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10. हैलोऐल्केन्स तथा हैलोऐरीन्स LONG ANSWER TYPE QUESTIONS

कार्बनिक रसायन
10. हैलोऐल्केन्स तथा हैलोऐरीन्स

प्रश्न 1. आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे ? दर्शाए।
(i) एक उपयुक्त ऐल्कीन से 1-फेनिलएथेनॉल।
(i) SN2 अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लो हेक्लिसमेथेनॉल।
(iii) एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन-1-ऑल।

उत्तर⇒

आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे
(ii) CH3 – (CH2)3 – CH2Br + aq. KOH → CH3 – (CH2)3 – पेन्टेन-1-ऑल CH2OH + KBr

प्रश्न 2. समझाइए क्यों-
      (i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लेहेक्सिन क्लोराइड की तुलना में कम होता है ?
      (ii) ऐल्किल हैलाइड धुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं ?
      (iii) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए ?

उत्तर⇒ (i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण मान साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम है क्योंकि कार्बन, क्लोरीन से जुड़ा होता है। कार्बन क्लोरोबेन्जीन में sp2 संकरण दर्शाता है। अतः यह अधिक विद्युत ऋणात्मक है साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में कार्बन से तो sp3 संकरित है। इसलिए Cl – Cl आबंध से क्लोरीन आसानी से इलेक्ट्रॉन दान करता है।
      (ii) ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय (2.05 – 2.15 D) है लेकिन जल से घुलनशील है क्योंकि ऐल्किल हैलाइड जल के साथ न तो हाइड्रोजन आबंध बनाते हैं और न ही हाइड्रोजन आबंध को तोड़ते हैं।
      (ii) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक अति अभिक्रियाशील होते हैं, ग्रिगनार्ड अभिकर्मक ऐसे हाइड्रोकार्बन के साथ क्रिया करते हैं जो प्रोटोन दान करते हैं। केवल जल से काफी होता जो ग्रिगनार्ड अभिकर्मक को हाइड्रोकार्बन में बदल देते हैं।
      R – Mg – X + H2O → R – H + Mg(OH)X
          अतः यह आवश्यक ही ग्रिगनार्ड अभिकर्मक की शुष्क वातावरण में ही तैयार करें।
      R-X + Mg समझाइए क्यों R- Mg -X
प्रश्न 3. क्लोरोफॉर्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का उल्लेख करें।

उत्तर⇒ क्लोरोफॉर्म  क्लोरोफॉर्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का
         इथाइल ऐल्कोहॉल का प्रयोग करने पर निम्नांकित प्रतिक्रिया होती है-
         विरंजक चूर्ण पहले जल अपघटित होकर Ca(OH)2 एवं Cl2 में बदल जाता है। क्लोरीन इथाइल ऐल्कोहॉल को ऐसीटल्डिहाइड में ऑक्सीकृत कर देता है। ऐसीटल्डिहाइड क्लोरीन से प्रतिक्रिया कर (OH)2 द्वारा क्लोरोफार्म एवं कैल्शियम फॉर्मेट में जल अपघटित हो जाता है।
Ca(OCl) Cl + H2O → Ca(OH)2 + Cl2

क्लोरोफॉर्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का

         ऐसीटोन का व्यवहार करने पर अग्रांकित प्रतिक्रिया होती है-
         विरंजक चूर्ण के जल अपघटन से प्राप्त क्लोरीन ऐसीटोन को ट्राइक्लोरो ऐसीटोन को ट्राइक्लोरो ऐसीटोन में बदल देता है। ट्राइक्लोरो ऐसीटोन Ca(OH)2 द्वारा क्लोरोफॉर्म एवं कैल्शियम ऐसीटेट से जल अपघटित हो जाता है।
Ca(OCl)Cl + H2O → Ca(OH)2 + Cl2
क्लोरोफॉर्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का

प्रश्न 4. आयोडोफार्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का उल्लेख करें।

उत्तर⇒ संरचना सूत्र-
आयोडोफार्म का संरचना सूत्र दें तथा इसके बनाने की विधि का
         आयोडोफॉर्म बनाने की विधि-
         (i) प्रयोगशाला विधि :
         सिद्धांत-ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन, आयोडीन एवं कॉस्टिक क्षार या कार्बोनेट के मिश्रण को थोड़ा गर्म करने पर आयोडोफॉर्म प्राप्त होता है।
         प्रतिक्रिया- (a) इथाइल ऐल्कोहॉल का प्रयोग करने पर प्रतिक्रिया निम्नलिखित रूप में होती है-
प्रतिक्रिया- (a) इथाइल ऐल्कोहॉल का प्रयोग करने पर प्रतिक्रिया निम्नलिखित रूप

(b) ऐसीटोन का प्रयोग करने पर प्रतिक्रिया निम्नलिखित रूप में होती है-
ऐसीटोन का प्रयोग करने पर प्रतिक्रिया निम्नलिखित रूप में होती है

प्रश्न 5. क्लोरीन यद्यपि इलेक्ट्रॉन अपनयक समूह है फिर भी यह एरोमैटिक इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थो तथा पैरा-निर्देशक है, क्यों ?

उत्तर⇒ प्रेरण प्रभाव के कारण क्लोरीन इलेक्ट्रॉन आकर्षित करती है तथा अनुनाद के कारण इलेक्ट्रॉन निर्गमित करती है। प्रेरण प्रभाव के कारण क्लोरीन इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में बने मध्यवर्ती कार्बोकैटायन को अस्थायित्व प्रदान करती है।
क्लोरीन यद्यपि इलेक्ट्रॉन अपनयक समूह है
प्रेरण प्रभाव मध्यवर्ती कार्बोकैटायन के अस्थायित्व प्रदान करता है।
क्लोरीन यद्यपि इलेक्ट्रॉन अपनयक समूह है
        अनुनाद प्रभाव मध्यवर्ती कार्बोकैटायन को स्थायित्व प्रदान करता है।
        अनुनाद के द्वारा हैलोजन कार्बोकैटायन का स्थायित्व प्रदान करने का प्रयास करती है तथा यह प्रभाव आर्थो एवं पैरा स्थितियों पर अधिक प्रबल होता है की तुलना में प्रेरण प्रभाव अधिक प्रबल होता है, अत: नेट प्रभाव इलेक्ट्रॉन अपनयन करने का होता है जिससे निष्क्रियण उत्पन्न होता है। आर्थो एवं पैरा स्थिति पर आक्रमण में अनुनाद प्रभाव, प्रेरण प्रभाव के विपरीत कार्य करता है, अतः ऑर्थो एवं पैरा स्थिति के निष्क्रियण को कम करता है। इस प्रकार अभिक्रियाशीलता, प्रबल प्रेरण प्रभाव के द्वारा तथा अभिविन्यास, अनुनाद प्रभाव के द्वारा नियंत्रित होता है।

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