Class 12th Economics Question 2022 लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 Marks ) PART -1 Class 12th Economics Question paper 2022
1. समष्टि अर्थशास्त्र किस विषय का अध्ययन करता है ? (What is the subject matter of macroeconomics ?)
उत्तर⇒ समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक अध्ययन का महत्वपूर्ण पक्ष है। इसके अंतर्गत ऐसे विशाल समूहों का अध्ययन किया जाता है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करते हैं जैसे-कुल रोजगार, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल विनियोग, कुल बचत, कुल उपभोग, कुल पूर्ति, कुल मांग, सामान्य कीमत स्तर इत्यादि का समष्टि अर्थशास्त्र विषय है।
2. व्यष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए। (Define Micro economics.)
उत्तर⇒ व्यष्टि अर्थशास्त्र को ‘सूक्ष्म अर्थशास्त्र’ भी कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत अर्थव्यवस्था की एक इकाई के रूप में अर्थव्यवस्था के छोटे-छोटे पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे—एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक फर्म अथवा एक उद्योग, एक बाजार आदि। व्यष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन आंशिक संतुलन से अधिक प्रभावित है जो आर्थिक क्रिया से संबंधित कारकों से प्रभावित होता है। इसके अंतर्गत अनुकूलतम साधन आवंटन और आर्थिक क्रियाओं जैसेमांग और पूर्ति का अध्ययन, मूल्य निर्धारण से संबंधित समस्याओं और नीतियों का अध्ययन होता है।
3. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का क्या महत्त्व है ? (What is significance of studying micro economics ?)
उत्तर⇒ इसका अध्ययन का महत्त्व को इस प्रकार देखा जा सकता है –
(i). व्यक्तिगत इकाइयाँ मिलकर ही संपूर्ण अर्थव्यवस्था बनाती है। अतः संपूर्ण अर्थव्यवस्था के आर्थिक विश्लेषण के लिए व्यक्तिगत इकाइयों का ज्ञान आवश्यक है।
(ii). आर्थिक विश्लेषण में कीमत निर्धारण एवं वितरण की समस्याएं महत्त्वपूर्ण होती है। इन समस्याओं का निदान व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण से किया जाता है। माँग और पूर्ति के दो बलों के आधार पर कीमत का निर्धारण किया जाता है जो व्यष्टि अर्थशास्त्र से संबंधित है।
(iii). व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत एवं विशिष्ट इकाइयों का विश्लेषण ही सरकार को आर्थिक नीतियाँ बनाने का आधार प्रदान करता है।
4. अनाधिमान वक्र परिभाषित करें। (Define indifference curve.)
उत्तर⇒अनाधिमान वक्र (Indifference curve)—उदासीनता वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से संबंधित उपभोक्ता के व्यवहार की व्याख्या करता है। उपभोक्ता का व्यवहार उसकी उदासीनता अनुसूची द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उपभोक्ता को समान संतुष्टि देने वाले दो वस्तुओं के विभिन्न संयोग उदासीनता अनुसूची अथवा तटस्थता समूह बनाते हैं। इसी उदासीनता अनुसूची को ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करके अनाधिमान वक्र प्राप्त किया जाता है।
5. अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं से क्या समझते हैं ? (What do you mean by central problem in an economy ? )
उत्तर⇒अर्थव्यवस्था से मतलब उस आर्थिक प्रणाली से है जिसके द्वारा समाज की समस्त आर्थिक क्रियाओं का संचालन होता है। प्रत्येक देश किसी न किसी आर्थिक प्रणाली पर आधारित होता है। आर्थिक प्रणाली के मुख्य रूप है — पूँजीवादी, समाजवाद एवं मिश्रित अर्थव्यवस्था। आर्थिक प्रणाली की भिन्नता के अनुसार अर्थव्यवस्था का संचालन अलग-अलग होता है किन्तु साधनों की सीमितता एवं उनके वैकल्पिक प्रयोगों तथा आवश्यकताओं की अनन्तता के कारण ही साधनों एवं साध्यों के बीच तालमेल बैठाने की समस्याएँ प्रत्येक आर्थिक प्रणाली में रहती है जिसे अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ कहा जाता है।
6. समाजवादी अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in sociolist economy ?)
उत्तर⇒समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर समाज का नियंत्रण होता है तथा आर्थिक क्रियाओं का संचालन समाज के हित के लिए किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान सामाजिक प्राथमिकताओं के आधार पर आर्थिक नियोजन या योजना यंत्र द्वारा किया जाता है।
7. मिश्रित अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in mixed economy ?)
उत्तर⇒मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह-अस्तित्व होता है और दोनों ही क्षेत्र किसी सामान्य आर्थिक योजना के अधीन कार्य करता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत यंत्र और नियोजन-तंत्र दोनों मिलकर केंद्रीय समस्याओं का समाधान करते हैं।
8. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in a cpaitalist economy ?)
उत्तर⇒ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर निजी नियंत्रण होता है तथा यह अर्थव्यवस्था उत्पादन और उपभोग के क्षेत्र में स्वतंत्र होती है। इस अर्थव्यवस्था में आर्थिक समस्याओं का समाधान कीमत यंत्र द्वारा किया जाता है जिसमें माँग एवं पूर्ति के दो स्वतंत्र बल क्रियाशील होकर कीमत निर्धारण करते हैं।
9. आर्थिक समस्या क्या है? (What is an economic problem ?)
उत्तर⇒आवश्यकताएँ असीमित और साधन सीमित होते हैं। सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण इन साधनों एवं असीमित आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है और इसी प्रयास से चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार आर्थिक समस्या मूलत: चुनाव की समस्या है।
आर्थिक समस्या की परिभाषा एरिक रोल ने इस प्रकार से दी है। “आर्थिक समस्या मूलतः चयन की आवश्यकता से उत्पन्न होने वाली समस्या है। यह वह चयन है जिसमें वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के मितव्ययी उपयोग की समस्या है।
10. मौद्रिक लागत क्या है? (What is Money Cost ?)
उत्तर⇒कसी फर्म द्वारा एक वस्तु के उत्पादन में किये गये कुल मुद्रा व्यय को मुद्रा लागत कहते हैं। अर्थात् उत्पत्ति के समस्त साधनों के मूल्य को यदि मुद्रा में व्यक्त कर दिया जाये तो उत्पादक इन उत्पत्ति के साधनों की सेवाओं को प्राप्त करने में जितना कुल व्यय करता है वह मौद्रिक लागत कहलाती है।
11. वास्तविक लागत क्या है? (What is Real cost ?)
उत्तर⇒“किसी वस्तु के उत्पादन में विभिन्न प्रकार के श्रमिकों को जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रयत्न करने पड़ते हैं अथवा साथ ही वस्तु के उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली पूँजी को संचित करने में संयम अथवा प्रतीक्षा करनी पड़ती है में सब प्रत्यक्ष अथवा त्याग मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत कहलाती है।
12. अवसर लागत क्या है ? (What is opportunity cost ?)
उत्तर⇒ आस्ट्रियन अर्थशास्त्री ने वास्तविक लागत के विचार में संशोधन किया और इन्होंने वास्तविक लागत के स्थान पर अवसर लागत का प्रयोग किया। अर्थशास्त्र का मौलिक सिद्धांत है कि आर्थिक साधन आवश्यकताओं की तुलना में सीमित होते हैं। अतः किसी वस्तु के उत्पादन का अर्थ है—दूसरी वस्तु या वस्तुओं के उत्पादन से वंचित होना।
इस प्रकार, किसी साधन की अवसर लागत का अभिप्राय उस साधन के दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग से मिलने वाले मूल्य से है।
(“Opportunity cost of a factor refers to its value available in its next best alternative use.”)
13. निम्नलिखित को परिभाषित करें। (Define following.)
उत्तर⇒ (A) स्पष्ट लागत (Explicit cost)— ऐसे सभी व्यय, जिनका भुगतान उत्पादक द्वारा उत्पादन क्रिया के दौरान दूसरों को करना होता है स्पष्ट लागत कहलाते हैं।
(B) स्थिर लागत (Fixed cost)— स्थिर लागतें उस कुल खर्च का योग है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है।
(Fixed cost are the sum total of expenditure incurred by the producer on the purchase of fixed factors of production.)
(C) परिवर्तनशील लागत (Variable costs)— परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादक का उत्पादन के घटते-बढ़ते साधनों के प्रयोग के लिए खर्च करनी पड़ती है।
(Variable costs are the expenditure incured by the producer on the use of variable factors production:)
कुल लागत = स्थिर लागत + परिवर्तनशील लागत
(D) कुल लागत (Total cost) – किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के लिए उत्पादक को जितने कल व्यय करने पड़ते हैं. इनके जोड़ को कुल लागत कहते हैं। (Total cost of production is the sum of all expenditure incurred by the production in producing a given quantity of a commodity.)
(E) औसत लागत (Average cost)—किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहा जाता है। औसत लागत कुल लागत एवं उत्पादन मात्रा का भागफल होता है।
(F) औसत स्थिर लागत (Average Fixed cost-AFC) — यदि उत्पादन की कुल स्थिर लागत को हम उत्पादन की मात्रा से भाग देते हैं तो हमें औसत स्थिर लागत प्राप्त हो जाती है।
14. औसत लागत एवं सीमांत लागत में क्या संबंध है ? (What is relationship between Average cost and Marginal cost ?)
उत्तर⇒औसत लागत तथा सीमांत लागत के बीच संबंध दर्शाने वाले मुख्य बिंदु है –
(i). दोनों की गणना उत्पादन की कुल लागत द्वारा की जाती है।
(ii). अर्थात् MC < AC
(iii). MC = AC
(iv). MC > AC
15. निम्नलिखित को परिभाषित करें। (Define following.)
उत्तर⇒ (A) कुल आय (Total Revenue)—किसी फर्म का कुल आय वस्तु की एक ही कीमत तथा कुल विक्रय की गयी इकाइयों के गुणनफल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
कुल आय = कुल बिक्री से प्राप्त राशि = बिक्री इकाइयाँ x प्रति इकाई मूल्य
(B) सीमांत आय (Marginal Revenue)-उत्पादक या फर्म को वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई की बिक्री से जो अतिरिक्त आय प्राप्त होता है, उसे सीमांत आय कहते हैं। इस प्रकार सीमांत आय से मतलब किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के परिवर्तन से कुल आय में होने वाला परिवर्तन से है।
(C) औसत आय (Average Revenue) – औसत आय से मतलब उत्पादन की प्रति इकाई बिक्री से प्राप्त होने वाला आय। इस प्रकार कुल आय को बिक्री की गई इकाइयों की संख्या से भाग देने पर औसत आय प्राप्त होता है।
औसत आय सदा वस्तु के प्रति इकाई कीमत को व्यक्त करता है।
Class 12th Economics लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 Marks )
Class 12th Economics दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 20 Marks )