Class 12th Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2
Q.31. विदेशी नीति से क्या अभिप्राय है ?
Ans ⇒ आधुनिक समय में प्रत्येक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्रों के साथ सम्पर्क स्थापित करने के लिए . विदेश नीति निर्धारित करनी पड़ती है। संक्षेप में विदेश नीति से तात्पर्य उस नीति से है जो एक राज्य द्वारा अन्य राज्यों के प्रति अपनाई जाती है। वर्तमान युग में कोई भी स्वतंत्र देश संसार के अन्य देशों से अलग नहीं रह सकता। उसे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। इस संबंध को स्थापित करने के लिए वह जिन नीतियों का प्रयोग करता है, उन नीतियों को उस राज्य की विदेश नीति कहते हैं।
Q.32. विदेश नीति के चार अनिवार्य कारक बताइए।
Ans ⇒ किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति निश्चित करने के लिए निम्नलिखित चार कारक अनिवार्य माने जाते हैं –
1. राष्ट्रीय हित 2. राज्य की राजनीतिक स्थिति 3. पड़ोसी देशों से संबंध 4. अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक वातावरण।
Q.33. प्रथम गुटनिरपेक्ष सम्मेलन कहाँ तथा कब हुआ था ? बाद में ऐसे सम्मेलनों की सूची तैयार कीजिए।
Ans ⇒ प्रथम गुटनिरपेक्ष सम्मेलन 1961 ई. में बेलग्रेड में हुआ था। दूसरा सम्मेलन काहिरा में 1964 ई० में हुआ था। तीसरा सम्मेलन लसाका में 1970 ई. में हआ था। पाँचवाँ सम्मेलन 1976 ई० में कोलम्बो में हआ था। छठा सम्मेलन हवाना में 1979 ई. में हुआ था। सातवा सम्मलन भारत का राजधानी नई दिल्ली में 1983 ई. में हआ था। आठवाँ सम्मेलन हरारे में 1986 ई. में हुआ था तथा नौवा सम्मेलन 1989 ई. में एक बार फिर बेलग्रेड में हआ। दसवाँ सम्मेलन 1992 ई. में जकार्ता में तथा ग्यांरहबा सम्मलेन कटोजेना में 1995 ई० में हुआ। 12वाँ सम्मेलन डरबन (द. अफ्रीका) तथा 13वाँ सम्मेलन 24 फरवरी, 2003 को कुआलालम्पुर (मलेशिया) में हुआ।
Q. 34. विदेश नीति की परिभाषा दीजिए।
Ans ⇒ प्रत्येक राज्य आज विश्व के दूसरे राज्यों से संबंध बनाता है। सभी राज्य एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। एक राज्य जिन सिद्धांतों के आधार पर विदेशी राज्यों से संबंध स्थापित करता है, उसे उस राज्य की विदेश नीति कहते हैं।
रूथन स्वामी के अनुसार, “विदेश नीति वर्तमान समय में ऐसे सिद्धांतों और व्यवहारों का समूह है जिनके द्वारा एक राज्य दूसरे राज्यों से संबंधों को नियमित करता है।
हिल के अनुसार, “विदेश नीति एक राष्ट्रों की तुलना में अपने हितों को विकसित करने के लिए किए गए उपायों का मूल सार है।”
हार्टमैन के अनुसार, “विदेश नीति सोच-समझकर चुने हुए राष्ट्रीय हितों का सूत्रबद्ध विवरण है।” निष्कर्ष तौर पर कहा जा सकता है कि विदेश नीति किसी राज्य के ऐसे सिद्धांतों और व्यवहारों का समूह है जिनके द्वारा अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और उनकी वृद्धि के लिए दूसरे राज्यों के संबंध में लागू करता है।
Q.35. विदेश नीति के लक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
Ans ⇒ विदेश नीति के मुख्यतः दो लक्ष्य होते हैं-
1. राष्ट्रीय हित (National interests) – राष्ट्रीय हितों में आर्थिक क्षेत्र में राष्ट्रीय विकास, राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्थिरता या स्वामित्व, रक्षा क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा आदि का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
2. विश्व समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण (Attitudes towards international problems) – इनमें प्रमुख रूप से विश्वशांति, राज्यों का सहअस्तित्व, राज्यों का आर्थिक विकास, मानव अधिकार आदि शामिल है।
Q.36. भारतीय विदेश नीति राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुई है ?
Ans ⇒ भारत की गुटनिरपेक्षता, दूसरे देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध, जातीय भेदभाव का विरोध और संयुक्त राष्ट्र का समर्थन आदि विदेश नीति के सिद्धान्त भारत के राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने में काफी हद तक सहायक सिद्ध हुए हैं। वास्तव में भारत प्रारंभ से ही शांतिप्रिय देश रहा है। इसलिए उसने अपनी विदेश नीति को राष्ट्रीय हितों के सिद्धांत पर आधारित किया है। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी भारत ने अपने उद्देश्य मैत्रीपूर्ण रखे हैं। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत ने संसार के समक्ष एक आदर्श पैदा किया है।
Q.37. गठबन्धन की राजनीति क्या है ?
Ans ⇒ भारतीय राजनीति गठबंधन की राजनीति के दौर से गुजर रही है। भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और काँग्रेस संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (UPA) नाम से गठबंधन बनाए . हुए है। लोकसभा का चुनाव दोनों गठबंधनों के बीच हुआ। गठबंधन की रक्षा, सरकार को बचाये रखना, गठबंधन हेतु नये सहयोगियों की खोज, राजनीति प्रक्रिया का मुख्य आयाम हो जाता है।
गठबंधन सरकार के सफल संचालन का प्रथम श्रेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया जा सकता है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नाम से सरकार बनाई जो करीब 5 वर्षों से अधिक तक चलती रही। इसे देखकर’ कांग्रेस ने भी गठबंधन राजनीति से जुड़ने का निर्णय लिया। उसके नेतृत्व में काँग्रेस गठित संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (UPA) नाम से अपना . कार्यकाल पूरा किया और फिर 2009 में सरकार बनी। मनमोहन सिंह इस सरकार के प्रधानमंत्री थे। 2014 में पुनः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनीं, जिसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।
भविष्य में उम्मीद की जाती है कि गठबंधन राजनीति द्विध्रुवीय राजनीति के रूप में स्थायी रूप ले सकेगा। ऐसा होने पर संसदीय व्यवस्था मजबूत होगी।
Q. 38. राष्ट्रीय लोकतंत्रात्मक गठबंधन की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी ?
Ans ⇒ यह सबसे बड़े विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बने लगभग 13 राजनैतिक पार्टियों (या उससे अधिक) का गठबंधन था जिसकी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तीन बार बनी। इसका कुल कार्यकाल लगभग 6 वर्ष रहा। वाजपेयी कुछ ही दिनों तक पहली बार प्रधानमंत्री रहे लेकिन आज तक जितने भी गैर-काँग्रेसी प्रधानमंत्री बने हैं उनका कार्यकाल कुल मिलाकर सर्वाधिक दीर्घ ही रहा है।
Q. 39. गठबंधन सरकार की एक राजनीतिक समस्या का विश्लेषण कीजिए।
Ans ⇒ गठबंधन राजनीति में विचारों की एकरूपता नहीं होती। बार-बार पार्टियाँ गठबंधन छोड़ती है और इसलिए प्रायः गठबंधन टूटते रहते हैं या बदलते रहते हैं। इससे लोगों का बहुदलीय प्रणाली में विश्वास कम होता है। प्रायः वे दो दलीय या तीन अथवा कभी-कभी एक दलीय प्रणाली के समर्थक भी बन जाते हैं।
गठबंधन की सरकारें अस्थायी, कम गतिशील और खतरे की लटकी हुई तलवार के नीचे कार्य करती हैं।
Q. 40. 1986 से किन नागरिक मसलों ने भारतीय जनता पार्टी की सुदृढ़ता प्रदान की ?
अथवा, शाहबानो मामला क्या था ? इस पर भारतीय जनता पार्टी ने काँग्रेस विरोधी. क्या रूख अपनाया ?
Ans ⇒ 1986 में ऐसी दो बातें हुईं जो एक हिन्दूवादी पार्टी के रूप में भाजपा की राजनीति के लिहाज से प्रधान हो गईं। इसमें पहली बार 1985 के शाहबानो मामले से जुड़ी है। यह मामला एक 62 वर्षीय तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का था। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में अर्जी दायर की थी।
सर्वोच्च अदालत ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक से जुड़े अधिकारों) अधिनियम (1986) पास किया। इस अधिनियम के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया।
सरकार के इस कदम का कई महिला संगठन, मुस्लिम महिलाओं की जमात तथा अधिकांश बद्धिजीवियों ने विरोध किया। भाजपा ने काँग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा ‘तुष्टिकरण’ करार दिया। ‘
Q.41. वी. डी. सावरकर कौन था ? उन्होंने हिंदुत्व के महत्त्व की किन शब्दों में व्याख्या की?
Ans ⇒ 1. परिचय (Introduction) – वी. डी. सावरकर भारत के महान् स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने देश के भीतर और देश के बाहर क्रांतिकारियों से मिलकर देश की आजादी में भाग लिया। 1 जून, 1909 को उन्हीं के एक घनिष्ठ मित्र और साथी मदन लाल धींगड़ा ने लंदन में उस अंग्रेज अधिकारी (यानी सर विलियम कर्जन) की हत्या कर दी, जो अनेक निर्दोष लोगों की भारत में हत्याओं के लिए जिम्मेवार था वी. डी. सावरकर को कुछ समय बाद (अप्रैल 1910) कैद कर लिया गया और भारत जहाज पर बिठा कर भेज दिया गया। उन्होंने विदेशी सरकार को चकमा देकर जहाज से कूदकर समुद्र पार किया। वह उस समुद्र तट पर पहुँच गए जो उस समय फ्रांसीसियों के कब्जे में था। उन्होंने अपनी पुस्तक में 1857 के विप्लव को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी।
2. हिंदुत्व और उसकी व्याख्या (Hindutay and it explanation):- (i) ‘हिंदुत्व’ अथवा ‘हिन्दपन’ शब्द को वी. डी. सावरकर ने गढ़ा (coined) था और इसको परिभाषित (defined) करते हुए उन्होंने इसे भारतीय (और उनके शब्दों में हिन्दू) राष्ट्र की बुनियाद (नीव) बताया। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है जो भारतभूमि को न सिर्फ ‘पितृभूमि’ बल्कि अपनी ‘पुण्यभूमि’ भी स्वीकार करे।
(ii) हिंदुत्व के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत राष्ट्र सिर्फ स्वीकृत राष्ट्रीय संस्कृति की बुनियाद पर ही बनाया जा सकता है। वे यह भी मानते हैं कि भारत के संदर्भ में राष्ट्रीयता की बुनियाद केवल हिन्दू संस्कृति (जो बहुत उदार एवं जिसकी पाचन शक्ति अद्भुत है) ही हो सकती है।
Q. 42. सुरक्षा क्या है ?
Ans ⇒ सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी। मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है। तब क्या इसका मतलब यह है कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाय ?
Q.43. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा को स्पष्ट कीजिए।
Ans ⇒ सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा के सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। इस खतरे का स्रोत कोई अन्य मुल्क होता है जो सैन्य आक्रमण की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों को खतरा करता है।
Q.44. बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौन-कौन से. विकल्प होते हैं ?
Ans ⇒ बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं :-
(i) आत्मसमर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किए मान लेना।
(ii) युद्ध से होने वाले विनाश को एक सीमा तक बढ़ाना कि दूसरा पक्ष सहमकर आक्रमण न करे।
(iii) युद्ध शुरू हो जाय तो अपनी रक्षा करना ताकि हमलावर देश अपने मकसद में सफल न हो सके और पीछे हट जाये अथवा आक्रामक को पराजित कर देना।
Q.45. अपरोध का क्या अर्थ है ?
Ans ⇒ युद्ध में कोई देश भले ही आत्मसमर्पण कर दे परंतु वह इसे अपने देश की नीति के रूप में फैलाना नहीं चाहेगी इसलिए सुरक्षा की नीति का उद्देश्य युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे अपराधे कहते हैं।
Q. 46. गठबंधन क्या है ?
Ans ⇒ पारंपरिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण तत्व गठबंधन है, जो एक प्रकार का संघ है जिसमें कई देश शामिल होते हैं।
अधिकांश गठबंधनों को लिखित संधि से एक औपचारिक रूप मिलता है। किसी देश अथवा गठबंधन की तुलना में अपनी ताकत का असर बढ़ाने के लिए देश गठबंधन बनाते हैं।
Q.47. विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्र संघ एक केन्द्रीय सत्ता है परंतु वह नियंत्रण करने में असफल है। विवेचना कीजिए।
Ans ⇒ यह सही है कि विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्र संघ ऐसी सत्ता है अथवा ऐसी बन सकती है। परंतु अपनी बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सदस्य देशों का दास है और इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते हैं और मानते हैं, उतनी ही सत्ता उसे हासिल होती है। अतः विश्व राजनीति में प्रत्येक देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है।
Q.48. 1945 के पश्चात् महाशक्तियों की आंतरिक सुरक्षा की क्या स्थिति थी ?
Ans ⇒ 1945 के पश्चात् अमेरिका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और . शांति सम्पन्न थे।
अधिकांश यूरोपीय देश विशेषकर ताकतवर पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गों से कोई गंभीर खतरा नहीं था। इस कारण इन देशों ने अपना ध्यान सीमा पार के खतरों पर केन्द्रित किया।
Q. 49. दो उदाहरण देकर बतायें कि किस प्रकार के हथियारों के निर्माण को प्रतिबंधित कर दिया गया है ?
Ans ⇒ कुछ विशेष प्रकार के हथियारों के निर्माण को संधियों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो निम्नलिखित हैं
(i) 1972 की जैविक हथियार संधि।
(ii) 1992 की रासायनिक हथियार संधि।
Q.50. सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व सुरक्षा क्यों कहते हैं ?
Ans ⇒ सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है।
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के प्रतिपादकों का कथन है कि ‘सिर्फ राज्य ही नहीं शक्तियों और समुदायों या कहें कि समूची मानवता को सुरक्षा की जरूरत है’।
Q.51. विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति कैसे हुई ?
Ans ⇒ विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्ल जैसी महामारियों के मद्देनजर 1990 के दशक में विश्व धारणा की उत्पत्ति हुई।
कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता। इन स्थितियों का दूसरे देशों पर प्रभाव पड़ सकता है।
Q.52. विश्व में खाद्य उत्पादन की कमी के क्या कारण हैं ?
Ans ⇒ विश्व के कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ भूमि के एक बड़े हिस्से की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।
चरागाह समाप्त होने को है, मत्स्य भंडार घट रहा है। जलाशयों में प्रदूषण बढ़ रहा है।
Q.53. विश्व में स्वच्छ जल की क्या स्थिति है ?
Ans ⇒ संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब 20 करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता।
साफ-सफाई की सुविधा से 30 लाख से अधिक बच्चे वंचित हैं। फलस्वरूप उनकी मौत हो जाती है।
Q.54. ओजोन परत में छेद होना क्या है ?
Ans ⇒ पृथ्वी की ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं।
इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मंडरा रहा है।
Q.55. पृथ्वी सम्मेलन या रियो सम्मेलन क्या है ?
Ans ⇒ 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुआ। इसे पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है। . वैश्विक राजनीति के क्षेत्र में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला।
Q.56. अंटार्कटिक महोदश का विस्तार बताइये।
Ans ⇒ इसका क्षेत्र 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ विश्व का निर्जन क्षेत्र 26% है। स्थलीय हिम का 90% हिस्सा और धरती पर मौजूद जल का 70% इस महादेश में मौजद है। अंटार्कटिक महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।
Q.57. ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम बताएँ।
Ans ⇒ ग्लोबम वार्मिंग या वैश्विक तापवृद्धि का अर्थ है विश्व में तापमान में वृद्धि। यह कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रो फ्लोरो कार्बन आदि गैसें इसके कारण हैं। विश्व का तापमान बढ़ने से धरती के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। विभि देश इस संबंध में वार्तालाप कर रहे हैं। क्योटो प्रोटोकॉल नामक समझौते में विभिन्न देशों की सहमति बन गई है।
Q.58. दक्षिणी देशों के वन आंदोलन की क्या कमी रही है ?
Ans ⇒ अनेक दक्षिणी देशों भारत, मैक्सिको, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफ्रीका आदि में वन आंदोलन चल रहे हैं, परंतु इन पर बहुत दबाव है।
तीन दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है। इसके बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से जारी है। पिछले दशक में बचे खुचे विशालतम वनों का विनाश बढ़ा है।
Q.59. धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में हो रही निरंतर कमी से मानव के लिए कैसे खतरा पैदा हो रहा है ? ।
Ans ⇒ धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मंडरा रहा है।