगम पर तथा कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, मैंगनीज इत्यादि खनिज पदार्थों के क्षेत्र में स्थित है। इस शहर में टिस्को (टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी), टेल्को (टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) इत्यादि स्थित है। यहाँ लोहा-इस्पात के अतिरिक्त, मध्यम तथा भारी व्यापारिक वाहन, रेल का इंजन इत्यादि का निर्माण होता है।
पुणे महाराष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र, दस लाखी नगर तथा औद्योगिक एवं शैक्षणिक नगर है। यह सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का केंद्र है। यहाँ सूती वस्त्र, चीनी, उत्तम कोटि के साबुन तथा डिटर्जेंट इत्यादि का निर्माण होता है। यह शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जहाँ पुणे विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अनेकों इंजीनियरिंग एवं अन्य तकनीकी संस्थान है। पुणा का फिल्म इंस्टीच्यूट बहुत प्रसिद्ध है।
101. प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है ? (What is difference between pollution and pollutants ?)
उत्तर – पर्यावरण में जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों के लिए हानिकारक परिवर्तन को प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण के विभिन्न अवयवों की एक निश्चित संरचना होती है। इन अवयवों में जब दूसरे प्रकार के’ पदार्थ मिल जाते हैं तथा उनकी मौलिक संरचना में हानिकारक परिवर्तन आ जाता है, इस परिवर्तन का नाम ही प्रदूषण है। पर्यावरण का अधिकतर प्रदूषण मानवीय क्रियाओं द्वारा होता है, लेकिन कुछ प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा भी होता है। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है—वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और जल प्रदूषण।
पर्यावरण में विद्यमान प्राकृतिक संतुलन में ह्रास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी भी रूप को प्रदूषक कहा जाता है। ये गैस, तरल या ठोस किसी भी रूप में हो सकते हैं। प्रदूषक विभिन्न माध्यमों द्वारा विकीर्ण तथा परिवाहित होते हैं। कारखानों का धुआँ, कूड़ा-कचरा, रसायनों वाला अपशिष्ट जल, मलजल, कृषि में प्रयुक्त कीटनाशक तथा उर्वरक, वाहनों का धुआँ इत्यादि मानवीय प्रदूषक है। ज्वालामुखी से उत्पन्न लावा, कीचड़ तथा अन्य पदार्थ, बाढ़ जल के साथ बहकर आए गाद, रेत आदि प्राकृतिक प्रदूषक है।
102. जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए चार महत्त्वपूर्ण सुझाव दें। (Suggest four important measures to prevent water pollution.)
उत्तर-जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए चार महत्त्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार हैं –
(i) घरों से निकले कचरों को नदी, तालाब इत्यादि में नहीं फेंकना चाहिए।
(ii) कारखानों से निकले अपशिष्टों एवं मलजल को बिना शोधित किए नदियों, झीलों या तालाबों में विसर्जित नहीं करना चाहिए।
(iii) नगरपालिकाओं को सीवर शोधन संयंत्रों की व्यवस्था करनी चाहिए।
(iv) जल प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित उपयोगी और कारगर कानून बनाना चाहिए और उसे सख्ती से लागू करना चाहिए।
103. लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपयोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं ? (What can be the possible impact of the consumption of contaminated unclean water on the people ?)
उत्तर-जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ जल आवश्यक है। लेकिन अनेक कारणों से भारत के नगरों और गाँवों में जल-प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। जल प्रदषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है जो उसके रूप, गंध और स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं व्यापार के लिए हानिकारक हो। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिसमें
आँत रोग, पीलिया, हैजा, टायफायड, अतिसार तथा पेचिस प्रमुख है। प्रदूषित जल कृषि क्षेत्र में घसकर फसलों को भी प्रदूषित कर देते हैं, जो अन्ततः आहार-शृंखला में प्रवेश स्वास्थ्य को हानि पहुँचाता है।
104. स्मॉग क्या होता है? (What is Smog ?)
उत्तर–वायुमंडल में धुआँ और कुहासा के मिलने से धुंआसा का निर्माण होता है, जिसे अंग्रेजी में स्मॉग (smog = smoke + fog) कहते हैं। जाड़े के दिनों में वायुमंडल की निचली तल में कुहासा छाया रहता है। ऊर्जा के स्रोत के रूप में विभिन्न प्रकार के ईंधनों के प्रयोग में वृद्धि के साथ, पर्यावरण में विषाक्त धुएँ वाली गैसों के उत्सर्जन के परिणामस्वरूप स्मॉग का निर्माण होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक होता है।
105. हरित रासायनिकी क्या है ? (What is green chemistry?)
उत्तर – हरित रासायनिकी रासायनिक उत्पाद एवं प्रक्रिया का वह प्रारूप है जो वातावरण में हानिकारक तत्त्वों के पैदा होने की प्रक्रिया को कम करता है या खत्म कर का संबंध किसी रासायनिक उत्पाद के संपूर्ण जीवन चक्र, प्रारूप, उत्पादन, उपयोग और अंत में निष्पादन
क रहता है। हरित रासायनिकी को सतह पषिणीय रसायनिकी भी कहा जाता है। यह प्रदूषण को रोकता है, मानव स्वास्थ्य और वातावरण पर रासायनिक उत्पाद प्रभाव को कम करता है और कम हानिकारक रासायनिक उत्पाद तैयार करने की विधि बतलाता है।
106. मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं ?(What is the affect of air pollution on human health ?)
उत्तर–वायु प्रदूषण से फेफड़ों, हृदय, स्नायु तंत्र और परिसंचरण तंत्र के रोग होते हैं। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक खतरा बच्चों को होता है; क्योंकि इसका सीधा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। इससे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक हानियाँ भी होती हैं।
107. उष्माद्वीप क्या है? संक्षेप में लिखें। (What is heat island ? Write in short.)
उत्तर – नगर के केन्द्रीय भाग में बढ़ती हुई जनसंख्या को आवास प्रदान करने एवं अन्य कार्यों के लिए विशाल सिमेंट कंकरीट के ढाँचे बनाये जाते हैं। इससे वातावरण का तापमान बहुत अधिक हो जाता है। गर्मियों में इनमें रहना दूभर हो जाते हैं। इस तप्त केन्द्रीय भाग को उष्माद्वीप कहा जाता है।
108. भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए। (Discuss major problems associated with urban waste disposal in India.)
उत्तर – भारतीय नगरों की समस्याओं में अपशिष्टों का निपटान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसके कई कारण हैं, जिनमें निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण हैं-
(i) मानव मल के सुरक्षित निपटान के लिए सीवर या अन्य माध्यमों की कमी है।
(ii) कूड़ा-कचरा संग्रहण की सेवाओं की व्यवस्था अपर्याप्त है। ठोस अपशिष्ट के संग्रहण में असमर्थता एक गंभीर समस्या है। सड़कों, घरों के बीच की खाली भूमि और बेकार भूमि पर इसके ढेर लग जाते हैं। ऐसे ढेर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
(iii) औद्योगिक अपशिष्टों को नदियों में बहाया जाना भी प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। नगर आधारित उद्योगों और अनुपचरित मल जल से उत्पन्न प्रदूषण नगरों में स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएँ पैदा करता है।
यों तो ठोस अपशिष्टों के निपटान में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों संस्थाएँ कार्य कर रहीं हैं, लेकिन यह समस्या अभी तक सुलझ नहीं पायी है। इन अपशिष्टों को संसाधन मानकर इनसे ऊर्जा और खाद का उत्पादन किया जा सकता है। .
109. आप बस्ती (अधिवास) को कैसे परिभाषित करेंगे ? (How will you define settlement ?)
उत्तर–बस्ती या अधिवास मनुष्य के आवासों के उस संगठित निवास स्थान को कहते हैं, जिसमें उनके रहने वाले भवनों तथा उनके आने-जाने के लिए बनाए रास्तों एवं गलियों को सम्मिलित किया जाता है। इनमें आखेटकों और चरवाहों के अस्थायी डेरे, स्थायी गांव तथा बड़ा नगर को सम्मिलित किया जाता है। मानव बस्तियाँ कुछ घरों वाले एक छोटे पुरवे से लेकर बहुत से भवनों वाले नगर या मेगालोपोलिस हो सकते हैं। आवास एक झोपड़ी, एक मकान, एक फ्लैट अथवा एक बड़ी हवेली हो सकता है।
110. स्थल या स्थान (साइट) एवं स्थिति (सिचुएसन) के मध्य अंतर बताएं।(Distinguish between site and situation.)
उत्तर – स्थल से तात्पर्य उस वास्तविक भूमि से है, जिस पर बस्ती बनी हुई है। यह स्थल कोई पहाड़ी क्षेत्र, मैदानी भाग, नदी के किनारे, बाढ़ग्रस्त या बाढ़ रहित हो सकता है। बस्ती का उदय या जन्म उसके स्थल पर निर्भर करता है। बस्ती की स्थिति से तात्पर्य उसके आस-पास के क्षेत्रों के संबंध में उसकी अवस्थिति है। बस्ती किसी कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र या व्यापारिक क्षेत्र में स्थित हो सकती है। बस्ती की स्थिति उसके विकास को बहुत अधिक प्रभावित करती है।
111. आकार के आधार पर नगरीय बस्तियों को वर्गीकृत करें।(Classify urban settlement on the basis of size.)
उत्तर – नगरीय बस्तियों को जनसंख्या के आकार के आधार पर शहर (town), नगर (City), महानगर (Metropolis) तथा मेगानगर (Megacity or megalopolis) बाँटा जाता है। शहर (town) उस अधिवास को कहते हैं, जिसकी जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो, जनसंख्या का घनत्व प्रतिवर्ग किमी० 400 व्यक्ति हो, 75% पुरुष/श्रमिक गैर-कृषि कार्यों में संलग्न हो तथा जहाँ नगरपालिका, निगम, छावनी बोर्ड या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति हो। नगर (city) उस अधि वास को कहते हैं, जिसकी जनसंख्या एक लाख से अधिक हो। इसी प्रकार 10 लाख से 50 लाख के बीच की जनसंख्या वाले अधिवास को महानगर (metropolis) तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले अधिवास को मेगानगर (Megacity) कहा जाता है।
112. मानव भूगोल में मानव बस्तियों के अध्ययन का औचित्य बताएँ। (Justify the study of human settlements in human geography.)
उत्तर – मानव भूगोल में मनुष्य की सांस्कृतिक तथा सामाजिक विशेषताओं का अध्ययन होता है। इन विशेषताओं की झलक बस्तियों की संरचना एवं कार्यों में स्पष्ट मिलती है। बस्तियों का वर्तमान स्वरूप एक लंबी अवधि के क्रमिक विकास का द्योतक है। कृषि युग में ग्रामीण बस्तियों का प्रभुत्व था। औद्योगिक क्रांति ने छोटी-बड़ी सभी प्रकार की नगरीय बस्तियों को जन्म दिया। अतः मानव भूगोल में बस्तियों का अध्ययन अनिवार्य है।
113. बस्तियों के वर्गीकरण के क्या आधार हैं ? (What are the base of classifying settlements ?)
उत्तर – बस्तियों को सामान्यतः उनके आकार तथा प्रकार्यों के आधार पर ग्रामीण तथा नगरीय अथवा गाँवों तथा नगरों, दो प्रकारों में बाँटते हैं। किन्तु इन दोनों के बीच की सीमा पर विश्व में मतैक्य नहीं है। जापान में 30,000, संयुक्त राज्य अमेरिका में 2,500, कनाडा में 1,000 और भारत में 5,000 से कम जनसंख्या रखने वाली बस्ती ग्रामीण कहलाती है। ग्रामीण बस्तियों में प्राथमिक कार्यकलाप की प्रधानता रहती है, किन्तु नगरीय बस्तियों में गैर-प्राथमिक कार्यकलाप की। पुनः ग्रामीण और नगरीय बस्तियाँ भी कई प्रकार की होती है।
इनके वगीकरण के मुख्य आधार जनसंख्या, आकृति, स्थिति और प्रकार्य हैं –
(i) जनसंख्या के आधार पर — गाँव, शहर, नगर, महानगर, मेगालोपोलिस (मेगानगर)
(ii) आकृति के आधार पर—संहत बस्ती, प्रकीर्ण बस्ती, रेखीय बस्ती, आयताकार बस्ती इत्यादि।
(iii) कार्य के आधार पर प्राथमिक कार्य प्रधान बस्ती (गाँव), प्रशासनिक, औद्योगिक, व्यापारिक, शैक्षणिक, परिवहन, धार्मिक (नगर)
(iv) स्थिति के आधार पर—मैदानी, पर्वतीय, पठारी, नदी तटीय, नदी के संगम, सड़क, चौराहे इत्यादि पर स्थित बस्ती।
114. नगरीय बस्तियाँ किन रूपों में मिलती हैं ? (In what forms urban settlements are found?)
उत्तर -नगरीय बस्तियाँ विभिन्न आकृति की होती हैं, जैसे रेखीय, वर्गाकार, तारा के समान या अर्द्ध चापाकार। नगर की आकृति उसकी स्थिति से प्रभावित होती है। पहाड़ियों पर बसे नगर सीढ़ीनुमा होते हैं, किसी नदी के किनारे बसे नगर रेखीय होते हैं, समतल मैदानी क्षेत्र के नगर वर्गाकार या आयताकार होते हैं तथा नदियों के संगम या समुद्री अन्तरीप पर बसे नगर त्रिभुजाकार होते हैं।
किसी नगर की आकृति एवं भवनों की शैली वहाँ के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं की देन होती है। इस आधार पर नगर नियोजित एवं अनियोजित होते हैं। नियोजित नगर सम होती है, इनकी सड़कें और गलियाँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती है। चंडीगढ़ और जयपुर नियोजित नगर हैं। इसके विपरीत, अनियोजित नगरों की आकृति विषम होती हैं तथा सड़कें, गलियाँ और मकान बेतरतीब होते हैं।
115. ग्रामीण अधिवासों की पाँच विशेषताओं का उल्लेख करें। (Explain five characteristics of rural settlements.)
उत्तर – ग्रामीण अधिवासों की पाँच महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) ग्रामीण अधिवास का आकार प्रायः छोटा होता है। उतने ही लोग उस क्षेत्र में निवास कर सकते हैं जितने लोगों का पालन-पोषण उस भूमि के संसाधनों और उत्पादन से संभव हो सकता है।
(ii) यहाँ के निवासी अधिकतर प्राथमिक गतिविधियों में लगे होते है। जैसे—कृषि, पशुपालन एवं मछली पकड़ना।
(iii) ग्रामीण अधिवास में जनसंख्या का घनत्व कम रहता है।
(iv) भूमि पर मकानों का घनत्व भी गाँवों में कम रहता है।
(v) ग्रामीण अधिवास में बिजली, शुद्ध पेयजल, पक्की सड़क, शिक्षा संस्थान, स्वास्थ्य सेवाएँ इत्यादि की कमी रहती है।
116. गुच्छित एवं बिखरी बस्तियों के बीच अंतर कीजिए। . (Differentiate between compact and dispersed settlements.)
उत्तर – गच्छित अथवा संहत (compact) बस्तियाँ वे होती हैं जिनमें मकान एक दुसरे के समीप बनाए जाते हैं तथा यहाँ रहने वाला समुदाय मिलकर रहता है तथा उनके व्यवसाय भी समान होते हैं। इस प्रकार की बस्तियाँ नदी या घाटियों के उपजाऊ मैदानों में विकसित होती हैं। इसके विपरीत, बिखरी एकाकी या प्रकीर्ण (Scattered) बस्तियों में मकान दूर-दूर प्रायः खेतों द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। जंगली क्षेत्रों और पहाड़ी टीलों पर इस प्रकार की बस्तियाँ विकसित होती है।
117. भारत के चार बड़े राज्यों की जनसंख्या के आकार तथा क्षेत्रफल की तुलना कीजिए। (Compare the size of population and area of four large states of India.)
उत्तर — भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। इसके कुछ राज्य क्षेत्रफल एवं जनसंख्या दोनों दृष्टिकोण से बड़े हैं, कुछ राज्य क्षेत्रफल में बड़े हैं किन्तु उनकी जनसंख्या कम है, तथा कुछ राज्य क्षेत्रफल में छोटे हैं किन्तु उनकी जनसंख्या अपेक्षाकृत अधिक है। क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से चार बड़े राज्य क्रमशः राजस्थान (10.41%), मध्यप्रदेश (9.38%), महाराष्ट्र (9.36%) तथा आन्ध्रप्रदेश (8.37%) हैं । इसके विपरीत, जनसंख्या के दृष्टिकोण से चार बड़े राज्य उत्तरप्रदेश (16.17%), महाराष्ट्र (9.42%), बिहार (8.07%) और पश्चिम बंगाल (7.81%) हैं । इस प्रकार, राजस्थान और मध्यप्रदेश आकार में बहुत बड़े हैं किन्तु उनकी जनसंख्या कम (क्रमशः 5.57% और 5.88%) है। इसके विपरीत, बिहार क्षेत्रफल में छोटा (2.86%) है, किन्तु इसकी जनसंख्या अधिक है। महाराष्ट्र क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों में संतुलित और बड़ा है। लगभग यही स्थिति आंध्रप्रदेश और उत्तर प्रदेश की है।
118. जन्मदर और मृत्युदर की प्रवृत्तियों ने भारत की जनसंख्या वृद्धि को किस प्रकार निर्धारित किया है ? (How has the trend of fertility and mortality determined the growth of population in India ?)
उत्तर – जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों में जन्मदर और मृत्युदर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। 1921 ई० के पूर्व जन्मदर और मृत्युदर दोनों ऊँची थी। 1911-1921 में जन्मदर 48 प्रति हजार तथा मृत्युदर 47 प्रति हजार थी, अतः जनसंख्या की वृद्धि की दर बहुत धीमी थी। 1921-51 की अवधि में दोनों की दर में कमी आयी किन्तु मृत्यु दर तेजी से घटी। 1941-1951 में जन्मदर 40 प्रति हजार और मृत्युदर 27 प्रति हजार दर्ज की गई। अतः जनसंख्या की वृद्धि पहले की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से हुई। 1951-81 की अवधि में भारत की जनसंख्या में अति तीव्र वृद्धि हुई, क्योंकि जन्मदर में मामूली कमी (40 से 37 प्रति हजार) हुई और मृत्यु दर में भारी कमी (27 से 15 प्रति हजार) हुई। 1981 के बाद जन्म दर में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गई, अतः जनसंख्या की वृद्धि की गति धीमी हो गई। भारत की जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि 1911-21 में 0.9 प्रति हजार, 1941-51 में 12.5 प्रति हजार, 1971-81 में 21 प्रति हजार और 1991-1999 में 17 प्रति हजार थी।
119. संसार में जनसंख्या के आकार और घनत्व के संदर्भ में भारत के स्थान की विवेचना कीजिए। (State the place of India in the world in terms of size and density of population.)
उत्तर – भारत की कुल जनसंख्या 102.8 करोड़ (2001) है, जो संसार की कुल जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत है। चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की जनसंख्या उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और आस्ट्रेलिया की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है। किन्तु, यह विश्व में केवल 2.4 प्रतिशत क्षेत्र पर स्थित है और क्षेत्रफल में यह विश्व में सातवें स्थान पर है। भारत में जनसंख्या का औसत घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० है, जो चीन के औसत घनत्व 129(1997) से कहीं अधिक है। संसार के दस सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में जनसंख्या के घनत्व के दृष्टिकोण से भारत का स्थान बांग्लादेश (849) तथा जापान (334) के बाद तीसरा है।
120. भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के लिए जिम्मेवार दो कारकों को लिखें। (Write two factors responsible for uneven distribution of population in india.)
उत्तर – भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के लिए मुख्य रूप से प्राकृतिक स्वरूप में भिन्नता तथा वर्षा का वितरण जिम्मेवार है। प्राकृतिक स्वरूप में भिन्नता के कारण गंगा के मैदान और समुद्रतटीय मैदान में अधिक जनसंख्या पायी जाती है तो उत्तरी पर्वतीय और दक्षिणी पठारी तथा उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र में कम जनसंख्या मिलती है। उत्तर भारत में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है और इसी के अनुसार जनसंख्या का घनत्व भी कम होता जाता है।
S.N | Geography लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर ( 20 Marks ) |
1. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1 |
2. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2 |
3. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3 |
4. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4 |
5. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5 |
6. | Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6 |
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S.N | Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) ( 15 Marks ) |
1. | Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1 |
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