Class 12th Psychology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 4
Q.76. यूस्ट्रेस तथा डिस्ट्रेस में अंतर स्पष्ट करें।
Ans ⇒ यूस्ट्रेस (Eustress) और डिस्ट्रेस (Distress) कई मायनों में भिन्न होते हैं। सबसे पहले, यूस्ट्रेस अक्सर एक अल्पकालिक अनुभूति होती है और कुछ है कि हम व्यक्तियों के रूप में नियंत्रित कर सकते हैं। यूस्ट्रेस हमें और परिणाम हाथ में काम करने के लिए ऊर्जा के ध्यान में प्रेरित है। इसके विपरीत डिस्ट्रेस या तो कम या लंबी अवधि के और कुछ हमारे नियंत्रण के बाहर के रूप में माना जाता है। डिस्ट्रेस एक अप्रिय लग रहा है, जो हमें demotivates और ऊर्जा हम एक चुनौती पर काबू पाने के लिए या एक कार्य को पूरा करने की आवश्यकता है। यह भी अवसाद और चिंता संबंधी विकारों सहित अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
Q.77. प्रतिबल की समायोजी प्रविधि के रूप में संवेग उन्मुखी उपाय का वर्णन करें।
Ans ⇒ यह अनुमान लगाया जाता है कि यह शारीरिक रोग और अवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अल्सर, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी कड़े दबाव से संबंधित होती है। जीवन शैली में परिवर्तनों के कारण दबाव में निरंतर वृद्धि हो रही है। अतएव विद्यालय, दूसरी संस्थाएँ, दफ्तर एवं समुदाय उन तकनीकों को जानने हेतु उत्सुक हैं जिनके द्वारा दबाव का प्रबंधन किया जा सके। इनमें से कुछ तकनीकें निम्नलिखित हैं –
1. विश्राम की तकनीकें।
2. जैव प्रतिप्राप्ति या बायोफीडबैक तकनीक।
3. सृजनात्मक मानस-प्रत्यक्षीकरण।
4. ध्यान प्रक्रियाएँ।
5. संज्ञानात्मक-व्यवहारात्मक तकनीकें।
6. व्यायाम तथा योग।
Q.78. असामान्यता का मनोगतिकी मॉडल क्या है ?
Ans ⇒ .मनोगतिक प्रतिरूप(Psychodynamicmodel)-व्यवहार सामान्य हो अथवा असामान्य व्यक्ति अपने आंतरिक मनोविचारों एवं शक्तियों से प्रेरित होता है जिसके प्रति वह स्वयं चेतन रूप से अनभिज्ञ रहता है। मनोगतिक मॉडल में सर्वप्रथम फ्रॉयड ने कहा कि तीन केंद्रीय शक्तियों के द्वारा व्यक्तित्व की संरचना निर्धारित होती है। मूल प्रवृत्तिक आवश्यकताएँ, अंतर्नोद तथा आवेग (इदम् या इद), तार्किक चिंतन (अहम्) तथा नैतिक मानक (पराहम्)। इस प्रकार फ्रॉयड ने माना है कि असामान्य व्यवहार अचेतन स्तर पर होने वाले मानसिक द्वन्द्वों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है जिसका संबंध सामान्यतः प्रारंभिक बाल्यावस्था या शैशवावस्था से प्रारंभ होता है।
Q. 79. व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक कार्यों एवं स्वास्थ्य पर अल्कोहॉल के बुरे प्रभावों का वर्णन करें।
Ans ⇒ शराब मस्तिष्क के संचार रास्ते के साथ हस्तक्षेप करता है और जिस तरह से मस्तिष्क ला रहा है और काम करता है को प्रभावित कर सकते हैं। इन अवरोधों मूड और व्यवहार में बदलाव और यह कठिन स्पष्ट रूप से सोचने और समन्वय के साथ स्थानांतरित करने के लिए कर सकते हैं। शराब का मनोवैज्ञानिक प्रभाव शामिल हैं – (क) नींद पैटर्न में परिवर्तन, (ख) मन और व्यक्तित्व में परिवर्तन (ग) अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक रोगों की स्थिति, (घ) ऐसे छोटा ध्यान अवधि और समन्वय के साथ समस्याओं के रूप में संज्ञानात्मक प्रभाव। शराब के अन्य ज्ञात मनोवैज्ञानिक प्रभाव चिंता. आतंक विकार, मतिभ्रम, भ्रम और मानसिक विकारों में शामिल हैं। बहुत ज्यादा पीने अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, आपके शरीर की बीमारी के लिए एक बहुत आसान लक्ष्य बना रही है। शोध से पता चलता है कि लंबे समय तक शराब के अत्यधिक सेवन के प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार का कारण बनता है।
Q.80. गरीबी तथा वंचना में अंतर करें।
Ans ⇒ वंचन तथा गरीबी के बीच एक अंतर है कि वंचन उस दशा को संदर्भित करता है जिसमें व्यक्ति अनुभव करता है कि उसकी कोई मूल्यवान वस्तु खो गई है तथा उसे वह प्राप्त नहीं हो रही है जिसके वह योग्य था। दूसरी ओर निर्धनता का अर्थ ऐसे संसाधनों की वास्तविक कमी है जो जीविका के लिए आवश्यक है। वंचन में अधिक महत्वपूर्ण यह होता है कि व्यक्ति ऐसा प्रत्यक्षण करता है या सोचता है कि जो भी कुछ उसके पास है वह उससे बहुत कम है जो उसको उपलब्ध होना चाहिए। निर्धन व्यक्तियों की दशा और भी बुरी हो जाती है यदि वे निर्धनता के साथ वंचन का भी अनुभव करते हैं।
निर्धनता तथा वंचन दोनों का ही संबंध सामाजिक असुविधा से है अर्थात् वह स्थिति जिसके कारण समाज के कुछ वर्गों को उन सुविधाओं का उपयोग नहीं करने दिया जाता है जो समाज के शेष वर्गों के व्यक्ति करते हैं।
Q.81. सामान्य कौशल तथा विशिष्ट कौशल में क्या अंतर है ?
Ans ⇒ सामान्य कौशल मूलत: सामान्य स्वरूप के होते हैं। जिसकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिकों को होती है चाहे वे किसी भी क्षेत्र के विशेष क्यों नहीं। खासकर सभी प्रकार के व्यवसायी मनोवैज्ञानिक जैसे-नैदानिक, स्वास्थ्य मनोविज्ञान, औद्योगिक, सामाजिक, पर्यावरणीय सलाहकार की भूमिका में रहने वालों के लिए यह कौशल आवश्यक है।
विशिष्ट कौशल मनोविज्ञान के किसी क्षेत्र में विशेषता से है जैसे-नैदानिक स्थितियों में कार्य करने वाले मनोवैज्ञानिकों के लिए यह आवश्यक है कि वह चिकित्सापरक तकनीकों, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन एवं परामर्श में प्रशिक्षण प्राप्त करें।
Q.82. बुद्धि और अभिक्षमता में भेद स्पष्ट कीजिए।
Ans ⇒ बुद्धि और अभिक्षमता में निम्नलिखित भेद है –
(i) बद्धि- बुद्धि का आशय पर्यावरण को समझने, सविवेक चिंतन कस्ने तथा किसी चनौती के सामने होने पर उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की व्यापक क्षमता से है। बुद्धि परीक्षणों से व्यक्ति की व्यापक सामान्य संज्ञानात्मक सक्षमता तथा विद्यालयीय शिक्षा से लाभ उठाने की योग्यता का ज्ञान होता है। सामान्यतया कम बुद्धि रखने वाले विद्यार्थी विद्यालय की परीक्षाओं में उतना अच्छा निष्पादन करने की संभावना नहीं रखते परन्तु जीवन के अन्य क्षेत्रों में उनकी सफलता की प्राप्ति का संबंध मात्र बुद्धि परीक्षणों पर उनके प्राप्तांकों से नहीं होता।
(ii) अभिक्षमता – अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की कौशलों के अर्जन के लिए अंतर्निहित संभाव्यता से है। अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग यह पूर्वकथन करने में किया जाता है कि व्यक्ति उपयुक्त पर्यावरण और प्रशिक्षण प्रदान करने पर कैसा निष्पादन कर सकेगा। एक उच्च यांत्रिक अभिक्षमता वाला व्यक्ति उपयुक्त प्रशिक्षण का अधिक लाभ उठाकर एक अभियंता के रूप में अच्छा कार्य कर सकता है। इसी प्रकार भाषा की उच्च अभिक्षमता वाले एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर एक अच्छा लेखक बनाया जा सकता है।
Q.83. आत्मसिद्धि से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒आत्मसिद्धि का अर्थ अपने संदर्भ में व्यक्ति के अनुभवों, विचारों, चिंतन एवं भावनाओं की समग्रता से है। व्यक्ति के यही अनुभव एवं विचार व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर व्यक्ति के अस्तित्व को परिभाषित करते हैं।
Q.84. सांवेगिक बुद्धि को परिभाषित करें। इसके प्रमुख तत्वों का वर्णन करें।
Ans ⇒ संवेगात्मक बुद्धि को संवेगात्मक क्षेत्र में समायोजन कहा जा सकता है. जो जीवन में सफलता पाने में बहुत अधिक सहायक होता है। संवेगात्मक बुद्धि का संबंध वास्तव में व्यक्ति के कुछ ऐसे शीलगुणों से होता है जो संवेग की अवस्था में अभियोजन में सहायक होते हैं। इसके माध्यम से उसे अपने संवेगों की पहचान होती है तथा दूसरों के संवेगों को सही ढंग से समझते हुए सही ढंग से अभियोजन का प्रयास करता है। इसके माध्यम से वह लोगों के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करता है।
संवेगात्मक बुद्धि (E.Q.) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सैलोवी तथा मायर (Salovey and Mayer) ने 1990 में किया था। उन्होंने इसके पाँच प्रमुख तत्त्वों की चर्चा की है, जिसका विवरण निम्नलिखित है –
1. अपने संवेगों को पहचानना
2. अपने संवेगों को प्रबंधन करना
3. अपने आप को अभिप्रेरित करना
4. दूसरों के संवेगों की पहचान करना
5. अन्तर्वैयक्तिक संबंधों को संतुलित करना।
Q.85. व्यक्तित्व को परिभाषित करें।
Ans ⇒ व्यक्तित्व का तात्पर्य सामान्यतया व्यक्ति के शारीरिक एवं बाह्य रूप से होता है। मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है। लोग सरलता से इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि वे किस तरीके के विभिन्न स्थितियों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। कुछ सूचक शब्दों (जैसे-शर्मीला, संवेदनशील, शांत, गंभीर, स्फूर्त आदि) का उपयोग प्रायः व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये शब्द व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों को इंगित करते हैं। इस अर्थ में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की विशिष्टता प्रदान करते हैं। व्यक्तित्व व्यक्तियों की उन विशेषताओं को भी कहते हैं जो अधिकांश परिस्थितियों में प्रकट होती हैं।
Q.86. सामूहिक अचेतन का अर्थ बताइए। अथवा, सामूहिक अचेतन से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ सामूहिक अचेतन कार्ल युग (carl Jung) द्वारा प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण संप्रत्यय है। सामूहिक अचेतन में पूरे मानव जाति की अनुभूतियाँ जो हमलोगों में से प्रत्येक को अपने पूर्वजों से प्राप्त होता है, संचित होती है। ऐसी अनुभूतियाँ आदिरूप (arche types) के रूप में संचित होती है। सूर्य को देवता मानकर पूजा करने का विचार हमें अपने पूर्वजों से ही प्राप्त हुआ है जो सामूहिक अचेतन का एक उदाहरण है।
Q.87.तनाव स्वास्थ्य को किस ढंग से प्रभावित करता है ?
Ans ⇒ वे व्यक्ति जो तनावग्रस्त होते हैं प्रायः आकस्मिक मन:स्थिति परिवर्तन का अनुभव करते हैं तथा सनकी की तरह व्यवहार करते हैं, जिसके कारण वे परिवार तथा मित्रों से विमुख हो जाते हैं। तनाव का प्रभाव हमारे व्यवहार पर कम पौष्टिक भोजन करने, उत्तेजित करने वाले पदार्थों, जैसे केफीन को अधिक सेवन एवं सिगरेट, मद्य तथा अन्य औषधियों; जैसे-उपशामकों इत्यादि के अत्यधिक सेवन करने में परिलक्षित होता है। उपशामक औषधियाँ व्यसन बन सकती हैं तथा उनके अन्य प्रभाव भी हो सकते हैं; जैसे-एकाग्रता में कठिनाई, समन्वय में कमी तथा घूर्णी या चक्कर आ जाना। तनाव के कुछ ठेठ या प्रारूपी व्यवहारात्मक प्रभाव, निद्रा-प्रतिरूपों में व्याघात, अनुपस्थिता में व्याघात, अनुपस्थिता में वृद्धि तथा कार्य निष्पादन में ह्रास हैं।
Q.88. द्वन्द्व एवं कुंठा का प्रतिबल के स्रोत के रूप में वर्णन करें।
Ans ⇒ द्वन्द्व- द्वन्द्व एक ऐसा प्रक्रम है जिसमें एक व्यक्ति या समूह यह प्रत्यक्षण करते हैं कि दूसरे उनके विरोधी हितों को रखते हैं और दोनों पक्ष एक-दूसरे का खंडन करने का प्रयास करते रहते हैं। द्वन्द्व सभी समाज में घटित होते हैं।
कंठा- जब व्यक्ति अपने लक्ष्य पर नहीं पहुँचता है तो इससे उसमें कुंठा उत्पन्न होता है और इस कुंठा से वह बाधक स्रोत के प्रति आक्रामकता दिखलाता है परंतु जब बाधक स्रोत व्यक्ति से अधिक सबल एवं मजबूत होता है तो वह अपनी आक्रामकता तथा वैर-भाव एक कमजोर स्रोत की ओर विस्थापित कर देता है तथा तरह-तरह के पूर्वाग्रहित व्यवहार करने लगता है।
Q.89.लोगो चिकित्सा की विशेषताओं का वर्णन करें।
Ans ⇒ लोगो चिकित्सा जिंदगी पर आधारित चिकित्सा है। व्यक्ति द्वारा दबाव ग्रस्त परिस्थितियों में भी अर्थ ढूँढ़ने की सार्थकता पर बल डाला जाता है। इस प्रक्रिया का अर्थ निर्माण कहा जाता है। इस अर्थ निर्माण प्रक्रिया का आधार जीवन में आध्यात्मिक सच्चाई की खोज होती है। जिस तरह से व्यक्ति का अचेतन मूल प्रवृत्तियों का भंडार होता है, ठीक उसी तरह से व्यक्ति में एक आध्यात्मिक अचेतन होता है जिसमें जिंदगी का मूल्य, स्नेह तथा सौंदर्यात्मक अभिज्ञता आदि संचित होते हैं। जब व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक शारीरिक या आध्यात्मिक पक्षों से उसके जीवन की समस्याएँ जुड़ती है, तो उससे तंत्रिकातापी दुश्चिता की उत्पत्ति होती है।
Q.90. आदिरूप तथा रूढिकति में अंतर करें।
Ans ⇒ आदि रूप – आदि रूप एक ऐसा अमूर्तिकरण होता है जिसके द्वारा समूह या वर्ग विशेष उदाहरण का प्रतिनिधित्व होता है। आदि रूप की अभिव्यक्ति गुणों के रूप में होती है। जैसे एक प्रोफेसर का आदि रूप एक ऐसा व्यक्ति के रूप में होता है जो छात्रों को पढ़ाता है।
रूढिकति – रूढिकृति से तात्पर्य किसी वर्ग या समुदाय के लोगों के बारे में पूर्व स्थापित सामान्य प्रत्याशाओं तथा सामान्यीकरण से होता है। जैसे-हिन्दू समाज में एक महत्वपूर्ण रूढ़ियुक्त है कि गाय उनकी माता है, परंतु मुस्लिम समुदाय में इस तरह की रूढ़ियुक्ति नहीं पायी जाती है।
Q.91. अनुरूपता तथा अनुपालन में अंतर करें।
Ans ⇒ अनरूपता (Conformity) – अनुरूपता व्यक्ति अपने व्यक्तिगत विचार एवं मतों का त्याग करके समूह दबाव के सामने झुक जाता है। समूह दबाव में समूह के मानक (Norms), मूल्यों (values) रीति-रिवाजों द्वारा व्यक्ति पर दबाव दिया जाता है। जैसे-एक 20 वर्षीय युवती विधवा हो जाने के बाद यदि सामाजिक मानकों एवं परंपराओं के दबाव के अनुरूप फिर दोबारा शादी नहीं करने का निश्चय करती है, तो वह अनुरूपता का उदाहरण होगा।
अनुपालन (Compliance) – जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के अनुरोध या निवेदन के अनुरूप व्यवहार करता है तो इसे अनुपालन(Compliance) कहा जाता है। अनुपालन के अनेक उदाहरण हमारे समाज में मिलते हैं। जैसे-शिक्षक छात्र को कक्षा में भाषण समाप्त होने पर मिलने अनुरोध करते हैं, नेता जनता से उन्हें वोट देने का अनुरोध करते हैं, पिता पुत्र को पढ़ने का अनुरोध करते हैं, आदि-आदि।
Q.92. अंतरावैयक्तिक संचार तथा अंतरवैयक्तिक संचार में अंतर करें।
Ans ⇒ अंतरावैयक्तिक संचार – अंतरावैयक्तिक संचार, संचार का वैसा स्तर होता है जिसमें व्यक्ति अपने-आप से बातचीत करता है। दूसरे शब्दों में संप्रेषक तथा प्रमापक दोनों ही स्वयं व्यक्ति होता है। इसके अंतर्गत चिंतन प्रक्रियाएँ, वैयक्तिक निर्णय प्रक्रिया तथा स्व के बारे में सोचना आदि सम्मिलित होता है।
अंतरवैयक्तिक संचार – अंतरवैयक्तिक संचार संप्रेषण का वैसा स्तर होता है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संप्रेषण होता है या उनके बीच एक संप्रेषणीय संबंध स्थापित किया जाता है। आमने-सामने का संप्रेषण, साक्षात्कार सामूहिक चर्चा अंतरवैयक्तिक संचार के उदाहरण हैं।
Q.93. बुद्धि परीक्षण की उपयोगिताओं का वर्णन करें।
Ans ⇒ बुद्धि परीक्षण द्वारा बुद्धि की माप की जाती है। इसका प्रमुख उपयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता है –
(i) शिक्षा के क्षेत्र में – बुद्धि परीक्षण का उपयोग शिक्षण संस्थाओं में अधिक होता है। इस परीक्षण से शिक्षक पता लगा लेते हैं कि वर्ग में कितने तेज बुद्धि के, कितने औसत बुद्धि के और कितने छात्र मंद बुद्धि के छात्र हैं, जिससे पाठ्य सामग्री तैयार करने में आसानी होती है।
(ii) बाल निर्देशन में – बुद्धि परीक्षण द्वारा बच्चों की बुद्धि मापकर उसी के अनुरूप उन्हें मार्ग निर्देशित किया जाता है। अधिक बुद्धि के बच्चों के साथ कम बुद्धि वाले बच्चे सही ढंग से समायोजन नहीं कर पाते हैं और वे मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं।
(iii) मानसिक दुर्बलता की पहचान में – मानसिक रूप से दुर्बल बच्चे समाज या राष्ट्र पर बोझ होते हैं। बुद्धि परीक्षण द्वारा ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर ली जाती है।
(iv) व्यावसायिक निर्देशन में – बुद्धि परीक्षण द्वारा बुद्धि मापकर बच्चों एवं किशोरों की बुद्धि के अनुकूल व्यवसाय में जाने का निर्देश दिया जाता है। तब उसमें मानसिक संतोष अधिक होता है। कार्य में सफलता मिलती है।
Q.94. प्राकृतिक पर्यावरण तथा निर्मित पर्यावरण में अंतर करें।
Ans ⇒ प्राकृतिक पर्यावरण – प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत नदियाँ, पहाड़, वन आदि क्षेत्र आते हैं। जिसे प्रकृति ने हमें उपहारस्वरूप मुफ्त में प्रदान किया है।
निर्मित पर्यावरण – मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए नगर, आवास, बाजार, सड़क, कारखाना, बाँध, पार्क आदि का निर्माण किया है जिसे निर्मित पर्यावरण कहते हैं।
Q.95. तादात्म्य से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ किसी अन्य व्यक्ति को अधिक पसंद करने या सम्मान देने के फलस्वरूप अपने आप को उस व्यक्ति के समान समझनातादात्य कहलाता है। तादात्मीकरण में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या समूह के व्यवहारों को किसी बाहर दबाव या डर से नहीं बल्कि उसे अपने व्यक्तित्व का ही एक अंश मानकर स्वेच्छा से स्वीकार कर लेता है। एक रोगी डॉक्टर के साथ तादात्मीकरण कर वैसा ही व्यवहार करता है जैसा डॉक्टर उसे करने के लिए कहता है।
Q.96. अंतरसमूह प्रतिस्पर्धा से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ अंतर समूह प्रतिस्पर्धा एक महान समाज मनोवैज्ञानिक शेरिफ के प्रयोग का तीसरी अवस्था है जिसमें प्रतियोगिता के दोनों समूह को कुछ ऐसी परिस्थितियों में रखा गया जहाँ वे एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। जैसे-खेल-कूद में दोनों समूह को एक-दूसरे के विरोध में रखा गया। प्रतिस्पर्धा में से दोनों समूहों में एक-दूसरे के प्रति काफी तनाव (tension) तथा विद्वेष (hostility उत्पन्न हो गई। यहाँ तक कि एक समूह के सदस्य दूसरे सदस्य को गाली भी देने लगे थे।
Q.97. उत्तरदायित्व के बिखराव से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ उत्तरदायित्व का बिखराव – जब व्यक्ति अकेले रहता है तो उसमें परोपकारिता का भाव । अधिक देखा जाता है और उसमें जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता करने की प्रवृत्ति एवं संभावना अधि क रहती है। परंतु इसके विपरीत जब एक से ज्यादा व्यक्ति रहते हैं तो उपरोक्त व्यवहार व्यक्ति में बहत कम देखा जाता है। हर व्यक्ति यह सोचता है कि यह काम करना सिर्फ मेरी नहीं वरन् साझे की जिम्मेवारी है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि सभी का दायित्व समान मात्रा में होता है किसी अकेले का नहीं होता है। इस परिस्थिति में उत्तरदायित्व का बिखराव देखने को मिलता है।
Q. 98. साक्षात्कार की अवस्थाएँ क्या हैं ?
Ans ⇒ साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है, जिसका विवरण निम्नलिखित है –
(i) प्रारंभिक अवस्था – यह साक्षात्कार की सबसे पहली अवस्था है। वास्तव में साक्षात्कार की सफलता उसकी प्रारंभिक तैयारी पर ही निर्भर होती है। यदि इस अवस्था में गलतियाँ होगी तो साक्षात्कार का सफल होना संभव नहीं है।
(ii) प्रश्नोत्तर की अवस्था – साक्षात्कार की यह सबसे लंबी अवस्था है। इस अवस्था में साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कारदाता से प्रश्न पूछता है और साक्षात्कारदाता उसके प्रश्नों को सावधानीपूर्वक सुनता है और कुछ रूककर उसे समझता है, उसके बाद उत्तर देता है। उसके उत्तर देते समय साक्षात्कारकर्ता उसके हाव-भाव, मुखाकृति का भी अध्ययन करता है।
(iii) समापन की अवस्था – साक्षात्कार का यह सबसे अंतिम चरण है। जब साक्षात्कारकर्ता को सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाय और ऐसा अनुभव हो कि उसे महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है तो साक्षात्कार का समापन किया जाता है। इस अवस्था में साक्षात्कारदाता के मन में बननेवाली प्रतिकूल अवधारणा का निराकरण करना चाहिए। साक्षात्कारदाता भी जब यह कहता है कि और कुछ पूछना है तो उसे प्रसन्नतापूर्वक समापन की सूचना देनी चाहिए तथा सफल साक्षात्कार के लिए उसे धन्यवाद भी देना चाहिए।
Q. 99. हरितगह के प्रभावों का वर्णन संक्षेप में करें।
Ans ⇒ जलवायु में होने वाले ऐसे परिवर्तन को ही ‘हरित गृह प्रभाव’ (Green house effect) कहते हैं। हरित गृह में एक शीशे की छत होती है। जो सूर्य के प्रकाश को अंदर आने देती है। जबकि गर्म हवा को अंदर आने से रोकती है। इसी तरह वायुमंडल से निकलने वाली तीन गैसें-कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन तथा नाइट्रस ऑक्साइड सूर्य की गर्मी को अपनी
ओर खींचती हैं तथा संपूर्ण पृथ्वी को एक विस्तृत हरित गृह में तब्दील कर देती हैं। इन गैसों के स्तर में वृद्धि का सिलसिला 18वीं सदी से प्रारंभ होकर अभी तक अनवरत जारी है। वृद्धि की यह रफ्तार’ यदि इसी ढंग से जारी रही, तो अनुमान है कि वर्ष 2100 तक (यानी आने वाले 92 वर्षों तक) पृथ्वी तल पर वायु का तापमान 3.5 डिग्री फारेनहाइट से काफी बढ़ जाएगा। केवल एक या दो डिग्री की बढ़ोत्तरी पर वायुमंडल में परिवर्तन हो सकता है तथा पूरे विश्व की कृषि बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। इसके कारण ध्रुवीय बर्फ के पहाड़ पिघल सकते हैं और समुद्र तल के जलस्तर में वृद्धि हो सकती है। फलस्वरूप तटवर्ती इलाके में बाढ़ आ सकती है।
Q.100. समूह के कार्यों का वर्णन करें।
Ans ⇒ समूह के निम्नलिखित कार्य है –
(i) समूह सदस्यों के आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। कुछ समूह प्राथमिक आवश्यकताओं (जैसे-भूख, प्यास, आवास, वस्त्र) की पूर्ति करते हैं तो कुछ गौण आवश्यकताओं की।
(ii) समूह अपने नेता के आधिपत्य की भावना की पूर्ति करता है। सदस्य नेता को पितातुल्य मानते हैं और उसे प्रतिष्ठा से सम्मानित करते हैं।
(iii) समूह अपने लिए आवश्यकताओं का सृजन करता है। इन नई आवश्यकताओं के सृजन से सदस्यों का संबंध समूह के साथ कायम रहता है।
(iv) समूह सदस्यों में भाईचारे और अपनापन का कार्य करता है। सदस्य अपने को समूह का अंग मानता है और समूह के साथ तादात्म्य स्थापित करता है।
(v) समूह का कार्य सदस्यों के लिए जीवन-मूल्य निर्धारित करना है।
(vi) समूह लक्ष्य निर्धारित करता है। सामाजीकरण में योगदान देता है। सांस्कृतिक निरंतरता को कायम रखता है। आदर्श का कार्य करता है तथा सदस्यों के बीच सुरक्षा एवं विश्वास की भावना पैदा करता है।