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4. गतिमान आवेश और चुम्बकत्व ( Short Answer Type Question )

4. गतिमान आवेश और चुम्बकत्व


1. समानांतर धाराओं के बीच लगते हुए आकर्षण बल से ऐम्पियर की परिभाषा दें।

Ans ⇒ यदि दो समानांतर धाराएँ I1 तथा I2 प्रवाहित हैं, जिनके बीच की दूरी r है, तो तार के प्रति मीटर लम्बाई पर लगने वाला आकर्षण बल, गतिमान आवेश और चुम्बकत्व न्यूटन/मीटर (निर्वात) है।
यदि,                                I1 = I2 = I, r = 1 मीटर
तथा,                                F = 2 x 10-7 न्यूटन/मीटर
माना जाए तो हम पाते हैं कि
समानांतर धाराओं के बीच लगते हुए आकर्षण बल

अतः यदि दो समानांतर धारावाही तार निर्वात में एक मीटर की दूरी पर रखे जाएँ जिनसे समान प्रबलता की इतनी धारा प्रवाहित की जाए कि तार के प्रति मीटर लम्बाई पर 2 x 10-7 न्यूटन का बल लगे, तो प्रत्येक तार से प्रवाहित धारा का मान एक ऐम्पियर कहलाता है।


2. धारा सुग्राहिता से आप क्या समझते हैं ? किसी चलकुण्डली गैलवेनोमापी की सुग्राहिता किन तथ्यों पर निर्भर करती है ?

Ans ⇒ धारा सुग्राहिता – एक माइक्रो-ऐम्पियर की धारा द्वारा एक मीटर दूर स्थित स्केल पर उत्पन्न मिलीमीटर में जितना विक्षेप होता है, उसे धारा सुग्राहित कहते हैं।
चलकुण्डली गैलवेनोमापी की सुग्राहिता – हम जानते हैं कि i = Kθ = धारा सुग्राहिता किसी दिये गये धारा के लिए जितना अधिक विक्षेप होगा, उतना ही कम परिवर्तन गुणांक चलकुण्डली गैलवेनोमापी की सुग्राहिता का मान होगा। अतः गैलवेनोमापी की सुग्राहिता परिवर्तन गुणांक के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अतः धारा सुग्राहिता चुम्बकीय क्षेत्र जहाँ n कुण्डली में लपेटों की संख्याएँ A कुण्डली का क्षेत्रफल, H चुम्बकीय क्षेत्र तथा C उत्पन्न बलयुग्म है।
इस प्रकार, सुग्राहिता निम्न तथ्यों पर आधारित है –
(i) सुग्राहिता लपेटों की संख्या, कुण्डली का क्षेत्रफल तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के समानुपाती होती है।
(ii) सुग्राहिता प्रति इकाई परोड़ के ऐंठन बल आघूर्ण अर्थात् बल-युग्म C के व्युत्क्रमानुपाती होती है, जहाँ सुग्राहिता लपेटों की संख्या जिसमे η फास्फर ब्रॉज की दृढ़ता गुणांक, r फास्फर ब्रॉज तार की त्रिज्या तथा 1 फास्फर ब्रौंज तार की लम्बाई है।
उपर्युक्त सभी तथ्य सुग्राहिता के अत्यधिक होने की पुष्टि करता है। इसीलिए निलम्बित चल कुण्डली गैलवेनोमापी अत्यधिक सुग्राही है।


3. गैल्वेनोमापी को आम्मापी में कैसे बदला जाता है ?

Ans ⇒ गैल्वेनोमापी के समानान्तर क्रम में बहुत कम प्रतिरोध के एक मोटे तार को शंट के रूप में जोड़कर आम्मापी के रूप में व्यवहार किया जा सकता है। फिर एक मानक यंत्र से मिलाकर गैल्वेनोमापी के स्केल को ऐम्पियर में अंशांकित कर लिया जाता है।


4. गैल्वेनोमापी को वोल्टमापी में कैसे बदला जाता है ?

Ans ⇒ गैल्वेनोमापी के श्रेणीक्रम में बाह्य रूप से उपयुक्त उच्च प्रतिरोध जोड़कर वोल्टमापी के रूप में व्यवहार किया जाता है। फिर एक मानक यत्र से मिलाकर गैल्वेनोमापी के स्केल को वोल्ट में अशांकित कर लिया जाता है।


5. ऐम्पियर का परिपथीय नियम की व्याख्या कीजिए।

Ans ⇒ ऐम्पियर के परिपथीय नियम के अनुसार किसी बन्द परिपथ के लिए चुम्बकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन, उस परिपथ से गुजरने वाली धारा और μ0 के गुणनफल के बराबर होता है। गणितीय रूप में इसे निम्न प्रकार लिखा जा सकता है –
ऐम्पियर का परिपथीय नियम की व्याख्या कीजिए                                                                                                                                        ∮B.dl = μ0I

यह बन्द पथ या परिपथ के आकार या आकृति पर निर्भर नहीं करता है।
इसको समझने के लिए अनन्त लम्बाई का एक धारावाही चालक लीजिए, जिसमें I धारा प्रवाहित हो रही हो। r त्रिज्या का एक वृत्ताकर लूप लीजिए। हम जानते हैं कि तार के चारों तरफ वृत्ताकार चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ होती हैं। इस प्रकार लूप के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र dl के समान्तर होता है। B का परिमाण भी लूप के प्रत्येक बिन्दु पर समान होता है।
          ∮ B.dl = B∑dl                                 (∵ θ = 0)
अब वृत्ताकार लूप के अनुदिश ∑B.dl = B.2πr परन्तु बायो-सेवार्ट नियम के अनुसार

इस प्रकार बायो-सेवार्ट के नियम से ऐम्पियर के नियम को व्युत्पन्न किया गया है।
         परन्तु dl = rd
        चित्र में ऐसे ही एक बन्द लूप को दिखाया गया है। तार बिन्दु O से होकर गुजरता है। बन्द लूप को अनेक छोटे-छोटे अवयवों dl में बाँट कर,
                ∑B.dl = B∑dl
       चूँकि प्रत्येक छोटे अवयव के लिए, B dl के समान्तर है।
यह नियम धारा के किसी भी संयोजन

चूंकि पूरे लूप के लिए केन्द्र पर ∑dθ = 2π
यह नियम धारा के किसी भी संयोजन तथा किसी भी बन्द परिपथ के लिए लागू होता है।


6. चुम्बकीय द्विध्रुव से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ चुम्बकीय द्विध्रुव-एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर स्थित बराबर परिमाण के विपरीत ध्रुवों के संयोग को चुम्बकीय द्विध्रुव कहते हैं। छोटे (अत्यल्प) छड़ चुम्बक को चुम्बकीय द्विध्रुव कहा जा सकता है।
वैसी सभी संरचनाएँ जिसे किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने से बल-युग्म का अनुभव करता है, जिससे वह क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने की प्रवृति रखती है, चुम्बकीय द्विध्रुव कहलाते हैं। चुम्बकीय द्विध्रुव की चुम्बकीय लम्बाई अत्यल्प होती है क्योंकि इसके ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता है। वास्तव में चुम्बकीय द्विध्रुव एक धारा लूप भी होता है।


7. चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण की परिभाषा चुम्बकीय बल क्षेत्र में चुम्बकीय द्विध्रुव पर लगने वाले यांत्रिक आघूर्ण के आधार पर करें।

Ans ⇒ चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण – किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारा-लूप (चुम्बकीय द्विध्रुव) पर लगने वाले बल-युग्म की तुलना विद्युतीय क्षेत्र में स्थित विद्युतीय द्विध्रुव पर लगने वाले बल-युग्म से की जाती है। हम जानते हैं कि चुम्बकीय क्षेत्र B में क्षेत्रफल A की धारा लूप पर लगने वाला बल आघूर्ण τ = iABsinθ जहाँ θ क्षेत्र की दिशा तथा लूप-तल के अभिलम्ब के बीच का कोण है। एक लूप के स्थान पर N लूपों से बनी धारावाही कुण्डली होने पर कार्यकारी बल-आघूर्ण τ = pEsinθ.
किसी विद्युतीय क्षेत्र E में क्षेत्र की दिशा से θ कोण पर स्थित किसी विद्युतीय द्विध्रुव पर कार्यकारी बल-आघूर्ण τ = pEsinθ.

जहाँ p विद्युतीय द्विध्रुव आघूर्ण है। समीकरण (i) तथा (ii) से स्पष्ट है कि राशि NiA = p, इसे चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण कहते हैं। इसे M द्वारा सूचित किया जाता है।
जहाँ p विद्युतीय द्विध्रुव आघूर्ण है

अतः किसी चुम्बकीय द्विध्रुव का चुम्बकीय आघूर्ण वह बल-आघूर्ण है तो इस द्विध्रुव को इकाई तथा समान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखने पर द्विध्रुव पर लगता है।
चुम्बकीय द्विध्रुव का मात्रक ऐम्पियर-मीटर² है तथा विमा सूत्र [IL²] है।


8. चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाने के लिए किये गये कार्य का व्यंजक प्राप्त करें।

Ans ⇒ चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाने के लिए किये गये कार्य का व्यंजक – चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित प्रत्येक चुम्बकीय द्विध्रुव पर एक बल-युग्म कार्य करता है जो कि द्विध्रुव को क्षेत्र की दिशा से संरेखित करने का प्रयत्न करता है। अतः द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से घुमाने के लिए कार्य करना पड़ता है।
माना कि किसी क्षण चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित चुम्बकीय द्विध्रुव क्षेत्र की दिशा से ए कोण बनाता है, तो इस पर लगने वाला बल-युग्म का आघूर्ण = MBsinθ, इस स्थिति में, द्विध्रुव को dθ कोण से विस्थापित करने के लिए आवश्यक कार्य dw = बल युग्म का आघूर्ण x विस्थापित कोण = MB sinθ x dθ
अतः चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से θ कोण घुमाने में किया गया कुल कार्य,
विशेष स्थिति

विशेष स्थिति : (a) चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 180° घुमा देने पर किया गया कार्य,
w = MB (1 – cos180°) = MB[1 – (-1)] = 2MB है।

(b) चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 90° घुमाने पर किया कार्य,
W = MB (1 – cos 90°) = MB (1 – 0) = MB है।


9. (a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिणाम तो एक बिंदु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है पूर्व से पश्चिमी इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है। और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारंभिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं ?
(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिंदु स दूसरे बिंदु पर बदलते जाते हैं, और एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता तो क्या इसकी अंतिम चाल, प्रारंभिक चाल के बराबर होगी?
(c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक समान वैधुत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एक समान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।

Ans ⇒ (a) आवेशित कण का प्रारंभिक वेग की दिशा या तो चुम्बकीय क्षेत्र के समांतर या विपरीत दिशा में होता है क्योंकि अन्य दूसरे दिशा में इस क्रियाशील बल चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 90° घुमाने पर किया कार्य होगा जो कण की दिशा को बदलता है।

(b) चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा आवेशित गतिशील कण पर बल उसके गति के लंबवत होता है और चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा कार्य नहीं किया जाता है। अतः आवेशित कण का प्रारंभिक चरण अंतिम चाल के बराबर होगा यदि कण का किसी दूसरे कण से टक्कर न हो।

(c) विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन उत्तर की ओर विक्षेपित होता है। इलेक्ट्रॉन अविक्षेपित रहेगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल दक्षिण की ओर हो। चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल दक्षिण की ओर हो। चूंकि इलेक्ट्रॉन पश्चिम से पूर्व की ओर गतिशील है अतः फ्लेमिंग के बायीं हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र B उदग्र रूप से नीचे की ओर आरोपित होना चाहिए।


10. चल कुंडली गैल्वेनोमीटर में रेखीय चुंबकीय क्षेत्र का क्या महत्व है ?

Ans ⇒ विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन उत्तर की ओर विक्षेपित होता है। इलेक्ट्रॉन अविक्षेपित रहेगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल दक्षिण की ओर हो। चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल दक्षिण की ओर हो। चूँकि इलेक्ट्रॉन पश्चिम से पूर्व की ओर गतिशील है अतः फ्लेमिंग के बायीं हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र उदग्र रूप से नीचे की ओर आरोपित होना चाहिए।


11. विद्युत चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक के बीच दो अंतर लिखें।

Ans ⇒ विद्युत चुम्बक तथा स्थायी चुम्बक के बीच निम्नलिखित अंतर है –

S.L.विद्युत चुम्बकस्थायी चुम्बक
(i) यह अस्थायी प्रकृति का होता है।यह स्थायी प्रकृति का होता है।
(ii)इसकी चुम्बकीय दिशा परिवर्तित हो सकती है।इसकी चुम्बकीय दिशा परिवर्तित नहीं हो सकती है।

 


12. एक धारावाही वृत्ताकार लूप एक चिकने क्षैतिज तल पर रखा है। क्या एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र इस प्रकार लगाया जा सकता है कि लूप अपनी ऊर्ध्वाधर अक्ष के चारों तरफ घूमने लगे।

Ans ⇒ नहीं। लूप को स्वयं के प्रति घूमाने के लिए चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित नहीं हो सकता है क्योंकि इसके लिए उदग्र दिशा में आघूर्ण की आवश्यकता होती है।
किन्तु magnetic moment of magnet = l एक धारावाही वृत्ताकार लूप x due to infinite wire चूँकि क्षैतिज लूप का एक धारावाही वृत्ताकार लूप उदग्र दिशा में होता है। अत: τ लूप के तल में होना चाहिए।


13. क्या गतिशील आवेश पर चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा कार्य किया जाता है ?

Ans ⇒ चुम्बकीय क्षेत्र due to infinite wire  में क्या गतिशील आवेश पर चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा कार्य किया जाता है वेग से गतिशील आवेश q पर क्रियाशील बल
दिशा आवेश के वेग के लम्बवत m = q(क्या गतिशील आवेश पर चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा कार्य किया जाता है x due to infinite wire)
दिशा आवेश के वेग के लम्बवतm की दिशा आवेश के वेग के लम्बवत हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा किया गया कार्य W =  दिशा आवेश के वेग के लम्बवत. चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा किया गया कार्य cos90 = 0 चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा गतिशील आवेश पर किया गया कार्य = O.


14. गॉस के नियम और एम्पियर के नियम की तुलना करें।

Ans ⇒ गॉस के नियम से गॉस के नियम से
ऐम्पियर के नियम से ऐम्पियर के नियम से
अतः वि. क्षेत्र E के सतह समाकलन को आवेश से सम्बन्ध बताने वाला नियम गॉस नियम है। ऐम्पियर नियम चुम्बकीय क्षेत्र के रेखा समाकलन और धारा को संबंधित करता है।


15. एक धारावाही वृत्ताकार लूप एक समान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। यदि लूप घूमने के लिए स्वतंत्र हो तो इसके स्थायी संतुलन का दिक विन्यास क्या होगा ? दर्शाइए कि इसमें कुल क्षेत्र (बाह्य क्षेत्र + लूप द्वारा उत्पन्न क्षेत्र) का फ्लक्स अधिकतम होगा।

Ans ⇒ लूप का सदिश क्षेत्रफल एक धारावाही वृत्ताकार लूप और बाह्य क्षेत्र की दिशा समान होने पर लूप स्थायी संतुलन में होता है। अतः ऐसी स्थिति में चुम्बकीय फ्लक्स महत्तम होगा।


16. समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत गतिशील आवेशित कण लेड में प्रवेश करता है और इस प्रकार अपना आधा गतिज ऊर्जा क्षय करता है। आवेशित कण के गति पथ का त्रिज्या बदलकर कितना होता है ?

Ans ⇒ चुम्बकीय क्षेत्र B में V वेग से गतिशील आवेश q के पथ का
त्रिज्या r = mv/qB
यदि आवेशित कण की गतिज ऊर्जा E हो तो
यदि आवेशित कण की गतिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा आधा होने पर त्रिज्या घटकर प्रारंभिक त्रिज्या का 1/√2 गुना हो जाता है।


17. इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन समान विभवांतर के द्वारा त्वरित होता है और समरूप लम्बवत चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। प्रोटान के पथ की त्रिज्या इलेक्ट्रान के पथ के त्रिज्या से कितना बड़ा होता है ?

Ans ⇒ चूँकि इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पर समान परिमाण में आवेश होता है तथा दोनों समान विभवांतर में त्वरित होता है। इसलिए दोनों के द्वारा प्राप्त गतिज ऊर्जा समान होगा।
अर्थात् Ee = Ep = E (माना)
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन समान विभवांतर


Class 12th physics Subjective question in hindi

भौतिक विज्ञान ( Physics ) Short Answer Type Question
1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र
2स्थिर विधुत विभव तथा धारिता
3विधुत धारा
4गतिमान आवेश और चुम्बकत्व
5चुम्बकत्व एवं द्रव्य
6विधुत चुम्बकीय प्रेरण
7प्रत्यावर्ती धारा
8विधुत चुम्बकीय तरंगें
9किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र
10तरंग प्रकाशिकी
11विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
12परमाणु
13 नाभिक
14अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
15संचार व्यवस्था

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