Bihar Board Class 12th Economics Question 2022 लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 Marks ) PART – 2 Class 12th Economics Question 202
16. सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by Marginal Utility and Total Utility ?)
उत्तर⇒किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता मिलता है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
सीमांत उपयोगिता (n वीं इकाई) = कुल उपयोगिता n – कुल उपयोगिता n-1
MUnth = TUn – TUn-1
कुल उपयोगिता (Total Utility) — उपभोग के सभी इकाइयों के उपभोग से उपभोक्ता को जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे कुल उपयोगिता कहते हैं। कुल उपयोगिता उपभोग की विभिन्न इकाइयाँ से प्राप्त सीमांत उपियोगता के योग होता है। (Total Utility is the addition of Marginal Utilities attained from various units of consumptions.)
TU = ΣMU
कुल उपयोगिता योग होती है सीमांत उपयोगिता का।
17. पूरक वस्तु और स्थानापन्न वस्तु में अंतर स्पष्ट करें।(Distinguish between Complementary goods and substitute goods.)
उत्तर⇒पूरक वस्तुएँ वे हैं जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग की जाती है। जैसे—स्कूटर-पेट्रोल। पूरक वस्तुओं की कीमत और खरीदी जाने वाली मात्रा में विपरीत संबंध होता है। स्कूटर की कीमत में तीव्र वृद्धि होने से स्कूटर की पूरक वस्तु पेट्रोल की मांग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जबकि पेट्रोल की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता है।।
स्थानापन्न वस्तु वे वस्तुएँ हैं जो एक दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे—चाय, काफी आदि। ऐसी वस्तुओं में जब एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तब अन्य बातें समान रहने पर स्थानापन्न वस्तु की माँग में भी वृद्धि हो जाएगी।
18. उत्पादन फलन क्या है? (What is Production Function ?)
उत्तर⇒उपादानों (inputs) एवं उत्पादनों के फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है। उत्पादन फलन हमें यह बताता है कि समय की एक निश्चित अवधि में उपादानों के परिवर्तन से उत्पादन आकार में किस प्रकार और कितनी मात्रा परिवर्तन होता है। उत्पादन केवल भौतिक मात्रात्मक संबंध पर आधारित है। इसमें मूल्यों का समावेश नहीं होता।
उत्पादन फलन Qx=f (A,B,C,D)
19. उत्पादन संभावना वक्र को परिभाषित करें। (Define production possibility curve?)
उत्तर⇒ उत्पादन संभावना वक्र इस विश्लेषण पर आधारित है कि अर्थव्यवस्था के उत्पादन के साधन सीमित है किन्तु उत्पादित की जाने वाली वस्तुएँ असीमित हैं। अर्थव्यवस्था को साध नों के वैकल्पिक उपयोगों के बीच चुनाव करना पड़ता है। इस प्रकार वस्तुओं के उत्पादन के अनेक विकल्प अर्थव्यवस्था के सामने आते हैं जिन्हें अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावना कहते हैं। इन उत्पादन संभावनाओं को रेखा चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाए तो उनके द्वारा बनने वाली रेखा को उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं।
20. उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं को बताये- (Point out Assumtion of Production possibility curve ?)
उत्तर⇒उत्पादन संभावना वक्र निम्न मान्यताओं पर आधारित है-
(i). उत्पादन के साधनों की स्थिर मात्रा (Fixed quantity of factors of production)
(ii). उपलब्ध साधनों का पूर्ण एवं कुशल उपयोग (Fuller and Efficient utilisation of the available resources)
(iii). स्थिर तकनीक (Constant Technology)
(iv). दो वस्तुएँ (Two goods).
21. उपभोक्ता संतुलन क्या है? (What is consumer’s equilibrium ?)
उत्तर⇒असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों के होने पर एक उपभोक्ता का उद्देश्य अपने व्यय से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करना है और जब वह अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर लेता है तो वह उपभोक्ता संतुलन की अवस्था में होता है, एक उपभोक्ता उस समय संतुलन की अवस्था में होता है जब वह अपने वर्तमान परिस्थितियों को अच्छा समझते हैं। इस प्रकार जब कोई उपभोक्ता अपने व्यय करने के वर्तमान ढंग में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहता, तब वह संतुलन की अवस्था में कहा जाता है।
22. मूल्य घटने पर बजट रेखा किस ओर बढ़ेगी? चित्र द्वारा दर्शायें। (In which direction budget line will move with a fall in price ? Depict with a diagram.)
उत्तर⇒मूल्य घटने पर बजट रेखा अपरिवर्तित रहेगी क्योंकि उपभोक्ता का वास्तविक क्रय उसकी आय तथा उपभोग की वस्तुओं पर निर्भर करता है। इस प्रकार आय तथा उपभोग वस्तुओं की मूल्य उपभोक्ता के लिए उपभोग सीमा निर्धारित करती है।
चित्र से स्पस्ट है –
चित्र यह बताती है कि उपभोक्ता अपनी सीमांत आय से PQRST अथवा S वस्तु खरीद सकता है। अगर उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु पर खर्च करता है तो 10 इकाई खरीद सकता है। उपभोक्ता अपनी सीमा रेखा या बजट रेखा के बाहर किसी वस्तु का उपभोग नहीं कर सकता है।
इस प्रकार मूल्य घटने पर भी बजट रेखा अपरिवर्तित रहेगी।
23. उपभोक्ता माँग वक्र कब शिफ्ट करता है ? (When does the consumer’s demand curve shifts?)
उत्तर⇒उपभोक्ता मांग वक्र जब शिफ्ट करता है जब मांग वक्र कीमत एवं मांगी गयी मात्रा के बीच एक विपरीत सम्बन्ध बताता है। इस विपरीत संबंध के कारण उपभोक्ता की मांग वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है तो यह प्रदर्शित करता है कि ऊंची कीमत पर मांगी गई मात्रा कम होगी एवं कम कीमत पर मांगी गयी मात्रा अधिक होगी।
24. माँग वक्र नीचे क्यों गिरता है ? (Why does demand curve slope downwards ?)
उत्तर⇒मांग वक्र को जब रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे माँग वक्र कहा जाता है। यह माँग वक्र की कीमत एवं मांगी जाने वाली मात्रा के बीच एक विपरीत संबंध को बताता है।
इस विपरीत संबंध के कारण ही माँग वक्र बायें से दायें नीचे की ओर गिरता है जो यह प्रदर्शित करता है कि ऊँची कीमत पर माँगी गई मात्रा कम होगी एवं कम कीमत पर मांगी गयी मात्रा अधिक होगी।
25. माँग की कीमत लोच की परिभाषा दें। (Define price Elasticity of Demand.)
उत्तर⇒माँग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की माँग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है।
“Price elasticity of demand may be defined as the percentage change in the quantity demanded of a commodity divided by the percentage change in price of that commodity.”
26. माँग की लोच मापने का कुल व्यय रीति क्या है ? (What is the total expenditure method at measuring elasticity of demand ?)
उत्तर⇒इस रीति का प्रतिपादन मार्शल ने किया। इस रीति में यह ज्ञात किया जाता है कि वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से कुल व्यय में कितना और किस दिशा में परिवर्तन हुआ है।
कुल व्यय = वस्तु की कीमत x वस्तु की माँग
27. माँग की लोच मापने का ज्यामितीय या बिन्दु रीति क्या है ? (What is Geometric or point method of measuring elasticity of demand:)
उत्तर⇒इस रीति में माँग वक्र के किसी बिन्द पर माँग की लोच ज्ञात करने के लिए उस बिन्दु पर एक स्पर्श रेखा खींची जाती है।
28. श्रेष्ठ वस्तु (सामान्य) और घटिया (निम्न) वस्तु में अंतर करें। (Differentiate between superior or normal goods and inferior goods.)
उत्तर⇒श्रेष्ठ वस्तु या सामान्य वस्तुएं ऐसी वस्तुएं है जिनका आय प्रभाव धनात्मक तथा कीमत प्रभाव ऋणात्मक होता है। अर्थात् माँग वक्र बायें से दायें ऊपर बढ़ता हुआ होता है। धनात्मक ढाल वाला आय माँग वक्र यह बताता है कि उपभोक्ता की आय में प्रत्येक वृद्धि उसकी माँग में भी वृद्धि करती है तथा इसके विपरीत आय की प्रत्येक कमी सामान्य दशाओं में माँग में भी कभी उत्पन्न करती है।
घटिया वस्तुएं वे वस्तुएं होती है जिन्हें उपभोक्ता हीन दृष्टि से देखता है और आय स्तर के पर्याप्त न होने पर उपभोग करता है जैसे—मोटा अनाज, वनस्पति घी, मोटा कपड़ा आदि। इनका आय माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है अर्थात् बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है।
29. माँग क्या है ? इसके निर्धारक तत्त्व को बताएँ। (What is demand. Point out its determinants of demand.)
उत्तर⇒अन्य बातें समान रहने पर एक निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता किसी वस्तु की जितनी मात्रा खरीदने को इच्छुक तथा योग्य होता है, उसे मांगी गई मात्रा कहा जाता है।
माँग को निर्धारक तत्त्व –
(i). वस्तु की उपयोगिता (Utility of the goods)
(ii). आय स्तर (Income level)
(iii). धन का वितरण (Distribution of wealth)
(iv). वस्तु की कीमत (Price of the goods)
(v). संबंधित वस्तुओं की कीमतें (Price of related goods)
(vi). स्थानापन्न वस्तुएं (Substitute goods)
(vii). भविष्य में कीमत परिवर्तन की आशंका(Expected future change in price)
30. बाजार माँग क्या है? (What is Market Demand ?)
उत्तर⇒बाजार माँग फलन से ज्ञात होता है कि किसी वस्तु की बाजार माँग अथवा वस्तु की कुल माँग निर्धारक तत्त्वों से किस प्रकार संबंधित है।
बाजार माँग फलन में व्यक्तिगत माँग फलन के तत्त्वों के अतिरिक्त निम्न को शामिल किया जाता है – (i). जनसंख्या का आकार (ii). आय का वितरण।