Class 12 Economics question 2022 लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 Marks ) PART – 6 Bihar board class 12 Economics question 2022
101. औसत परिवर्तनशील लागत वक्र (Average Variable cost) की आकृति खींचें।
(Draw a figure of Average variable cost.)
उत्तर⇒औसत परिवर्तनशील लागत कुल परिवर्तनशील लागत एवं उत्पादन की मात्रा का भागफल होती है।
अर्थात AVC = TVC/q
102.“माँग वक्र माँग के नियम का निरूपण है।” स्पष्ट करें। (Demand curve is a depiction of law of demand clarify.)
उत्तर⇒मॉग वक्र जब रेखा चित्र के रूप में प्रदर्शित कर दिया जाता है तब उस माग वक्र कहते है। यह माँग वक्र कीमत एवं माँगी गयी मात्रा के बीच एक विपरीत संबंध बताता है। इस विपरीत संबंध के कारण माँग वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है, जो माँग के नियम का निरूपण करती है। अर्थात यह प्रदर्शित करता है कि ऊँची कीमत पर माँगी गयी मात्रा कम होगा एव कम कीमत पर माँगी गई मात्रा अधिक होगी।
103. एकाधिकार में माँग वक्र के आकार को बताएँ। (Mention shape of demand curve in Monopoly.)
उत्तर⇒एकाधिकार में माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है, अर्थात् दायीं ओर ढालू होता है। इस वक्र का दायीं ओर ढालू होना यह बताता है कि कीमत कम करने पर वस्तु की अधिक इकाइयाँ बेची जाती है। एकाधिकार में निकट स्थानापन्न न मिलने के कारण माँग कम लोचदार होता है। इसलिए यदि एकाधिकारी अपनी वस्तु की कीमत बढ़ाता है, तो क्रेताओं के सामने कोई स्थानापन्न वस्तु खरीदने का विकल्प नहीं होता है। अतः कीमत बढ़ने पर वे उसी वस्तु को कम मात्रा में खरीदते हैं। फलस्वरूप माँग वक्र कम लोचदार होता है।
104. कॉफी की कीमत में वृद्धि चाय की माँग को किस प्रकार प्रभावित करेगी ? (How will an increase in the price of coffee affect the demand for tea ?)
उत्तर⇒कॉफी की कीमत में वृद्धि के परिणामस्वरूप चाय की माँग में वृद्धि हो जाती है। दोनों ही वस्तुएँ एक दूसरे की स्थानापन्न है, जो एक दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। ऐसी वस्तुओं में जब एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तब अन्य बातें समान रहने की दशा में स्थानापन्न वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है अर्थात् काफी की कीमत में वृद्धि की दशा में चाय की माँग में वृद्धि होगी।
105. साख नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य क्या है? (What is main objectives of credit control ?)
उत्तर⇒साख नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं –
(i). कीमत स्थिरता स्थापित करना।
(ii). विदेशी विनिमय दर के स्थिरता लाना।
(iii). आर्थिक नियोजन को सफल बनाना।
(iv). उत्पादन एवं रोजगार वृद्धि के उपाय करना।
106. रेपो दर तथा रिवर्स रेपो दर क्या है ? (What is Repo Rate and Reverse Repo Rate ?)
उत्तर⇒रेपो दर वह दर है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक अपने वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है।
रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपने आधिक्य कोषों को देश के केंद्रीय बैंक के पास जमा करके लाभ अर्जित करते हैं।
107. नकद कोषानुपात तथा साविधिक तरलता अनुपात में अंतर करें। (Distinguish between CRR and SLR.)
उत्तर⇒नकद कोष अनुपात और साविधिक तरलता अनुपात में अंतर यह है कि नकद कोष अनुपात का धन बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास रखना पड़ता है जबकि साविधिक तरलता अनुपात की राशि व्यापारिक बैंक स्वयं अपने पास नकद रूप में या अन्य तरल परिसम्पतियों के रूप में रखते हैं।
108. उपभोग प्रवृत्ति क्या है ? (What is propensity to consume ?)
उत्तर⇒आय में वृद्धि पर उपभोग में कितनी वृद्धि होगी यह केन्स के अनुसार उपभोग प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। इसी प्रकार आय के बढ़ने पर बचत में जो वृद्धि होती है उसे बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
109. निम्न को परिभाषित करें –
(A). औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average propensity to consume)
(B). औसत बचत प्रवृत्ति (APS)
(C). सीमांत बचत प्रवृत्ति (Marginal propensity to save)
उत्तर⇒ (A). औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average propensity to consume) – आय का वह भाग जो उपभोग पर व्यय किया जाता है, उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
(B) औसत बचत प्रवृत्ति (APS) – औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुल बचत और कुल आय का अनुपात है।
(C) सीमांत बचत प्रवृत्ति (Marginal propensity to save) — आय में होने वाले परिवर्तन (∆y) के कारण बचत में होने वाले परिवर्तन (∆C) के अनुपात को सीमांत बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
इस प्रकार सीमांत बचत प्रवृत्ति बचत में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन का अनुपात है।
(The marginal propensity to save is the ratio of change in saving to change in income.)
110. साख नियंत्रण के मात्रात्मक उपाय को बताएँ। (Explain tools of quantiative method of credit control.)
उत्तर⇒ (i). बैंक दर
(ii). खुले बाजार की क्रियाएं
(iii). नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
(iv). साविधिक तरलता अनुपात में परिवर्तन
111. साख नियंत्रण के गुणात्मक उपाय बताएँ। (Explain qualitative methods of credit control.)
उत्तर⇒ (i). साख की राशनिंग
(ii). उपभोक्ता साख नियमन
(iii). सीमांत आवश्यकताओं में परिवर्तन
(iv). प्रत्यक्ष कार्यवाही
(v). नैतिक दबाव
(vi). प्रसार
112. पूँजी की सीमांत उत्पादकता या क्षमता क्या है? (What is marginal efficiency of capital ?)
उत्तर⇒पूँजी की सीमांत कुशलता किसी पूँजीगत पदार्थ की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से. है। उसकी लागत की तुलना में, मिलने वाले लाभ की अनुमानित दर है।
(Marginal efficiency of capital is expected rate of return of an additional unit of captial goods over itscost.)
113. प्रभावपूर्ण माँग क्या है? (What is effective demand ?)
उत्तर⇒जिस बिन्दु पर सामूहिक माँग और सामूहिक पूर्ति बराबर होते हैं उसे प्रभावपूर्ण माँग कहते हैं।
114. माँग की लोच को मापने का अनुपातिक रीति क्या है? (What is the proportionate method of Measuring elasticity of demand ?)
उत्तर⇒ इस रीति का प्रतिपादन प्रो० फ्लक्स (Prof. Flux) ने किया। इस रीति के अनुसार, माँग की लोच का अनुमान लगाने के लिए माँग में होने वाले आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन (Proportionate or percentage change in demand) को कीमत में होने वाले आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन (Proportionate or Percentage change in price) से भाग कर दिया जाता है। इस विधि द्वारा माँग की लोच की माप निम्नलिखित सूत्रों की सहायता से ज्ञात होता है –
ed = (-) माँग में आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन। कीमत में आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन
115. राष्ट्रीय आय क्या है? (What is National income ?)
उत्तर⇒आय (लगान + मजदूरी + ब्याज तथा लाभ) तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का जोड़ साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय कहलाता है। अर्थात् साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) एक वर्ष में एक देश में सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित कुल साधन आय का जोड़ है।
116. उपभोक्ता संतुलन से क्या अभिप्राय है ? (What is meant by consumer equilibrium ?)
उत्तर⇒ उपभोक्ता संतुलन का तात्पर्य एक उपभोक्ता उस समय संतुलन में होता है, जब वह अपनी दी हुई आय तथा बाजार कीमतों से प्राप्त संतुष्टि को अधिकतम कर लेता है।
उपभोक्ता संतुलन की स्थिति तब प्राप्त करता है. जब वह प्रति रुपया संतष्टि MUxIPx मुद्रा की सीमांत उपयोगिता MUM के बराबर हो जाती है अर्थात् MUxIPx = MUM
117. सामान्य वस्तु एवं गिफिन वस्तु के बीच अंतर स्पष्ट करें। (Distinguish between Normal goods & Giffin goods.)
उत्तर⇒सामान्य वस्तु तथा गिफिन वस्तु में निम्न अंतर इस प्रकार है –
Sl. N | सामान्य वस्तु | गिफिन वस्तु |
1. | (i). सामान्य वस्तु वह वस्तु है जिस पर माँग का नियम लागू होता है। | (i). गिफिन वस्तु वह घटिया वस्तु है जिस पर माँग नियम लागू नहीं होता। |
2. | (ii). सामान्य वस्तु की माँग वक्र का ढलान ऊपर से नीचे बायें से दायेंकी ओर होता है। | (ii). गिफिन वस्तु की माँग की ढलान नीचे से ऊपर की ओर होता है। |
3. | (iii). सामान्य वस्तु की आय प्रभाव धनात्मक | (iii). गिफिन वस्तु की आय प्रभाव ऋणात्मक होता है। |
118. प्राथमिक घाटा क्या हैं ?(What is primary deficit ?)
उत्तर⇒ प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटे तथा भगतान किये जाने वाले ब्याज का अंतर है।
[ प्राथमिक घाटा या सकल प्राथमिक घाटा ] = [ राजकोषीय घाटा] – [ ब्याज भुगताना ]
प्राथमिक घाटा यह स्पष्ट करता है कि देश की सरकार को कितने ऋण की आवश्यकता है। सरकार को ब्याज के भुगतान के अतिरिक्त अपने और खर्च चलाने के लिए कितने ऋण की आवश्यकता है।
119. ‘एक दिष्ट अधिमान’ से आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by ‘Monotonic preference’?)
उत्तर⇒ एक उपभोक्ता दो वस्तओं के विभिन्न बंडलों को अधिमान देता है जिसमें इन वस्तओं में से कम से कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो और दूसरे बंडल की तुलना में दूसरी वस्तु की मात्रा भी कम नहीं हो। यह स्थिति एक दिष्ट अधिमान की सूचक है।
120. आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती हैं ? (Why does in economic problem arise ?)
उत्तर⇒सीमित साधनों में असीमित आवश्यकताएँ आर्थिक समस्या को जन्म देती है। आवश्यकताओं में तीव्रता से अंतर होने के कारण साधनों का वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण तथा चयन या चुनाव की समस्या भी आर्थिक समस्या या केंद्रीय समस्या को जन्म देती है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि असीमित आवश्यकताएँ एवं सीमित साधन दो आधारभूत स्तंभ है जिन पर सभी आर्थिक समस्याओं का ढाँचा खड़ा है।
121. किसी वस्तु की पूर्ति’ एवं ‘stock’ में क्या अंतर हैं ? (What is difference between “supply’ and ‘stock’ of a goods ?)
उत्तर⇒स्टॉक वस्तु की वह मात्रा है जो किसी समय विशेष पर बाजार में विक्रेताओं के पास उपलब्ध है जबकि पूर्ति वह मात्रा है जिसे किसी निश्चित समय में तथा किसी निश्चित कीमत पर विक्रेता बेचने को तत्पर्य है यदि बाजार में वस्तु की कीमत कम है तो विक्रेता वस्तु का अधिक स्टॉक रखते हुए भी वस्तु की कम मात्रा बेचने को तैयार होंगे।