12. ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल LONG ANSWER TYPE QUESTIONS
प्रश्न 1. निम्नलिखित अभिक्रिया को उदाहरण सहित व्याख्या करें :
(a) ऐलडोल संघनन (b) कैनिजारो अभिक्रिया
उत्तर⇒ (a) ऐलडोल संघनन-जिन ऐल्डिहाइडो व कीटोनो में कम-से-कम एक α-हाइड्रोजन विद्यमान होती है, वे तनु क्षार के उत्प्रेरक की तरह उपस्थिति में एक अभिक्रिया द्वारा क्रमशः β-हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (एलडोल) अथवा β-हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया को ऐलडोल अभिक्रिया कहते हैं।
ऐलडोल व कीटोल आसानी से जल निष्कासित करके α, β-असंतृप्त कार्बोनिल यौगिक देते हैं जो ऐलडोल संघनन उत्पाद है।
(b) कैनिजारो अभिक्रिया-ऐल्डिहाइड, जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते सांद्र क्षार की उपस्थिति में गरम करने से स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है। जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
उदाहरण-
प्रश्न 2. कोल्बे अभिक्रिया तथा राइमर-टीमन अभिक्रिया क्या है ? व्याख्या करें।
उत्तर⇒ कोल्बे अभिक्रिया-फीनॉल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिकृत कराने से बना फीनॉक्साइड आयन, फीनॉल की अपेक्षा इलेक्ट्रॉनरागी ऐरोमैटिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति अधिक क्रियाशील होता है। अतः वह CO2 जैसे दुर्बल इलेक्ट्रॉनरागी के साथ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करता है। इससे ऑर्थी हाइड्रॉक्सीबेन्जोइक अम्ल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
राइमर-टीमन अभिक्रिया-फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया से बेंजीन में, – CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रवेश कर जाता है। इस अभिक्रिया को राइमर-टीमन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) कहते हैं।
प्रतिस्थापित मध्यवर्ती बेन्जिल क्लोराइड क्षार की उपस्थिति में अपघटित होकर सैलिसैलिडहाइड बनाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी (IUPAC) नाम पद्धति में नाम लिखिए-
(i) CH3 CH(CH3)CH2CHO
(ii) CH3CH2COCH(C2H5)CH2CH2Cl
(iii) CH3CH = CHCHO
(iv) CH3COCH2COCH3
(v) CH3CH(CH3) CH2C(CH3)2COCH3
(vi) (CH3)3CCH2COOH
(vii) OHCC6H4CHO-P
उत्तर⇒
प्रश्न 4. निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आइयूपीएसी (IUPAC) नाम लिखिए और जहाँ संभव हो सके साधारण नाम भी दीजिए।
(i) CH3CO(CH2)4CH3
(ii) CH3CH2CHBrCH2CH(CH3) CHO
(iii) CH3(CH2)5CHO
(iv) Ph – CH = CH – CHO
(v)
(vi) PhcoPh
उत्तर⇒ (i) हेप्टेन-2-ओन
(ii) 4-ब्रोमो-2-मेथिल हैक्सेनैल
(iii) हैप्टेनल
(iv) 3-फेनिल प्रोपेनल
(v) साइक्लोपेन्टेन कार्बोल्डिहाइड।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में कौन-से यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपर्युक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी ? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिजारों अभिक्रिया में संभावित उत्पादों की संरचना लिखिए :
(i) मेथेनल
(ii) 2-मेथिलपेन्टेनैल
(iii) बेन्जोफीनॉन
(iv) साइक्लोहेक्सेनोन
(v) 1-फेनिलप्रोपेनोन
(vi) फेनिलऐसीटैल्डिहाइड
(vii) ब्यूटेन-1-ऑल
(viii) 2, 2 डाइमेथिलब्यूटेनैल।
उत्तर⇒ (i) मेथेनल HCHO कैनिजारो अभिक्रिया दर्शाता है-
मेथेनल के दो अणु संयोग कर सांद्र NaOH की उपस्थिति में निम्न अभिक्रिया होती है।
यह एल्डोल संघनन नहीं दर्शाता।
(ii)
कैनिजारो अभिक्रिया को नहीं दर्शाता।
यह एल्डोल संघनन दर्शाता है।
(ii) बेंजएल्डिहाइड कैनिजारों अभिक्रिया दर्शाता है।
यह अणु न तो कैनिजारो तथा नहीं एल्डोस संघनन दर्शाता।
(v) साइक्लो हैक्सेनॉन O यह अणु एल्डोल संघनन दर्शाता है।
(vii) 1-फिनाइल ऐस्टेल्डिहाइड
फीनाइल ऐस्टेल्डिहाइड के दो अणु NaOH की उपस्थिति में एल्डोल संघनन दर्शाते हैं।
(viii) ब्यूटेन-1-आन CH3 – CH2 – CH2 – CH2OH
यह अणु न तो एल्डोल संघनन और न ही कैनिजारो अभिक्रिया दर्शाता ।
प्रश्न 6. निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षणों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन
(ii) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन
(ii) एसीटोफीनॉन एवं बेन्जोफीनॉन
(iv) फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
(v) बेन्जोइक अम्ल एवं ऐथिलबेन्जोएट
(vi) एथेनल एवं प्रापेनल।
उत्तर⇒ (i) प्रोपेनल एवं प्रोपेनाम में विभेद :
आयोडोफार्म परीक्षण : प्रोपेनल ऋणात्मक परीक्षण देता है। जबकि प्रोपेनान धनात्मक परीक्षण | जब प्रोपेनान का NaOH के साथ किया जाता है तब पीले रंग के अवक्षेप बनते हैं।
2NaOH + I2 → Nal + NaOI + H2O
(ii) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑल में विभेदन-पेन्टेन-2-ऑन हैलोफॉर्म परीक्षण देता है।
(iii) एसीटोफीनॉन एवं बेन्जोफीनॉन में विभेद : ऐसीटोफीनॉन आयोडोफार्म परीक्षण देता है।
(iv) फिनॉल और बेंजोइक अम्ल में विभेदन : फिनॉल बैंगनी रंग उत्पन्न करता है। जब इसे FeCl3 विलयन से क्रियाशील किया जाता है।
या बेंजोइक अम्ल NaHCO3 से क्रिया कर CO2 गैस उत्पन्न करता है जबकि फीनॉल ऐसा नहीं करता।
फिनॉल Br2 जल को रंगहीन करता है।
(v) बेंजोइक अम्ल एवं ऐथिल बेन्जोएट में विभेदन : ऐसीटोफीनॉल आयोडोफार्म परीक्षण देता है जबकि बेन्जैल्डिहाइड ऐसा नहीं करता।
(vi) एथेनल और प्रोपेनल में विभेदन : एथेनल हैलोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनल नहीं।
प्रश्न 7. निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन करें :
(i) ऐसीटाइलेशन
(ii) कैनिजारो अभिक्रिया
(iii) क्रॉस ऐल्डॉल संघनन
(iv) विकार्बोक्सिलन।
उत्तर⇒ (i) ऐसीटाइलेशन : एल्कोहल, फीनॉल या एमीन के सक्रिया हाइड्रोजन को एसाइल (RCO) समूह द्वारा प्रतिस्थापित कर संगत एस्टर या एमाइड बनाना ऐसीटाइलेशन कहलाता है । यह अभिक्रिया ऐसिड क्लोराइड या किसी अम्ल एन्हाइड्राइड की उपस्थिति में होती है।
(ii) कैनिजारो अभिक्रिया : ऐल्डिहाइड, जिसमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते। सांद्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है। जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
2HCHOCH3OH + HCOONa
2C6H5CHOC6H5CH2OH + C6H5COONa
2(CH3)3 CHO(CH3)2CH2OH + (CH3)3 COO-Na+
यह अभिक्रिया उन सभी यौगिकों में संभव है जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होता।
(iii) क्रॉस ऐल्डोहल संघनन : जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे, क्रास ऐल्डोल संघनन कहते हैं। प्रत्येक में α-हाइड्रोजन हो तो ये चार उत्पादों का मिश्रण देते हैं।
क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।
इस प्रकार ऐसीटोन, बेन्जैल्डिाइड से क्षारकीय माध्यम में क्रिया कर डाइबेन्जल ऐसीटोन बनता है।
(iv) विकार्बोक्सिलन : (a) कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम के साथ गरम करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन कहलाती है।
(b) कोल्बे वैद्युत अपघटन :
2RCOONa→2FCOO– + Na+ – आयन
2H2O 2OH– + 2H+ + आयन
एनोड पर : 2RCOO– – 2e–→2RCOO–→ R – R+ + 2CO2
कैथोड पर : 2H+ + 2e–→H2(g)
(c) विकार्बोक्सिलन :
CH2COOAg + Br CH3–Br + CO2 + AgBr
(IV) कैल्शियम लवण भी विकार्बोक्सिल दर्शाते हैं।
Ca(CH3COO)2CH3COCH3 + CaCO3
प्रश्न 8. एल्डिहाइड का सामान्य परिचय दें।
उत्तर⇒ एल्डिहाइड तथा कीटोन का सामान्य सूत्र CnH2nO है । इन दोनों में द्विसंयोजक क्रियाशील कार्बोनिल मूलक > CO उपस्थित रहता है, जिसके कारण दोनों श्रेणियों के गुणों में बहुत समानता पायी जाती है। कार्बोक्सिल मूलक की उपस्थिति के कारण दोनों श्रेणियों को कार्बोनिल यौगिक भी कहा जाता है। एल्डिहाइड में कार्बोनिल मूलक के साथ अनिवार्य रूप से एक हाइड्रोजन परमाणु तथा दूसरे बंधन से भी एक हाइड्रोजन परमाणु अथवा एल्काइल मूलक जुड़ा रहता है। उसी कीटोनों में कार्बोनिल मूलक के दो बंधों से दो एल्काइल मूलक लगे रहते हैं।
एल्डिहाइड में कार्बोनिल मूलक के साथ एक हाइड्रोजन परमाणु के संलग्न रहने के कारण रासायनिक प्रतिक्रियाओं में और विशेषकर ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया में कीटानों से ये अधिक क्रियाशीलता प्रदर्शित करते हैं।
उपस्थित रहता है। इन यौगिकों का सामान्य सूत्र CnH2nO है और इन्हें साधारणतः RCHO द्वारा व्यक्त किया जाता है। कुछ महत्त्वपूर्ण एल्डिहाइडों के नाम इस प्रकार हैं-