Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5
Q.101. अंग्रेजों ने मद्रास (चेन्नई) के आस-पास अपना प्रभाव कब और कैसे स्थापित किया ?
Ans ⇒ अंग्रेजों ने दक्षिण में अपनी फैक्ट्री मसुलीपट्टनम में 1611 में स्थापित की। पर जल्द ही उनकी गतिविधियों का केन्द्र मद्रास (चेन्नई) हो गया जिसका पट्टी 1639 में वहाँ के स्थानीय राजा ने उन्हें दे दिया था। राजा ने उनको उस जगह की किलेबंदी करने, उसका प्रशासन चलाने और सिक्के ढालने की अनुमति इस शर्त पर दी कि बंदरगाह से प्राप्त चुंगी का आधा भाग राजा को दिया जाएगा। यहाँ अंग्रेजों ने अपनी फैक्ट्री के इर्द-गिर्द एक छोटा-सा किला बनाया जिसका नाम फोर्ट सेंट जार्ज पड़ा।
Q.102. भारत में युरोपीय उपनिवेशों की स्थापना के क्या कारण थे ?
Ans ⇒ यूरोपीय देशों ने निम्नलिखित कारणों से भारत में उपनिवेशों की स्थापना की –
(i) कच्चे माल की प्राप्ति
(ii) निर्मित माल की खपत
(iii) इसाई धर्म का प्रचार तथा
(iv) समृद्धि की लालसा
कुल मिलाकर यूरोपियन अपने उद्योगों के लिये आवश्यक कच्चे माल एवं इन कच्चे मालों से तैयार सामानों के बाजार की तालाश में ही भारत की ओर आये और इसके माध्यम से उनका उद्देश्य था-अपनी समृद्धि।
Q.103. 1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों का संक्षिप्त उल्लेख करें।
Ans ⇒ 1857 के विदोह की असफलता के कारण (Causes of the Failure of the Revolt of 1857) –1857 के विद्रोह में भारतीय जनता ने जी-तोड़ संघर्ष कर अंग्रेजों का सामना किया, किन्तु कछ कारणों से इस विद्रोह में भारतवासियों को असफलता मिली। इस असफलता के निम्न कारण थे –
1. यह विद्रोह निश्चित तिथि से पहले आरम्भ हो गया। इसकी तिथि 31 मई थी, किंतु यह 10 मई, 1857 को शुरू हो गया।
2. यह स्वतंत्रता संग्राम सारे भारत में फैल गया, परिवहन तथा संचार के अभाव में इस पर पूर्ण नियंत्रण न रख सके।
3. भारतवासियों के पास अंग्रेजों के मुकाबले हथियारों का अभाव था।
4. भारत में कुछ वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय भाग नहीं लिया।
5. भारत में अंग्रेजों के समान कुशल सेनापतियों का अभाव था।
6. अंग्रेजों को ब्रिटेन से यथासमय सहायता प्राप्त होती गई।
7. क्रांतिकारियों में किसी एक योजना एवं निश्चित उद्देश्यों की कमी थी।
Q.104. ब्रिटिश चित्रकारों ने 1857 के विद्रोह को किस रूप में देखा ?
Ans ⇒ ब्रिटिश पत्र-पत्रिकाओं, अखबारों, कार्टूनों में 1857 के विद्रोह के दो बिन्दओं पर कर दिया गया-हिन्दुस्तानी सिपाहियों की बर्बरता और ब्रिटिश सत्ता की अजेयता का प्रदर्शन। टॉमस जोन्स वर्कर के 1859 के रिलीज ऑफ लखनऊ इन मेमोरियम, न्याय जैसे चित्रों के माध्यम से ब्रिटिश प्रतिरोध की भावना और उनकी अजेयता के भाव ही प्रदर्शित होते हैं।
Q.105. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था ?
Ans ⇒ 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण कारतूसों में लगी सूअर और गाय की चर्बी थी। नयी स्वफील्ड बंदूकों में गोली भरने से पूर्व कारतूस को दाँत से छीलना पड़ता था। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही गाय और सूअर की चर्बी को अपने-अपने धर्म के विरुद्ध समझते थे। अतः उनका भड़कना स्वाभाविक था। 26 फरवरी, 1857 ई. को बहरामपुर में 19वीं नेटिव एनफैण्ट्री ने नये कारतूस प्रयोग करने से मना कर दिया। 19 मार्च, 1857 ई. को चौंतीसवीं नेटिव एनफैण्ट्री के सिपाही मंगल पाण्डेय ने दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला। बाद में उसे पकड़कर फाँसी दे दी गई। सिपाहियों का निर्णायक विद्रोह 10 मई, 1857 को मेरठ में शुरू हुआ।
Q.106. 1857 के विद्रोह के मुख्य कारण क्या थे ?
Ans ⇒ 1857 के सिपाही विद्रोह के महत्त्वपूर्ण प्रमुख कारण निम्नांकित थे
(i) सामाजिक कारण (Social causes) – अंग्रेजों ने अनेक भारतीय सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए कानून बनाया। उन्होंने सती प्रथा को कानूनी अपराध घोषित कर दिया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह करने की कानूनी अनुमति दे दी। स्त्रियों को शिक्षित किया जाने लगा। रेलवे तथा यातायात के अन्य साधनों को बढ़ावा दिया गया। रूढ़िवादी लोग इन सब कामों को संदेह से देखते थे। उन्हें भय हुआ कि अंग्रेज हमारे समाज को तोड़-मरोड़ कर हमारी सारी सामाजिक मान्यताओं को समाप्त कर देना चाहते हैं।
(ii) धार्मिक कारण (Religious causes) – ईसाई धर्म प्रचारक धर्म परिवर्तन करा देते थे। अंग्रेजों ने मंदिरों और मस्जिदों की भूमि पर कर लगा दिया। अतः पंडितों और मौलवियों ने रुष्ट होकर जनता में अंग्रेजों के विरुद्ध जागृति फैला दी।
(iii) सैनिक कारण (Military causes) – भारतीय एवं यूरोपियन सैनिकों में पद, वेतन पदोन्नति आदि को लेकर भेदभाव किया जाता था। भारतीय सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था और उन्हें कम महत्त्व दिया जाता था। सामूहिक रसोई होने के कारण भी उच्च वर्ग के (ब्राह्मण और ठाकुर) लोग निम्न वर्ग के लोगों के साथ खाने से प्रसन्न न थे।
(iv) तात्कालिक कारण (Immediate causes) – तात्कालिक कारण कारतूसों में लगा सूअर और गाय की चर्बी थी। नयी स्वफील्ड बंदूकों में गोली भरने से पूर्व कारतूस को दाँत से छालना पडता था। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही गाय और सूअर की चर्बी को अपने-अपने धर्म के विरु समझते थे। अतः उनका भड़कना स्वाभाविक था।
Q. 107. लक्ष्मीबाई कौन थी ? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans ⇒ वह झांसी (उत्तर प्रदेश) की रानी थीं। अपनी सन्तान न होने पर उसने एक बच्चे को दत्तक पुत्र के रूप में गोद ले लिया था तथा झाँसी का उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन अंग्रेजों ने उसके उत्तराधिकार की घोषणा के अधिकार को मान्यता नहीं दी थी। इसी कारण वह 1857 क विद्राह क दिनी में अंग्रेजी सेनाओं से जझ पडी। उसने नाना साहिब के विश्वसनीय सेनापति तात्या टोपे और अफगान सरदारों की मदद से ग्वालियर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। अन्त में कालपी के स्थान पर वह अंग्रेजों से संघर्ष करती हई वीरगति को प्राप्त हुई। उसका वार” सभी के लिए प्रेरणा मानी जाती है।
Q.108. तात्या टोपे कौन था ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans ⇒ तात्या टोपे नाना साहिब की सेना का एक कुशल, अत्यधिक साहसी, परमवीर एवं विश्वसनीय सेनापति था। उसने 1857 के विद्रोह में कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध कुशलता से गुरिल्ला नीति अपनाते हुए अंग्रेजी सेना की नाक में दम कर दिया था। उसने अंग्रेज जनरल बिन्द्रहम का बुरी तरह परास्त किया तथा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का पूर्ण निष्ठा से सहयोग दिया। कालान्तर में सर कोलिन कैम्पवेल ने उसे हराया तथा 1858 में अंग्रेजों ने तात्या टोपे को फांसी की सजा
दे दी।
Q. 109. नाना साहिब कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans ⇒ नाना साहिब अन्तिम मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय का दत्तक पुत्र था। 1857 के विद्रोहियों ने उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध कानपुर में विप्लव छेड़ने के लिए उकसाया था। जब कानपुर के सिपाहियों और शहर के लोगों ने नाना साहिब के समक्ष बगावत की बागडोर सँभालने की प्रार्थना की तो ऐसा करने के अतिरिक्त उनके समक्ष कोई भी विकल्प नहीं था। सन् 1851 से ही (जब पेशवा बाजीराव द्वितीय की मृत्यु हो गई थी) अंग्रेजों ने नाना साहिब को न तो पेशवा माना और न ही उन्हें पेंशन दी। लम्बे संघर्ष के बाद जब अंग्रेजों ने कानपुर पर अधिकार कर लिया तो नाना साहिब ने अंग्रेज सेनापति नील तथा हैवलॉक को तात्या टोपे की मदद से पराजित कर कानपुर के किले पर पुनः अधिकार कर लिया। दिसम्बर 1857 में नई सेना के आने के बाद सर कोलिन कैम्पवेल ने पुनः नाना साहिब को पराजित किया। नाना साहिब अंग्रेजों के हाथों नहीं आये। वे नेपाल भागकर पहुँचने में कामयाब रहे। उनके प्रशंसक उनकी इस कूटनीति को उनके साहस एवं बहादुरी की ही हिस्सा मानते हैं।
Q.110. मंगल पांडे कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans ⇒ मंगल पांडे (Mangal Pandey) भारतीय इतिहास में प्रायः मंगल पांडे को 1857 के विद्रोह का प्रथम जनक, महान देशभक्त तथा क्रांतिकारी माना जाता है। वे बैरकपुर (बंगाल) की 34वीं (सैन्य) बटालियन का एक साधारण सिपाही ही थे। उन्होंने अपनी छावनी में चर्बी वाले कारतूस की बात पहुँचाई तथा अंग्रेज अधिकारियों के धर्म विरोधी आदेश की अवहेलना की। सारजेन्ट मेजर हगसन के आदेशानुसार जब किसी भी भारतीय सैनिक ने पांडे को कैद नहीं किया तो उन्होंने हगसन तथा लैफ्टिनेंट बाम को उसके घोड़े सहित ढेर कर दिया। कालान्तर में उन्हें कैद कर लिया गया तथा 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई। उनकी वीरता एवं कुर्बानी ने कालान्तर में मेरठ सैनिक छावनी के विप्लव की भूमिका तैयार की।
Q.111. शैलावासों की स्थापना के प्रमुख कारण क्या थे ? अथवा, ब्रिटिश शासकों के लिए हिल स्टेशन क्यों महत्वपूर्ण थे ?
Ans ⇒ शैलावास को अंग्रेजी में ‘हिल स्टेशन’ कहा जाता है। शैलावासों की स्थापना प्रमुखतः स्वास्थ्यवर्द्धक स्थलों के रूप में की गई है। भारत के प्रायः सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में हिल स्टेशन स्थापित हैं। अनेक व्यक्ति पर्यटन एवं स्वास्थ्य लाभ हेतु इन स्थलों पर जाते हैं। इनकी स्थापना का एक कारण पर्यटनों के आकर्षण का केन्द्र स्थापित करना भी था। राजस्थान में माउण्ट आबू, दक्षिण में ऊटी, उत्तर में मसूरी, मध्य प्रदेश में पंचमढ़ी का विकास हिल स्टेशन के रूप में हुआ है। हमारे देश के सात उत्तर-पूर्वी राज्य तो प्रमुखतः हिल स्टेशन के लिए ही जाने जाते है ।अंग्रेज गर्म जलवायु के ‘आदी नहीं थे अतः उन्होंने अपनी सुविधा हेतु भी हिल स्टेशन स्थापित किए।
Q.112. 1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों का संक्षिप्त उल्लेख करें –
Ans ⇒ 1857 के विद्रोह को असफलता के कारण (Causes ofthe Failure of 1857-1857 के विद्रोह में भारतीय जनता ने जी-तोड़ संघर्ष कर अंग्रेजों का सामना किया पण कुछ कारणों से इस विद्रोह में भारतवासियों को असफलता मिली। इस असफलता के निम्न की थे-
1. यह विद्रोह निश्चित तिथि से पहले आरम्भ हो गया। इसकी तिथि 31 मई निर्धारित की थी, किंतु यह 10 मई, 1857 को शुरू हो गया।
2. यह स्वतंत्रता संग्राम सारे भारत में फैल गया, परिवहन तथा संचार के अभाव में भारतवारी इस पर पूर्ण नियंत्रण न रख सके।
3. भारतवासियों के पास अंग्रेजों के मुकाबले हथियारों का अभाव था।
4. भारत में कुछ वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय भाग नहीं लिया।
5. भारत में अंग्रेजों के समान कुशल सेनापतियों का अभाव था।
6. अंग्रेजों को ब्रिटेन से यथासमय सहायता प्राप्त होती गई।
7. क्रांतिकारियों में किसी एक योजना एवं निश्चित उद्देश्यों की कमी थी।
Q. 113. संविधान निर्माताओं की प्रमुख समस्याएँ क्या थी ?
Ans ⇒ भारत जैसे विशाल देश के लिए जहाँ जीवन के हर पक्ष में विविधता पाई जाती हैं, संविधान बनाना कोई सरल कार्य नहीं रहा होगा। संविधान निर्माताओं की मुख्य समस्याएँ इस प्रकार थीं –
(i) पहली समस्या थी भारत की अखंडता को बनाये रखना।
(ii) दूसरी प्रमुख समस्या थी देशी रियासतों की। लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने प्रस्ताव में देशी रियासतों को भारतीय संघ में सम्मिलित होने अथवा नहीं होने की छूट दे रखी थी। ऐसी स्थिति में भारतीय संघ में उन्हें सम्मिलित करना एक कठिन कार्य था।
(iii) भारत की सांस्कृतिक विविधता भी एक अन्य प्रमुख समस्या थी। एक संविधान में सभी जातियों, जनजातियों, विभिन्न भाषा-भाषियों के लिए स्थान बनाना सरल कार्य नहीं था। आदिवासियों को मुख्य धारा से जोड़कर रखना भी एक प्रमुख समस्या थी।
(iv) अंग्रेजी शासनकाल शोषण एवं उत्पीड़न का काल था। अतः स्वतंत्रता के साथ आम भारतीयों की बची हुई आशाएँ जुड़ी हुई थीं। इन सभी आशाओं को पूरा करना तथा एक नए भारत का निर्माण करना भी एक प्रमुख समस्या थी।
Q.114. क्या भारत विभाजन को रोका जा सकता था ?
Ans ⇒ 1947 में भारत को खण्डित आजादी मिली थी। आजादी के साथ ही भारत का विभाजन भी हो गया तथा एक ब्रिटिश उपनिवेश को भारत और पाकिस्तान के रूप में दो देशों में बाँट दिया गया।
स्वतंत्रता के बाद भी यह चर्चा का विषय बना रहा कि क्या इस विभाजन को रोका जा सकता था किन्तु तत्कालीन कारकों की विवेचना से यही लगता है कि विभाजन अवश्यम्भावी था ।
(i) अंग्रेजों की नीति थी-फूट डालो, शासन करो। इसके आधार पर उन्होंने सबसे पहले हिन्दू-मुस्लिम एकता पर प्रहार किया।
(ii) दोनों ही दलों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने भी विभाजन को अनिवार्य बना दिया।
(iii) लॉर्ड माउंटबेटन ने स्वतंत्रता को विभाजन के उस पार खड़ा कर दिया। अंतत: काँग्रेस विभाजन के लिए तैयार हो गई।
(iv) काँग्रेस ने मुस्लिमों के साथ तुष्टिकरण की नीति अपनाई जिससे लीग की हठधर्मिता को बल मिला। उन्हें यकीन हो गया था कि यदि वे पाकिस्तान की मांग पर अड़े रहे तो उन्हें पाकिस्तान अवश्य ही मिलेगा।
Q.115. राष्ट्रवादियों तथा साम्प्रदायवादियों में मुख्य अन्तर क्या था ?
Ans ⇒ राष्ट्रवादी, भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखते थे जिसमें सभी धर्मों के लोग साथ-साथ सम्मानपूर्ण तरीके से रहते हैं। दूसरी ओर साम्प्रदायिकतावादी भारत को धर्म के आधार पर समूह के रूप में देखते थे। वे व्यक्तिगत हितों को राष्टीय हित की अपेक्षा अधिक महत्व देते थ। इस दृष्टिकोण को आधार बनाकर ही मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र की माँग की गई थी।
Q.116. अमरीको गृहयुद्ध और स्वेज नहर का प्रारम्भ होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
Ans ⇒ अमराका गृहयुद्ध का प्रारम्भ 1861 में हआ। तत्पश्चात अमरीका से कपास अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में आना बन्द हो गया। इससे,भारतीय कपास की माँग में वृद्धि होने लगी। कपास का उत्पादन मख्य रूप से दक्षिण भारत में होता. था। इस समय व्यापारियों तथा बिचौलियों को काफा लाभ हुआ। 1869 में स्वेज नहर का प्रारम्भ होने के साथ ही बम्बई शहर का महत्त्व अत्यधिक बढ़ गया। बम्बई के कपड़ा उद्योग में काफी पैसा लगा तथा यह भारत का सबसे अधिक व्यस्त शहर बन गया।
Q. 117.औद्योगिक शहर के रूप में ब्रिटिश काल में किन नगरों का उदय हआ ?
Ans ⇒ सहा मायनों में ब्रिटिश काल में केवल दो नगरों का औद्योगिक विकास हुआ। पहला नगर था कानपुर, जहाँ सूती कपड़े, ऊनी कपड़े और चमड़े की वस्तुओं का उत्पादन होता था। दूसरा नगर था-जमशेदपुर, जहाँ स्टील का उत्पादन होता था। इस काल में भारत में अन्य औद्योगिक नगरी का विकास इसलिए नहीं हुआ क्योंकि अंग्रेजों की नीति पक्षपातपूर्ण थी। वे एक औपनिवेशिक देश को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।
Q. 118. गाँधीजी 1917 में चम्पारण क्यों गये? वहाँ उन्होंने क्या किया? ..
Ans ⇒ 19वीं सदी के प्रारम्भ में गोरे बागान मालिकों ने किसानों से एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। इस ‘तिनकठिया’ पद्धति कहा जाता था। किसान इस अनुबंधं से मुक्त होना चाहते थे। 1917 में चम्पारण के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चम्पारण पहुँचे। गाँधीजी के प्रयासों से सरकार ने चम्पारण के किसानों की जाँच हेतु एक आयोग नियुक्त किया। अंत में गाँधीजी की विजय हुई।
Q.119. स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
Ans ⇒ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में इनका स्थान सर्वोच्च है। भारत की स्वाधीनता उन्हीं की भूमिका का फल है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक नये युग का निर्माण किया और जीवन के अंतिम क्षण तक देश सेवा तथा राष्ट्रीय आंदोलन का पथ-प्रदर्शन करते रहे। इसी कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता था। वे शांति के दूत थे। सत्य और अहिंसा उनके हथियार थे। उनका आंदोलन इसी पर आधारित था। वैसे तो 1914 ई. में उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया था लेकिन 1919 ई. में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित करना शुरू किया और अन्त तक राष्टीय आंदोलन के प्राण बने रहे। 1920 ई. से 1947 ई. तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर उन्हीं के हाथों में रही। इस अवधि में राष्ट्रीय संग्राम के सर्वोच्च नेता के रूप में भारतीय राजनीति का उन्होंने मार्ग दर्शन किया, उसने साधन दिये, उसको नया दर्शन दिया और उसे सक्रिय बनाया। इसी कारण इस अवधि को ‘गाँधी युग’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने असहयोग आन्दोलन करते हुए भारत को स्वतंत्रता दिलाई। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को जन-आंदोलन का रूप दिया।
Q.120. असहयोग आन्दोलन के कारणों पर प्रकाश डालें। –
Ans ⇒ गाँधीजी ने 1920 ई. में असहयोग आंदोलन आरम्भ किया। इसके निम्नलिखित कारण थे-
(i) रौलेट एक्ट – नेता प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 ई० में रॉलेट एक्ट पास किया गया। इसके द्वारा सरकार अकारण ही किसी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। इससे असंतुष्ट होकर महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन चलाया।
(ii) जालियाँवाला बाग की दुर्घटना – रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए अमृतसर में जालियाँवाला बाग के स्थान पर एक जनसभा बुलायी गई। जनरल डायर ने इस सभा में लोगों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलायीं। भयंकर हत्याकाण्ड हुआ महात्मा गाँधी ने इस हिंसा से दुःखी होकर असहयोग आंदोलन आरंभ कर दिया।
Q. 121. काँग्रेस में उग्रवादियों की भूमिका का परीक्षण करें।
Ans ⇒ उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम तथा बीसवीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में भारतीय कांग्रेस में एक नए एवं तरूण दल का उदय हुआ जो पुराने नेताओं के आदर्श तथा ढंगों का आलोचक था। उनका ध्येय था कि काँग्रेस का लक्ष्य स्वराज होना चाहिए। वे काँग्रेस के उदार नीतियों का विरोध करते थे।
1905 से 1919 का काल भारतीय इतिहास में उग्रवादी युग के नाम से जाना जाता है। उस युग के नेताओं में बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्रपाल, लाला लाजपत राय आदि प्रमाण थे। उग्रवादियों ने विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी माल अंगीकार करने पर बल दिया।
Q.122. संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का संक्षिप्त वर्णन करें।
Ans ⇒ संघ, सूची में वे विषय रखे जो राष्ट्रीय महत्त्व के हैं तथा जिनके बारे में देश भर में एक समान नीति होना आवश्यक है। जैसे-प्रतिरक्षा, विदेश नीति, डाक-तार व टेलीफोन, रेल मुद्रा, बीघा व विदेशी व्यापार इत्यादि। इस सूची में कुल 35 विषय है।
राज्य सूची में प्रादेशिक महत्त्व के विषय सम्मिलित किये गये थे जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया। राज्य सूची के प्रमुख विषय हैं-कृषि, पुलिस, जेल, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सिंचाई व मालगुजारी इत्यादि। इन विषयों की संख्या 66 थी।
समवती सूची में 47 विषय थे। इस सूची के विषयों पर केन्द्र तथा राज्यों दोनों कानून बना सकते हैं किंतु किसी विषय पर यदि संसद और राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध होता है तो संसद द्वारा बनाए गए कानून ही मान्य होंगे। इस सूची के प्रमुख विषय हैं-बिजली, विवाह कानून, मूल्य नियंत्रण, समाचार-पत्र, छापेखाने, दीवानी कानून, हिंसा, वन, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन आदि।
Q.123. ‘पाँचवीं रिपोर्ट’ पर टिप्पणी लिखें।
Ans ⇒ भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रशासन और गतिविधियों से संबद्ध यह पाँचवीं रिपोर्ट थी जिसे 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश किया गया। इसे एक प्रवर समिति ने तैयार किया था। रिपोर्ट 1002 पृष्ठों में थी। इनमें मुख्यत: जमींदारों, रैयतों की अर्जियाँ, कलक्टर की रिपोर्ट बंगाल-मद्रास के राजस्व और न्यायिक और न्यायिक अधिकारियों पर टिप्पणियाँ थी। रिपोर्ट द्वारा ब्रिटिश संसद में लम्बी बहस हुई।
Q.124. भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य आदर्श क्या हैं ?
Ans ⇒ भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमें यह बताती है कि वास्तव में संविधान का क्या उद्देश्य है। यह घोषणा करता है कि संविधान का स्रोत भारत की जनता है। यह निम्नलिखित सिद्धांतों तथा आदर्शों पर बल देता है –
(a) न्याय : सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक।
(b) स्वतंत्रता : विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास तथा पूजा-अर्चना की।
(c) समानता : प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता।
(d) भ्रातृत्व : व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता सुनिश्चित करना तथा आपसी बन्धुत्व बढ़ाना।
Q.125. फोर्ट विलियम नामक किला कहाँ बनाया गया था ? बाद में यह जगह क्या हलाई ?
Ans ⇒ 1698 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सूतानाटी, कालिकाता और गोविंदपुरी की जमीदारा प्राप्त कर ली और वहाँ उन्होंने अपनी फैक्ट्री के इर्द-गिर्द फोर्ट विलियम नाम का किला बनाया। यही गाँव जल्द ही बढ़कर एक नगर बन गया। जिसे अब कोलकाता कहा जाता है।